मुन्नाभाइयों के प्रवेश निरस्त करने का रास्ता साफ, शासन से आए आदेश
- प्रवेश निरस्त करने कोर्ट के आदेश के एक माह बाद शासन से आया आदेश
- बीएमसी के 23 विद्यार्थियों के नाम शामिल हैं नकलचियों की सूची में
सागर। नवदुनिया न्यूज
बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज से 23 मुन्नाभाइयों और नकलची छात्र-छात्राओं के प्रवेश निरस्त करने का आखिरकार शासन से आदेश आ ही गया। आदेश में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करने के निर्देश दिए गए हैं। यह काम कॉलेज स्तर पर कमेटी गठित कर किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने 13 फरवरी को मप्र के ऐसे 634 मुन्नाभाइयों की याचिका खारिज करते हुए हाईकोर्ट का प्रवेश निरस्त करने का आदेश बरकरार रखा था। मंगलवार को राजधानी में चिकित्सा शिक्षा विभाग की उच्च स्तरीय बैठक में प्रवेश निरस्त करने का फैसला लिया गया है। बीएमसी में ऐसे 23 छात्र-छात्राएं हैं, जो कोर्ट की शरण में गए थे।
पीएमटी परीक्षाओं में फर्जीवाड़ा करने वाले और नकलची विद्यार्थियों के प्रवेश निरस्त करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के ठीक एक महीने बाद शासन स्तर से कार्रवाई शुरू की जा सकी है। इसमें चिकित्सा शिक्षा विभाग की ओर से एक पत्र बीएमसी पहुंचा है। इसमें नकलची छात्र-छात्राओं के मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश अनुसार कार्रवाई करने के कॉलेज प्रबंधन को निर्देश दिए गए हैं। आदेश में कहा गया है कि कमेटी बनाकर एक-एक छात्र के मामले में केस हिस्ट्री का परीक्षण किया जाए। प्रवेश निरस्त करने के बाद पीएमटी के ऐसे नकलची विद्यार्थियों की टीसी और ओरिजनल दस्तावेज भी वापस किए जाएं। आदेश देर शाम डीन कार्यालय पहुंचा। प्रबंधन को करीब 6 बजे शासन से पत्र आने की जानकारी मिल सकी। सूत्रों के अनुसार, मंगलवार को मुन्नाभाइयों के प्रकरण और सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लेकर संचालनालय में बैठक का आयोजन किया गया था। बैठक में कोर्ट के आदेश का परीक्षण करने के बाद प्रवेश निरस्त करने का निर्णय लिया गया है।
बीएमसी के 23 विद्यार्थियों में 12 छात्राएं भी शामिल
बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में फिलहाल 23 ऐसे विद्यार्थी सामने आए हैं, जिनकी पीएमटी परीक्षा व प्रवेश निरस्त किए गए थे। इनमें 12 छात्राएं शामिल हैं। इसमें पीएमटी 2009 से लेकर पीएमटी 2012 तक में चयनित छात्र-छात्राएं शामिल हैं। इनमें से 16 विद्यार्थी हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की शरण में गए थे। ये सभी प्रदेश के अलग-अलग शहरों के रहने वाले हैं। इनमें 2012 बैच का कृष्णा शर्मा नाम का एक छात्र सागर का स्थानीय निवासी भी शामिल है।
इनके प्रवेश होंगे निरस्त
बीएमसी में अध्ययनरत साल 2009 बैच का अमन मंधारे, दीपिका दवाड़े, 2010 बैच का सुनील जाट, सुभी भदौरिया, राजेश अर्गल, गोल्डी चौहान, खुशबू पाटीदार, श्रृष्टि दवे, दिव्या बॉथम शामिल हैं। साल 2011 बैच के शैलेष कुमार रघुवंशी, भावना डामौर, दिव्यानी नागा और धीरज बासनिक सहित 2012 बैच से दीपिका बख्शी, उन्नति शर्मा एवं कृष्णा शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली थी। इनके अलावा शैलेष रघुवंशी, रुद्र कुशवाहा, पूजा गुप्ता, विवेक निगम, नेहा पचौरी, मीनाक्षी पांडे एवं शांतनु व्यास कोर्ट गए थे।
सिर्फ एक बैच के नकलचियों पर एफआईआर
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद जिन्हें बाहर किया जाना है उनमें से अधिकतर मुन्नाभाई फिलहाल कॉलेज के हॉस्टल में ही जमे हुए हैं। बाकायदा क्लॉस भी अटैंड कर रहे हैं। अधिकतर विद्यार्थी ऐसे हैं, जो 5 साल बाद भी फाइनल ईयर तक नहीं पहुंच सके। कोर्ट के स्टे के बाद इन्हें परीक्षा में तो बैठने की अनुमति दे दी गई थी, लेकिन रिजल्ट किसी के भी नहीं खोले गए हैं। दूसरी ओर साल 2009 बैच से 2012 बैच तक के मुन्नाभाइयों में से सिर्फ 2012 बैच के नकलचियों के खिलाफ ही एफआईआर दर्ज हुई है। बाकी के प्रवेश सीधे निरस्त करने का आदेश दिया गया था।
2011 में सबसे पहले सागर में मामला सामने आया था
प्रदेश में पीएमटी परीक्षा में गड़बड़ी और फर्जीवाड़ा कर परीक्षा पास करने का मामला सबसे पहले सागर में ही सामने आया था। तत्कालीन डीन डॉ. एससी तिवारी के कार्यकाल में तत्कालीन प्रशासनिक अधिकारी आरआरएस रघुवंशी ने यह गड़बड़ी पकड़ी थी। इसके बाद अन्य कॉलेजों में भी इसी तरह का फर्जीवाड़ा सामने आया। इसमें विद्यार्थियों की फोटो, हैंडराइटिंग और फिंगरप्रिंट के निशान मैच न होने के कारण पीएमटी फर्जीवाड़े में छात्र पकड़े गए थे। इसके बाद प्रदेशभर में पीएमटी में सामूहिक नकल, दूसरे प्रदेशों से साल्वर बुलाने तथा छात्र की जगह दूसरे छात्रों के परीक्षा देने का खुलासा हुआ। सागर में ऐसे करीब 85 मामले सामने आए थे।
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आदेश आ गया है, कमेटी बनाकर प्रवेश निरस्त होंगे
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार नकलची विद्यार्थियों के प्रवेश निरस्त करने संबंधी आदेश मंगलवार शाम को शासन की ओर से आया है। इसमें कमेटी बनाकर प्रवेश निरस्त करने, टीसी सहित अन्य दस्तावेज सौंपने के निर्देश हैं। मामले में कॉलेज प्रबंधन कमेटी बनाकर ऐसे मामलों का परीक्षण कराएगा, जो कोर्ट तक गए थे।
- डॉ. मनीष जैन, उप अधीक्षक एवं मीडिया अधिकारी, बीएमसी
- प्रवेश निरस्त करने कोर्ट के आदेश के एक माह बाद शासन से आया आदेश
- बीएमसी के 23 विद्यार्थियों के नाम शामिल हैं नकलचियों की सूची में
सागर। नवदुनिया न्यूज
बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज से 23 मुन्नाभाइयों और नकलची छात्र-छात्राओं के प्रवेश निरस्त करने का आखिरकार शासन से आदेश आ ही गया। आदेश में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करने के निर्देश दिए गए हैं। यह काम कॉलेज स्तर पर कमेटी गठित कर किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने 13 फरवरी को मप्र के ऐसे 634 मुन्नाभाइयों की याचिका खारिज करते हुए हाईकोर्ट का प्रवेश निरस्त करने का आदेश बरकरार रखा था। मंगलवार को राजधानी में चिकित्सा शिक्षा विभाग की उच्च स्तरीय बैठक में प्रवेश निरस्त करने का फैसला लिया गया है। बीएमसी में ऐसे 23 छात्र-छात्राएं हैं, जो कोर्ट की शरण में गए थे।
पीएमटी परीक्षाओं में फर्जीवाड़ा करने वाले और नकलची विद्यार्थियों के प्रवेश निरस्त करने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के ठीक एक महीने बाद शासन स्तर से कार्रवाई शुरू की जा सकी है। इसमें चिकित्सा शिक्षा विभाग की ओर से एक पत्र बीएमसी पहुंचा है। इसमें नकलची छात्र-छात्राओं के मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश अनुसार कार्रवाई करने के कॉलेज प्रबंधन को निर्देश दिए गए हैं। आदेश में कहा गया है कि कमेटी बनाकर एक-एक छात्र के मामले में केस हिस्ट्री का परीक्षण किया जाए। प्रवेश निरस्त करने के बाद पीएमटी के ऐसे नकलची विद्यार्थियों की टीसी और ओरिजनल दस्तावेज भी वापस किए जाएं। आदेश देर शाम डीन कार्यालय पहुंचा। प्रबंधन को करीब 6 बजे शासन से पत्र आने की जानकारी मिल सकी। सूत्रों के अनुसार, मंगलवार को मुन्नाभाइयों के प्रकरण और सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लेकर संचालनालय में बैठक का आयोजन किया गया था। बैठक में कोर्ट के आदेश का परीक्षण करने के बाद प्रवेश निरस्त करने का निर्णय लिया गया है।
बीएमसी के 23 विद्यार्थियों में 12 छात्राएं भी शामिल
बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में फिलहाल 23 ऐसे विद्यार्थी सामने आए हैं, जिनकी पीएमटी परीक्षा व प्रवेश निरस्त किए गए थे। इनमें 12 छात्राएं शामिल हैं। इसमें पीएमटी 2009 से लेकर पीएमटी 2012 तक में चयनित छात्र-छात्राएं शामिल हैं। इनमें से 16 विद्यार्थी हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट की शरण में गए थे। ये सभी प्रदेश के अलग-अलग शहरों के रहने वाले हैं। इनमें 2012 बैच का कृष्णा शर्मा नाम का एक छात्र सागर का स्थानीय निवासी भी शामिल है।
इनके प्रवेश होंगे निरस्त
बीएमसी में अध्ययनरत साल 2009 बैच का अमन मंधारे, दीपिका दवाड़े, 2010 बैच का सुनील जाट, सुभी भदौरिया, राजेश अर्गल, गोल्डी चौहान, खुशबू पाटीदार, श्रृष्टि दवे, दिव्या बॉथम शामिल हैं। साल 2011 बैच के शैलेष कुमार रघुवंशी, भावना डामौर, दिव्यानी नागा और धीरज बासनिक सहित 2012 बैच से दीपिका बख्शी, उन्नति शर्मा एवं कृष्णा शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट की शरण ली थी। इनके अलावा शैलेष रघुवंशी, रुद्र कुशवाहा, पूजा गुप्ता, विवेक निगम, नेहा पचौरी, मीनाक्षी पांडे एवं शांतनु व्यास कोर्ट गए थे।
सिर्फ एक बैच के नकलचियों पर एफआईआर
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद जिन्हें बाहर किया जाना है उनमें से अधिकतर मुन्नाभाई फिलहाल कॉलेज के हॉस्टल में ही जमे हुए हैं। बाकायदा क्लॉस भी अटैंड कर रहे हैं। अधिकतर विद्यार्थी ऐसे हैं, जो 5 साल बाद भी फाइनल ईयर तक नहीं पहुंच सके। कोर्ट के स्टे के बाद इन्हें परीक्षा में तो बैठने की अनुमति दे दी गई थी, लेकिन रिजल्ट किसी के भी नहीं खोले गए हैं। दूसरी ओर साल 2009 बैच से 2012 बैच तक के मुन्नाभाइयों में से सिर्फ 2012 बैच के नकलचियों के खिलाफ ही एफआईआर दर्ज हुई है। बाकी के प्रवेश सीधे निरस्त करने का आदेश दिया गया था।
2011 में सबसे पहले सागर में मामला सामने आया था
प्रदेश में पीएमटी परीक्षा में गड़बड़ी और फर्जीवाड़ा कर परीक्षा पास करने का मामला सबसे पहले सागर में ही सामने आया था। तत्कालीन डीन डॉ. एससी तिवारी के कार्यकाल में तत्कालीन प्रशासनिक अधिकारी आरआरएस रघुवंशी ने यह गड़बड़ी पकड़ी थी। इसके बाद अन्य कॉलेजों में भी इसी तरह का फर्जीवाड़ा सामने आया। इसमें विद्यार्थियों की फोटो, हैंडराइटिंग और फिंगरप्रिंट के निशान मैच न होने के कारण पीएमटी फर्जीवाड़े में छात्र पकड़े गए थे। इसके बाद प्रदेशभर में पीएमटी में सामूहिक नकल, दूसरे प्रदेशों से साल्वर बुलाने तथा छात्र की जगह दूसरे छात्रों के परीक्षा देने का खुलासा हुआ। सागर में ऐसे करीब 85 मामले सामने आए थे।
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आदेश आ गया है, कमेटी बनाकर प्रवेश निरस्त होंगे
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार नकलची विद्यार्थियों के प्रवेश निरस्त करने संबंधी आदेश मंगलवार शाम को शासन की ओर से आया है। इसमें कमेटी बनाकर प्रवेश निरस्त करने, टीसी सहित अन्य दस्तावेज सौंपने के निर्देश हैं। मामले में कॉलेज प्रबंधन कमेटी बनाकर ऐसे मामलों का परीक्षण कराएगा, जो कोर्ट तक गए थे।
- डॉ. मनीष जैन, उप अधीक्षक एवं मीडिया अधिकारी, बीएमसी