भास्कर संवाददाता| नरसिंहगढ़ ब्लॉक के कुरावर में शासकीय हायर सेकंडरी स्कूल में पढ़ाई और प्रैक्टिकल के कार्य में लापरवाही बरतने पर 2 शिक्षकों पर कार्रवाई हुई है। इनमें एक को निलंबित किया गया है, जबकि दूसरे की संविदा अवधि 1 साल के लिए बढ़ा दी गई है।
कार्रवाई 17 जनवरी 2017 को लोक शिक्षण संचालनालय के अपर संचालक के निरीक्षण के दौरान पाई गई अनियमितता के आधार पर की गई है। जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय ने संविदा शिक्षक वर्ग-2 लालाराम मीणा की संविदा अवधि 1 साल के लिए बढा दी है और सहायक अध्यापक सुरेश देशवाली को निलंबित कर दिया है। जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के आदेश के मुताबिक निरीक्षण के दौरान कक्षा 9 में लालाराम मीणा का पीरियड था। लेकिन वे वहां नहीं थे। जबकि उस दिन उन्हें स्कूल में सुबह 9.50 से शुरू होने वाली गणित की रेमेडियल कक्षा भी लेनी थी और वे सुबह 11.30 बजे तक स्कूल में नहीं थे।
पूरे साल में इतने प्रैक्टिकल हुए
कक्षा 10 ए- 30 जुलाई 2016 और 2 अगस्त 2016
कक्षा 10 बी- 26 नवंबर 2016
कक्षा 10 सी- 30 नवंबर 2016
कक्षा 10 डी- 1 दिसंबर 2016
अपर संचालक के निर्देश पर कार्रवाई
पिछले महीने लोक शिक्षण संचालनालय के अपर संचालक ने कुरावर उमावि में निरीक्षण किया था। उस दौरान अनियमितता के दोषी पाए गए 2 शिक्षकों पर अलग-अलग कार्रवाई हुई है। कक्षा 10 के प्रैक्टिकल नहीं हुए थे और कक्षा 9 के करीब 15 विद्यार्थी स्कूल में इधर-उधर घूम रहे थे। उन्हें पढ़ाने वाले शिक्षक स्कूल में नहीं थे। एसके मिश्रा, डीईओ राजगढ़।
रोज नहीं कराए जाते भौतिकी और रसायन के प्रैक्टिकल
बात केवल कुरावर के शासकीय उमावि की नहीं है। बल्कि ब्लॉक के ज्यादातर हाई और हायर सेकंडरी स्कूलों में विज्ञान के प्रैक्टिकल बुरे हाल में हैं। जीव विज्ञान, भौतिकी और रसायन के प्रैक्टिकल नियमित करवाए ही नहीं जाते। प्राइवेट स्कूलों में भी ज्यादातर में केवल नाम के लिए विज्ञान विषय विद्यार्थियों को दे दिया गया है। लगातार प्रैक्टिकल होते नहीं हैं और शिक्षा विभाग के अधिकारियों और प्रशासन ने कभी इसपर ध्यान नहीं दिया है।
विद्यार्थियों के हस्ताक्षर एक जैसे, पूरे साल नहीं करवाए प्रैक्टिकल
दूसरा मामला सहायक अध्यापक सुरेश देशवाली का था। जिन्हें शैक्षणिक सत्र 2016-17 में विज्ञान के प्रैक्टिकल में अनियमितता का दोषी पाया गया। जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के आदेश के मुताबिक देशवाली ने जो रिकार्ड बताया, उसमें जिन विद्यार्थियों की उपस्थिति के हस्ताक्षर दर्शाए गए हैं, वे सब एक जैसे दिख रहे हैं। इसके अलावा प्रैक्टिकल में ज्यादातर विद्यार्थी मौजूद ही नहीं थे।
कार्रवाई 17 जनवरी 2017 को लोक शिक्षण संचालनालय के अपर संचालक के निरीक्षण के दौरान पाई गई अनियमितता के आधार पर की गई है। जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय ने संविदा शिक्षक वर्ग-2 लालाराम मीणा की संविदा अवधि 1 साल के लिए बढा दी है और सहायक अध्यापक सुरेश देशवाली को निलंबित कर दिया है। जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के आदेश के मुताबिक निरीक्षण के दौरान कक्षा 9 में लालाराम मीणा का पीरियड था। लेकिन वे वहां नहीं थे। जबकि उस दिन उन्हें स्कूल में सुबह 9.50 से शुरू होने वाली गणित की रेमेडियल कक्षा भी लेनी थी और वे सुबह 11.30 बजे तक स्कूल में नहीं थे।
पूरे साल में इतने प्रैक्टिकल हुए
कक्षा 10 ए- 30 जुलाई 2016 और 2 अगस्त 2016
कक्षा 10 बी- 26 नवंबर 2016
कक्षा 10 सी- 30 नवंबर 2016
कक्षा 10 डी- 1 दिसंबर 2016
अपर संचालक के निर्देश पर कार्रवाई
पिछले महीने लोक शिक्षण संचालनालय के अपर संचालक ने कुरावर उमावि में निरीक्षण किया था। उस दौरान अनियमितता के दोषी पाए गए 2 शिक्षकों पर अलग-अलग कार्रवाई हुई है। कक्षा 10 के प्रैक्टिकल नहीं हुए थे और कक्षा 9 के करीब 15 विद्यार्थी स्कूल में इधर-उधर घूम रहे थे। उन्हें पढ़ाने वाले शिक्षक स्कूल में नहीं थे। एसके मिश्रा, डीईओ राजगढ़।
रोज नहीं कराए जाते भौतिकी और रसायन के प्रैक्टिकल
बात केवल कुरावर के शासकीय उमावि की नहीं है। बल्कि ब्लॉक के ज्यादातर हाई और हायर सेकंडरी स्कूलों में विज्ञान के प्रैक्टिकल बुरे हाल में हैं। जीव विज्ञान, भौतिकी और रसायन के प्रैक्टिकल नियमित करवाए ही नहीं जाते। प्राइवेट स्कूलों में भी ज्यादातर में केवल नाम के लिए विज्ञान विषय विद्यार्थियों को दे दिया गया है। लगातार प्रैक्टिकल होते नहीं हैं और शिक्षा विभाग के अधिकारियों और प्रशासन ने कभी इसपर ध्यान नहीं दिया है।
विद्यार्थियों के हस्ताक्षर एक जैसे, पूरे साल नहीं करवाए प्रैक्टिकल
दूसरा मामला सहायक अध्यापक सुरेश देशवाली का था। जिन्हें शैक्षणिक सत्र 2016-17 में विज्ञान के प्रैक्टिकल में अनियमितता का दोषी पाया गया। जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के आदेश के मुताबिक देशवाली ने जो रिकार्ड बताया, उसमें जिन विद्यार्थियों की उपस्थिति के हस्ताक्षर दर्शाए गए हैं, वे सब एक जैसे दिख रहे हैं। इसके अलावा प्रैक्टिकल में ज्यादातर विद्यार्थी मौजूद ही नहीं थे।