भास्कर संवाददाता | खालवा आदिवासी ब्लाॅक खालवा के शिक्षकों को समय पर वेतन नहीं मिल पा रहा है।
इसका कारण आदिम जाति कल्याण विभाग के सहायक आयुक्त की मनमानी बताई जा रही
है। प्रदेश शासन के एक आदेश के तहत संकुल प्राचार्यों से डीडीओ पावर लेकर
बीईओ को दिए जाने थे।
अन्य ब्लाॅक में यह पावर हस्तांतरित कर दिए गए लेकिन खालवा के पावर एसी ने नियम विरुद्ध अपने पास ही रखे हैं। उनकी लापरवाही के कारण शिक्षकों को दो-दो माह बाद वेतन मिल रहा है। हालांकि खालवा में बीईओ का पद नहीं है, किंतु बीडीओ को यह पावर देना चाहिए था। प्रदेश के अन्य आदिवासी ब्लाॅकों में भी यह प्रक्रिया पूर्ण हो चुकी है।
शिक्षक संघ के अनुसार संचालनालय लोक शिक्षण भोपाल ने 28 फरवरी 2015 को एक आदेश जारी किया था जिसमें प्रदेश की शासकीय प्राथमिक, माध्यमिक, हाईस्कूल तथा हायर सेकंडरी स्कूलों के शिक्षकों के वेतन सहित अन्य आहरण, संवितरण अधिकार संकुल प्राचार्यों से लेकर ब्लाॅक शिक्षा अधिकारियों को हस्तांतरित किया जाना था। इसके बाद जिला शिक्षा अधिकारी खंडवा द्वारा 31 मार्च को जिले के सभी आहरण संवितरण अधिकारियों को पत्र लिखकर 1 अप्रैल 2015 से व्यवस्था हस्तांतरित करने के आदेश जारी किए थे। खालवा ब्लाक में यह आदेश नौ माह बाद भी प्रभावहीन हैं। संकुल प्राचार्यों से आहरण अधिकार लेकर आजाक एसी ने अपने पास ही रखे जो नियमानुसार गलत है। उनकी लापरवाही से शिक्षकों को वेतन दो से तीन माह तक नहीं मिल पा रहा है।
जिले में सबसे ज्यादा स्कूल खालवा में - जिले के 7 ब्लाॅक में से खालवा सबसे बड़ा ब्लाक है। जिले के छह ब्लाक में 70 हाईस्कूल, 56 हायर सेकंडरी स्कूल हैं जबकि अकेले खालवा ब्लाॅक में 43 हाई और हायर सेकंडरी स्कूल हैं। शिक्षकों की संख्या भी ज्यादा है। इस संबंधी एसी गणेश भाबर से मोबाइल पर कई बार संपर्क करने का प्रयास किया लेकिन उन्होंने रिसीव नहीं किया।
ब्लाॅक में बीईओ का पद ही नहीं
खालवा ब्लाॅक के गठन के बाद से ही यहां ब्लाॅक शिक्षा अधिकारी का पद ही नहीं बनाया गया। शिक्षा विभाग ने भी अब तक इस ओर ध्यान नहीं दिया। आदिम जाति कल्याण सहायक आयुक्त इसकी आड़ लेकर वेतन के डीडीओ पावर अपने पास रखे हुए हैं। जबकि बीईओ नहीं होने पर यह पावर बीडीओ (जनपद) को दिए जाने चाहिए थे। स्कूली शिक्षा मंत्री के गृह क्षेत्र में ही शिक्षक अव्यवस्था का शिकार हैं।
अन्य ब्लाॅक में यह पावर हस्तांतरित कर दिए गए लेकिन खालवा के पावर एसी ने नियम विरुद्ध अपने पास ही रखे हैं। उनकी लापरवाही के कारण शिक्षकों को दो-दो माह बाद वेतन मिल रहा है। हालांकि खालवा में बीईओ का पद नहीं है, किंतु बीडीओ को यह पावर देना चाहिए था। प्रदेश के अन्य आदिवासी ब्लाॅकों में भी यह प्रक्रिया पूर्ण हो चुकी है।
शिक्षक संघ के अनुसार संचालनालय लोक शिक्षण भोपाल ने 28 फरवरी 2015 को एक आदेश जारी किया था जिसमें प्रदेश की शासकीय प्राथमिक, माध्यमिक, हाईस्कूल तथा हायर सेकंडरी स्कूलों के शिक्षकों के वेतन सहित अन्य आहरण, संवितरण अधिकार संकुल प्राचार्यों से लेकर ब्लाॅक शिक्षा अधिकारियों को हस्तांतरित किया जाना था। इसके बाद जिला शिक्षा अधिकारी खंडवा द्वारा 31 मार्च को जिले के सभी आहरण संवितरण अधिकारियों को पत्र लिखकर 1 अप्रैल 2015 से व्यवस्था हस्तांतरित करने के आदेश जारी किए थे। खालवा ब्लाक में यह आदेश नौ माह बाद भी प्रभावहीन हैं। संकुल प्राचार्यों से आहरण अधिकार लेकर आजाक एसी ने अपने पास ही रखे जो नियमानुसार गलत है। उनकी लापरवाही से शिक्षकों को वेतन दो से तीन माह तक नहीं मिल पा रहा है।
जिले में सबसे ज्यादा स्कूल खालवा में - जिले के 7 ब्लाॅक में से खालवा सबसे बड़ा ब्लाक है। जिले के छह ब्लाक में 70 हाईस्कूल, 56 हायर सेकंडरी स्कूल हैं जबकि अकेले खालवा ब्लाॅक में 43 हाई और हायर सेकंडरी स्कूल हैं। शिक्षकों की संख्या भी ज्यादा है। इस संबंधी एसी गणेश भाबर से मोबाइल पर कई बार संपर्क करने का प्रयास किया लेकिन उन्होंने रिसीव नहीं किया।
ब्लाॅक में बीईओ का पद ही नहीं
खालवा ब्लाॅक के गठन के बाद से ही यहां ब्लाॅक शिक्षा अधिकारी का पद ही नहीं बनाया गया। शिक्षा विभाग ने भी अब तक इस ओर ध्यान नहीं दिया। आदिम जाति कल्याण सहायक आयुक्त इसकी आड़ लेकर वेतन के डीडीओ पावर अपने पास रखे हुए हैं। जबकि बीईओ नहीं होने पर यह पावर बीडीओ (जनपद) को दिए जाने चाहिए थे। स्कूली शिक्षा मंत्री के गृह क्षेत्र में ही शिक्षक अव्यवस्था का शिकार हैं।