भोपाल, (मनीष शर्मा) : प्रदेश में मौजूदा शिक्षा सत्र
2016-17 से ही कक्षा पांचवीं-आठवीं की बोर्ड परीक्षाएं की जा सकती है।
राज्य शिक्षा मंडल सलाहकार बोर्ड (कैब) की बैठक में सहमति बनने के बाद
स्कूल शिक्षा विभाग ने परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी है। इंतजार सिर्फ
केंद्र सरकार के निर्देशों का है।
सूत्रों का कहना है कि परीक्षा से डेढ़ माह पहले भी केन्द्र यदि मंजूरी दे देता है तो पालन करा लिया जाएगा। हालांकि राज्य शिक्षा केंद्र को बोर्ड आधारित परीक्षा कराने की तैयारी के मौखिक निर्देश ही मिले हैं।
विभागीय अधिकारी बताते हैं कि प्रदेश में दोनों परीक्षाएं पिछले दो साल से बोर्ड पैटर्न पर कराई जा रही हैं। इसलिए तैयारी में न तो वक्त लगेगा और न अतिरिक्त खर्च। सिर्फ व्यवस्थाओं में कुछ परिवर्तन करना पड़ेगा, जो केंद्र से निर्देश मिलने पर किया जाएगा। विभाग में कॉपियां जांचने के शुल्क की प्रतिपूर्ति के लिए द्वितीय अनुपूरक बजट में राशि का प्रावधान करने पर विचार चल रहा है। अधिकारियों का कहना है कि राज्यों की जल्दी को देखते हुए संसद के शीतकालीन सत्र में केंद्र सरकार आरटीई की धारा-30 में संशोधन कर सकती है।
उल्लेखनीय है कि इस धारा में कक्षा पहली से आठवीं तक किसी भी बच्चे को फेल नहीं करने का प्रावधान है। प्रदेश में तत्कालीन स्कूल शिक्षामंत्री स्व.लक्ष्मणसिंह गौड़ के कार्यकाल में वर्ष 2008 में दोनों परीक्षाओं को बोर्ड से मुक्त कर दिया था, जबकि आरटीई कानून अप्रैल 2010 में लागू हुआ है। इन परीक्षाओं को बोर्ड से मुक्त करने से छात्रों-शिक्षकों का परफार्मेंस के साथ ही हाईस्कूल का रिजल्ट खराब हुआ है। वर्तमान में राज्य सरकार दो साल से बोर्ड पैटर्न पर दोनों परीक्षाएं करा रही है। वर्तमान में राज्य स्तर से पेपर तैयार कर संकुल प्राचार्यों को सीडी भेजी जाती है।
वे पेपर छपवाते हैं। स्कूल में ही परीक्षा होती है और संकुल बदलकर कॉपियां चैक कराई जाती हैं तथा स्कूल स्तर पर ही रिजल्ट जारी करते हैं। इस संबंध में स्कूल शिक्षा राज्यमंत्री दीपक जोशी का कहना है कि विभाग बोर्ड पैटर्न पर दो साल से परीक्षा करा रहे हैं। इसलिए बच्चों को तैयारी कराने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
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सूत्रों का कहना है कि परीक्षा से डेढ़ माह पहले भी केन्द्र यदि मंजूरी दे देता है तो पालन करा लिया जाएगा। हालांकि राज्य शिक्षा केंद्र को बोर्ड आधारित परीक्षा कराने की तैयारी के मौखिक निर्देश ही मिले हैं।
विभागीय अधिकारी बताते हैं कि प्रदेश में दोनों परीक्षाएं पिछले दो साल से बोर्ड पैटर्न पर कराई जा रही हैं। इसलिए तैयारी में न तो वक्त लगेगा और न अतिरिक्त खर्च। सिर्फ व्यवस्थाओं में कुछ परिवर्तन करना पड़ेगा, जो केंद्र से निर्देश मिलने पर किया जाएगा। विभाग में कॉपियां जांचने के शुल्क की प्रतिपूर्ति के लिए द्वितीय अनुपूरक बजट में राशि का प्रावधान करने पर विचार चल रहा है। अधिकारियों का कहना है कि राज्यों की जल्दी को देखते हुए संसद के शीतकालीन सत्र में केंद्र सरकार आरटीई की धारा-30 में संशोधन कर सकती है।
उल्लेखनीय है कि इस धारा में कक्षा पहली से आठवीं तक किसी भी बच्चे को फेल नहीं करने का प्रावधान है। प्रदेश में तत्कालीन स्कूल शिक्षामंत्री स्व.लक्ष्मणसिंह गौड़ के कार्यकाल में वर्ष 2008 में दोनों परीक्षाओं को बोर्ड से मुक्त कर दिया था, जबकि आरटीई कानून अप्रैल 2010 में लागू हुआ है। इन परीक्षाओं को बोर्ड से मुक्त करने से छात्रों-शिक्षकों का परफार्मेंस के साथ ही हाईस्कूल का रिजल्ट खराब हुआ है। वर्तमान में राज्य सरकार दो साल से बोर्ड पैटर्न पर दोनों परीक्षाएं करा रही है। वर्तमान में राज्य स्तर से पेपर तैयार कर संकुल प्राचार्यों को सीडी भेजी जाती है।
वे पेपर छपवाते हैं। स्कूल में ही परीक्षा होती है और संकुल बदलकर कॉपियां चैक कराई जाती हैं तथा स्कूल स्तर पर ही रिजल्ट जारी करते हैं। इस संबंध में स्कूल शिक्षा राज्यमंत्री दीपक जोशी का कहना है कि विभाग बोर्ड पैटर्न पर दो साल से परीक्षा करा रहे हैं। इसलिए बच्चों को तैयारी कराने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
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