ग्वालियर। नईदुनिया प्रतिनिधि
गरीब बच्चे भी शहर के महंगे प्राइवेट स्कूलों में पढ़कर अपने सपने साकार कर सकें। इसके लिए शासन ने जोर शोर से शिक्षा का अधिकार (आरटीई) कानून लागू किया था। लेकिन प्रचार-प्रसार के अभाव व प्रशासनिक उदासीनता इस महात्वाकांक्षी योजना को पलीता लगाने का काम कर रही है। क्योंकि जिले की 25% सीटें तो क्या 10% सीटें भी आरटीई के तहत नहीं भर रही हैं।
गरीब बच्चे भी शहर के महंगे प्राइवेट स्कूलों में पढ़कर अपने सपने साकार कर सकें। इसके लिए शासन ने जोर शोर से शिक्षा का अधिकार (आरटीई) कानून लागू किया था। लेकिन प्रचार-प्रसार के अभाव व प्रशासनिक उदासीनता इस महात्वाकांक्षी योजना को पलीता लगाने का काम कर रही है। क्योंकि जिले की 25% सीटें तो क्या 10% सीटें भी आरटीई के तहत नहीं भर रही हैं।