जबलपुर। इंजीनियरिंग एवं पॉलिटेक्निक कॉलेजों में पढ़ाने वाले अतिथि शिक्षकों को बिना किसी कारण के 11 महीने में हटाने की प्रक्रिया को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट द्वारा स्थगित कर दिया गया है। उच्च न्यायालय ने एक अंतरिम आदेश जारी किया है जिसके तहत याचिका के फैसले अथवा नई चयन प्रक्रिया जारी होने तक गेस्ट फैकल्टी को नहीं हटाया जा सकता।
उज्जैन के अतिथि विद्वानों की याचिका पर हाई कोर्ट का स्थगन आदेश
मुख्य
न्यायाधीश रवि मलिमठ व न्यायमूर्ति पुरुषेंद्र कुमार कौरव की युगलपीठ ने
तकनीकी शिक्षा विभाग के सचिव, तकनीकी शिक्षा संचालनालय के आयुक्त, शासकीय
इंजीनियरिंग कालेज उज्जैन, पालिटेक्निक कालेज उज्जैन व AICTE को नोटिस जारी
कर जवाब मांगा है। मामलेे पर अगली सुनवाई 26 अप्रैल को निर्धारित की गई
है। याचिकाकर्ता रेखा सिंह, पायल परमार, रूपेश रैकवार सहित उज्जैन के
इंजीनियरिंग व पालिटेक्निक कालेज में पदस्थ 21 गेस्ट फैकल्टीज की ओर से
अधिवक्ता प्रशांत चौरसिया व संतोष आनंद ने पक्ष रखा।
नई नियुक्ति से पहले अतिथि विद्वानों को नहीं हटा सकते- सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन
उन्होंने
दलील दी कि उच्च शिक्षा विभाग द्वारा 27 जनवरी, 2022 को जारी वह परिपत्र
चुनौती के योग्य है, जिसके जरिये आगामी सत्र से अतिथि विद्वानों की
नियुक्ति केवल 11 माह के लिए होगी। याचिकाकर्ता अतिथि विद्वान कई वर्षों से
पदस्थ हैं। उक्त दोनों संस्थाएं राजीव गांधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय
से संबद्ध है। इस परिपत्र के कारण वर्तमान में पदस्थ अतिथि विद्वानों को
हटाया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के अनुसार जब तक नई चयन
प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती तब तक फैकल्टीज को हटाया नहीं जा सकता।
इसके
अलावा वर्तमान फैकल्टी को नियुक्ति प्रक्रिया में प्राथमिकता देने का भी
दिशा-निर्देश हैं। इसके अलावा यह मांग भी की गई कि विश्वविद्यालय अनुदान
आयोग की गाइडलाइन के अनुसार गेस्ट फैकल्टीज को अधिकतम 50 हजार रुपये वेतन
दिया जाए। अभी कालखंड के हिसाब से वेतन मिलता है और वह अधिकतम 30 हजार
रुपये है। पूरा मामला समझने के बाद अंतरिम रोक लगा दी गई। उम्मीद जताई जा
रही है कि इंसाफ मिलेगा।