हरियाणा में 60 से अधिक इंजीनियरिंग और पॉलिटेक्निक कॉलेजों पर पिछले लगभग
छह-सात वर्षों में ताले लटक चुके हैं। प्लेसमेंट की वजह से लगातार दाखिला
कम होने की वजह से कॉलेज संचालकों ने इन्हें बंद करने में ही भलाई समझी।
सरकारी सेक्टर के इंजीनियरिंग और पॉलिटेक्निक कॉलेजों में भी बड़ी संख्या
में सीटें खाली हैं। राज्य के तकनीकी शिक्षा मंत्री अनिल विज ने इस पर
संज्ञान लेते हुए अलग-अलग सेक्टर के विशेषज्ञों की एक उच्च स्तरीय कमेटी का
गठन किया है।
तकनीकी शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव अंकुर गुप्ता की अध्यक्षता वाली इस कमेटी में विभाग के महानिदेशक ए़ श्रीनिवास, पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज, चंडीगढ़ के निदेशक, स्किल डेवलपमेंट मिशन के प्रबंध निदेशक, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद के निदेशक, चंडीगढ़ के सेक्टर-26 स्थित टीचर ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट के प्रिंसिपल तथा एचएसआईआईडीसी के प्रबंध निदेशक को इस कमेटी में बतौर सदस्य शामिल किया है। यह कमेटी इंजीनियरिंग सेक्टर के प्रति विद्यार्थियों के घटते रुझान के कारणों पर काम करेगी और प्लेसमेंट बढ़ाने पर अपने सुझाव देगी।
इंजीनियरिंग व पॉलिटेक्निक कॉलेजों में नये कोर्स भी शुरू होंगे। ये कोर्स मार्केट की डिमांड के अनुसार होंगे ताकि डिग्री व डिप्लोमा करने के बाद विद्यार्थियों की आसानी से प्लेसमेंट हो सके। प्रदेशभर में सरकारी व प्राइवेट मिलाकर कुल 135 इंजीनियरिंग तथा 139 पॉलिटेक्निक कॉलेज हैं। ये वे कॉलेज हैं, जो वर्तमान में चल रहे हैं। 60 से अधिक कॉलेज बंद हो चुके हैं। जिन लोगों ने कॉलेज बंद किए, उनमें से काफी फार्मेसी में डिग्री व डिप्लोमा कॉलेजों में शिफ्ट हो चुके हैं।
ऐसे भी कई उदाहरण हैं कि लोगों ने कॉलेज बंद करके बिल्डिंग को बैंक्वट हॉल में बदल दिया। इसी तरह से बहुत से कॉलेज संचालक बीएड और जेबीटी में शिफ्ट कर गये हैं। सरकारी सेक्टर के चार ही इंजीनियरिंग कॉलेज प्रदेश में हैं। इनमें सिरसा के पन्नीवाला मोटा में सबसे पुराना कॉलेज है।
वहीं रेवाड़ी, झज्जर व नीलोखेड़ी में नये इंजीनियरिंग कॉलेज खोले गये। इन चारों ही कॉलेजों में दाखिले काफी कम हैं। इसका एक कारण यह भी है कि नये कॉलेजों में अभी तक स्टाफ ही नियुक्त नहीं हो सका है।
तकनीकी शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव अंकुर गुप्ता की अध्यक्षता वाली इस कमेटी में विभाग के महानिदेशक ए़ श्रीनिवास, पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज, चंडीगढ़ के निदेशक, स्किल डेवलपमेंट मिशन के प्रबंध निदेशक, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद के निदेशक, चंडीगढ़ के सेक्टर-26 स्थित टीचर ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट के प्रिंसिपल तथा एचएसआईआईडीसी के प्रबंध निदेशक को इस कमेटी में बतौर सदस्य शामिल किया है। यह कमेटी इंजीनियरिंग सेक्टर के प्रति विद्यार्थियों के घटते रुझान के कारणों पर काम करेगी और प्लेसमेंट बढ़ाने पर अपने सुझाव देगी।
इंजीनियरिंग व पॉलिटेक्निक कॉलेजों में नये कोर्स भी शुरू होंगे। ये कोर्स मार्केट की डिमांड के अनुसार होंगे ताकि डिग्री व डिप्लोमा करने के बाद विद्यार्थियों की आसानी से प्लेसमेंट हो सके। प्रदेशभर में सरकारी व प्राइवेट मिलाकर कुल 135 इंजीनियरिंग तथा 139 पॉलिटेक्निक कॉलेज हैं। ये वे कॉलेज हैं, जो वर्तमान में चल रहे हैं। 60 से अधिक कॉलेज बंद हो चुके हैं। जिन लोगों ने कॉलेज बंद किए, उनमें से काफी फार्मेसी में डिग्री व डिप्लोमा कॉलेजों में शिफ्ट हो चुके हैं।
ऐसे भी कई उदाहरण हैं कि लोगों ने कॉलेज बंद करके बिल्डिंग को बैंक्वट हॉल में बदल दिया। इसी तरह से बहुत से कॉलेज संचालक बीएड और जेबीटी में शिफ्ट कर गये हैं। सरकारी सेक्टर के चार ही इंजीनियरिंग कॉलेज प्रदेश में हैं। इनमें सिरसा के पन्नीवाला मोटा में सबसे पुराना कॉलेज है।
वहीं रेवाड़ी, झज्जर व नीलोखेड़ी में नये इंजीनियरिंग कॉलेज खोले गये। इन चारों ही कॉलेजों में दाखिले काफी कम हैं। इसका एक कारण यह भी है कि नये कॉलेजों में अभी तक स्टाफ ही नियुक्त नहीं हो सका है।