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शिक्षक भर्ती घोटाले में वर्ष 2009-10 में भर्ती शिक्षक और 2011 में नियुक्ति लेने वाले शिक्षकों की भी जांच शुरू

भास्कर संवाददाता | बुरहानपुर  जिले के बहुचर्चित शिक्षक भर्ती घोटाले में वर्ष 2009-10 में भर्ती शिक्षक और 2011 में नियुक्ति लेने वाले शिक्षकों की भी जांच शुरू हो गई है। बुधवार को जिला पंचायत में जांच के लिए 100 से ज्यादा शिक्षकों को बुलाया था लेकिन पहले दिन करीब 50 शिक्षक ही पहुंचे। सभी शिक्षकों के नियुक्ति और शैक्षणिक योग्यता संबंधी दस्तावेजों तथा उनकी फोटोकॉपी मांगी गई थी। शिक्षकों द्वारा दिए गए दस्तावेजों की जांच की जाएगी।


शिक्षकों के अध्यापक संवर्ग से शिक्षा विभाग में संविलियन के समय दस्तावेजाें की जांच की गई थी। इसमें सामने आया कि 2009-10 में जितने शिक्षकों की भर्ती के लिए शासन ने निविदा बुलाई थी, उससे ज्यादा शिक्षकों को नियुक्ति दी गई है। कई शिक्षकों को 2011 में भी नियुक्ति पत्र दिए गए। ऐसे सभी शिक्षक अब जांच के घेरे में हैं। संविलियन को भी फिलहाल रोक दिया गया है। शिक्षकों ने जो भी दस्तावेज प्रस्तुत किए हैं, उनकी जांच होगी। पात्रता परीक्षा अंकसूची, बीएड-डीएड, स्नातक और अन्य अंकसूची को सत्यापन के लिए संबंधित विभाग को भेजा जाएगा। इसमें किसी तरह की अनियमितता या फर्जी दस्तावेज मिलने पर सेवा समाप्ति की कार्रवाई की जाएगी। जांच के लिए जिला पंचायत ने पांच सदस्यीय दल बनाया है। यह दल शिक्षकों की कक्षा 10वीं, 12वीं, स्नातक, स्नातकोत्तर की अंकसूची, डीएड, बीएड, व्यापम की अंकसूची, नियुक्ति आदेश, शाला में कार्यभार ग्रहण प्रतिवेदन, संविलियन आदेश, अंतर निकाय संबंधी आदेश, स्थानांतरण आदेश, प्रथम वेतन जमा होने वाली बैंक पासबुक और संविदा अनुबंध दस्तावेजों की जांच करेगा।

200 से ज्यादा शिक्षकों की जांच, 78 की सेवा समाप्त

फर्जी दस्तावेज प्रस्तुत कर नियुक्ति लेने के मामले में अब तक 200 से ज्यादा शिक्षकों की जांच हो चुकी है। इन शिक्षकों के नियुक्ति संबंधी सभी दस्तावेज विभाग खंगाल चुका है। इनमें से 78 शिक्षकों की सेवा समाप्त की जा चुकी है। सात शिक्षकों सहित जनपद पंचायत सीईओ अनिल पवार, लिपिक ज्योति खत्री एवं अन्य दो लिपिकों पर एफआईआर हुई है। पुलिस इस मामले में जांच कर रही है। मामले का मुख्य सूत्रधार लिपिक ज्योति खत्री अब भी फरार है। पुलिस उसकी गिरफ्तारी नहीं कर पाई है।

जनपद पंचायत से नियुक्ति संबंधी दस्तावेज गायब

फर्जी दस्तावेज देकर नियुक्ति की जांच के लिए शिक्षकों से ही दस्तावेज बुलाए जा रहे हैं। इसका कारण जनपद पंचायत में शिक्षक भर्ती संबंधी सभी दस्तावेज गायब हैं। एक साल पहले जब भर्ती घोटाला सामने आया तो जनपद पंचायत से भर्ती संबंधी दस्तावेज गायब हो गए थे। शिक्षा विभाग में भी नियुक्ति संबंधी कई दस्तावेज नहीं मिल सके हैं। 

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