ग्वालियर. प्रदेश में हाल ही में शिक्षकों के थोक में
तबादले (Bulk Transfers) हुए हैं. तबादलों के चलते कई स्कूलों में शिक्षकों
(Teachers) की कमी हो गई हैं, तो कई स्कूलों में छात्र (Students) संख्या
के बराबर शिक्षक तैनात कर दिए गए हैं. जिन स्कूलों में शिक्षक नहीं हैं
वहां स्कूलों में ताले लटके हैं, तो जिन स्कूलों में बच्चे कम हैं वहां
शिक्षक फुर्सत में वक्त काटते नजर आ रहे हैं. स्कूलों के बिगड़े हालातों को
लेकर कलेक्टर ने पदस्थापना की विसंगतियां दूर करने के लिए जिला शिक्षा
विभाग (District Education department) को निर्देश दिए गए हैं.
शिक्षक छात्र अनुपात में विसंगति
ग्वालियर जिले में प्राइमरी, मिडिल और हायर सेकेंडरी स्कूल मिलाकर 1973 स्कूल हैं. इनमें 25 फीसदी स्कूल ऐसे हैं जिनमें अब बमुश्किल एक-एक शिक्षक ही रह गए हैं. शिक्षा का अधिकार अधिनियम (Right to Education) के तहत 40 बच्चों पर एक शिक्षक तैनात होना चाहिए. ग्रामीण इलाकों में 450 से ज्यादा स्कूल ऐसे हैं जिनमें छात्र संख्या 50 से लेकर 100 के बीच में है, लेकिन इनमें मात्र एक शिक्षक पदस्थ है. लिहाजा शिक्षक नहीं पहुंचे तो स्कूलों में ताले लटके रहते हैं. वहीं ग्वालियर शहर के कसेरा ओली प्राथमिक स्कूल में 15 बच्चों को पढ़ाने के लिए 4 शिक्षकों की तैनाती की गई है. तो उधर 1952 में शुरु हुए रमटापुरा प्रायमरी स्कूल में बच्चों की संख्या महज 8 है. इनको पढ़ाने के लिए यहां चार शिक्षक तैनात हैं. पढ़ने के लिए एक-दो बच्चे से ज्यादा आते नहीं हैं.
450 से ज्यादा स्कूलों में 1-1 शिक्षक
ग्रामीण इलाकों में तैनात शिक्षकों ने बड़ी तादाद में शहरी स्कूलों में तबादले करवा लिए हैं. यही वजह है कि कम बच्चों की संख्या वाले शहरी स्कूलों में शिक्षकों की तादाद ज्यादा हो गई है. तो वहीं ग्रामीण इलाकों के साढ़े चार सौ से ज्यादा प्रायमरी स्कूल एक ही शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं. दरअसल ये गड़बड़ी ऑनलाइन ट्रांसफर के चलते हुई है. ऑनलाइन ट्रांसफर प्रक्रिया के चलते शिक्षकों के तबादले गाइड लाइन के हिसाब से नहीं हुए हैं. यदि यह ट्रांसफर मैनुअल होते तो स्थानीय प्रशासन इस बात को समझ सकता कि किस स्कूल में कितनी छात्र संख्या है और वहां पहले से कितने शिक्षकों की पदस्थापना है. बिगड़े हालातों को सुधारने के लिए कलेक्टर ने शिक्षकों की पदस्थापना विसंगति दूर करने के लिए जिला शिक्षा विभाग को निर्देश दिए हैं.
सरकारी स्कूलों में शिक्षा स्तर सुधारने की कवायद में जुटी सरकार के सामने थोक में हुए ट्रांसफर ने मुश्किलें खड़ी कर दी है. ग्वालियर जिले में 450 से ज्यादा स्कूल एक शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं. तो वहीं 225 स्कूलों में बिजली कनेक्शन नही हो पाया है. इन हालातों में शिक्षा स्तर सुधारना बड़ी चुनौती बन रहा है
शिक्षक छात्र अनुपात में विसंगति
ग्वालियर जिले में प्राइमरी, मिडिल और हायर सेकेंडरी स्कूल मिलाकर 1973 स्कूल हैं. इनमें 25 फीसदी स्कूल ऐसे हैं जिनमें अब बमुश्किल एक-एक शिक्षक ही रह गए हैं. शिक्षा का अधिकार अधिनियम (Right to Education) के तहत 40 बच्चों पर एक शिक्षक तैनात होना चाहिए. ग्रामीण इलाकों में 450 से ज्यादा स्कूल ऐसे हैं जिनमें छात्र संख्या 50 से लेकर 100 के बीच में है, लेकिन इनमें मात्र एक शिक्षक पदस्थ है. लिहाजा शिक्षक नहीं पहुंचे तो स्कूलों में ताले लटके रहते हैं. वहीं ग्वालियर शहर के कसेरा ओली प्राथमिक स्कूल में 15 बच्चों को पढ़ाने के लिए 4 शिक्षकों की तैनाती की गई है. तो उधर 1952 में शुरु हुए रमटापुरा प्रायमरी स्कूल में बच्चों की संख्या महज 8 है. इनको पढ़ाने के लिए यहां चार शिक्षक तैनात हैं. पढ़ने के लिए एक-दो बच्चे से ज्यादा आते नहीं हैं.

थोक तबादलों में शहरी इलाकों में आ गए हैं ज्यादा शिक्षक
450 से ज्यादा स्कूलों में 1-1 शिक्षक
ग्रामीण इलाकों में तैनात शिक्षकों ने बड़ी तादाद में शहरी स्कूलों में तबादले करवा लिए हैं. यही वजह है कि कम बच्चों की संख्या वाले शहरी स्कूलों में शिक्षकों की तादाद ज्यादा हो गई है. तो वहीं ग्रामीण इलाकों के साढ़े चार सौ से ज्यादा प्रायमरी स्कूल एक ही शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं. दरअसल ये गड़बड़ी ऑनलाइन ट्रांसफर के चलते हुई है. ऑनलाइन ट्रांसफर प्रक्रिया के चलते शिक्षकों के तबादले गाइड लाइन के हिसाब से नहीं हुए हैं. यदि यह ट्रांसफर मैनुअल होते तो स्थानीय प्रशासन इस बात को समझ सकता कि किस स्कूल में कितनी छात्र संख्या है और वहां पहले से कितने शिक्षकों की पदस्थापना है. बिगड़े हालातों को सुधारने के लिए कलेक्टर ने शिक्षकों की पदस्थापना विसंगति दूर करने के लिए जिला शिक्षा विभाग को निर्देश दिए हैं.

ग्रामीण इलाकों में बिगड़ा शिक्षक छात्र अनुपात
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सरकारी स्कूलों में शिक्षा स्तर सुधारने की कवायद में जुटी सरकार के सामने थोक में हुए ट्रांसफर ने मुश्किलें खड़ी कर दी है. ग्वालियर जिले में 450 से ज्यादा स्कूल एक शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं. तो वहीं 225 स्कूलों में बिजली कनेक्शन नही हो पाया है. इन हालातों में शिक्षा स्तर सुधारना बड़ी चुनौती बन रहा है