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पात्रता नहीं, फिर भी कलेक्टर को प्रस्ताव भेजकर डीपीसी ने शिक्षक को बनाया बीआरसी

दमोह। नईदुनिया प्रतिनिधि
सत्ता परिवर्तन के बाद जिले में नित नए कारनामे देखने मिल रहे हैं। सबसे ज्यादा अव्यवस्था प्रशासनिक पदस्थापनाओं को लेकर देखने मिल रही है। अब हाल ही में हटा ब्लॉक में एक मामला सामने आया है, जहां पात्रता न रखने वाले एक शिक्षक शैलेंद्र सिंह राजपूत को हटा बीआरसी का प्रभार दे दिया गया है। यह प्रभारी डीपीसी केसी गौतम के प्रस्ताव पर कलेक्टर ने दिया है। कहा जा रहा है कि तात्कालिक व्यवस्था के लिए केवल अस्थाई प्रभार दिया गया है, वित्तीय प्रभार नहीं दिया गया है।

हटा बीआरसी के तौर पर टीआई कारपेंटर सेवाएं दे रहे थे। उन्हें 25 सितंबर को सर्व शिक्षा अभियान के तहत कलेक्टर का एक आदेश जारी किया गया है, जिसमें लिखा है कि टीआर कारपेंटर को 4.9.2017 को एक आदेश के तहत उन्हें शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बटियागढ़ में व्याख्याता के पद से हटा बीआरसी का अस्थाई प्रभार दिया गया। अब तत्काल प्रभाव से उनका प्रभार निरस्त कर उन्हें मूल विभाग भेजा जाता है और उनके स्थान पर प्रशासकीय कार्य की सुविधा को देखते हुए माध्यमिक स्कूल घूमा के माध्यमिक शिक्षक शैलेंद्र सिंह राजपूत को हटा बीआरसी का प्रभार दिया जाता है। उनकी वेतन व्यवस्था यथावत रहेगी। इस आदेश में इस बात का उल्लेख कहीं नहीं किया गया है कि उन्हें वित्तीय अधिकार नहीं दिए गए हैं। अब प्रभार को लेकर खामियां उजागर होने पर डीपीसी ने नया फंडा बताना शुरू कर दिया है।
क्या पूरे ब्लॉक में कोई योग्य नहीं
पात्रता न रखने वाले शिक्षक श्री राजपूत को बीआरसी का प्रभार देने के सवाल पर डीपीसी श्री गौतम का कहना है कि तात्कालिक व्यवस्था के लिए उन्हें अस्थाई प्रभार दिया गया है। उन्हें वित्तीय अधिकार नहीं दिए गए हैं और वे केवल बीआरसी का कार्य देखेंगे। जब उनसे पूछा कि ऐसा क्या हुआ कि अचानक ही बीआरसी कारपेंटर को वहां से हटाकर एक अयोग्य व्यक्ति को उस पद का प्रभार देना पड़ा तो उन्होंने कोई जबाब नहीं दिया। फिर उनसे पूछा कि क्या पूरे ब्लॉक में कोई भी ऐसा शिक्षक नहीं है, जो उस पद की पात्रता रखता है और यदि पात्र शिक्षक हैं तो श्री राजपूत को क्यों प्रभार दिया गया। इस पर उन्होंने कहा कि वह पहले एपीसी के रूप में कार्य कर चुके हैं और इतना कहने के बाद उन्होंने यह कहते हुए फोन रख दिया कि वह कुछ देर बाद बात करेंगे, लेकिन उसके बाद उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया।
यदि शिकायत आएगी तो जांच करेंगे
इस मामले में कलेक्टर तरुण राठी का कहना है कि डीपीसी के द्वारा प्रस्ताव बनाकर भेजा गया था, जिसे उन्होंने अनुमोदित कर दिया। यदि प्रभारी बीआरसी उस पद की पात्रता नहीं रखते हैं और यदि कोई शिकायत आती है तो उसकी जांच कराई जाएगी और यदि बात सही पाई जाती है तो उन्हें वहां से हटा दिया जाएगा। हालांकि उन्हें ये बताया गया है कि प्रभारी बीआरसी राजपूत को वित्तीय प्रभार नहीं दिया गया है।
ये है बीआरसी की पात्रता
शासन के नियमानुसार बीआरसी पद के लिए व्यााख्याता, मिडिल स्कूल का प्रधानअध्यापक या वरिष्ठ अध्यापक होना आवश्यक है। तभी वह बीआरसी यानी ब्लॉक स्रोत समन्वयक के पद पर रह सकता है या प्रभारी बन सकता है। वर्तमान में जिन्हें बीआरसी का प्रभार दिया गया है वह केवल अध्यापक है, जो कि इस पद की पात्रता नहीं रखते। इस नियम की जानकारी डीपीसी को भी है, लेकिन नियमों को ताक पर रखकर न जाने क्यों इस तरह से शिक्षा विभाग के प्रमुख पदों पर अपात्रों को बैठाया जा रहा है। जबकि पूरे हटा ब्लॉक में अनेक पात्र शिक्षक मौजूद हैं। 

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