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सेंधवा ब्लॉक में 59 स्कूल हैं शिक्षक विहिन

बड़वानी (सादिक अली). नए शिक्षा सत्र के पहले चरण शुक्रवार को खत्म हो गया।लेकिन इस एक माह में भी स्कूलों की हालत सुधारने के लिए कोई कदम नहीं उठाए गए हैं। अब जुलाई से नए सत्र का दूसरा और मुख्य चरण शुरू होगा लेकिन स्कूलों में न पढ़ाने वाले हैं न अन्य संसाधन ही पर्याप्त मात्रा में हैं।
सेंधवा ब्लॉक की स्थिति तो यह हैकि यहां हाईसेकंडरी से लेकर प्राथमिक स्कूलों तक में पढ़ाने वाले नहीं हैं। 59 स्कूल ऐसे हैं जिन्हें शिक्षिकविहिन श्रेणी में डाला गया है। इनमें से 6 माध्यमिक स्कूलें भी शामिल हैं। संकुल प्राचार्यों के जिम्मे इन स्कूलों में शिक्षकों की व्यवस्था करना हैं। इधर हाईस्कूलों और हाई सेकंडरी स्कूलों में भी शिक्षा का दारोमदार अतिथि शिक्षकों पर हैं।
510 प्रावि व 141 मावि
सेंधवा ब्लॉक में 510 प्राथमिक विद्यालय हैं और माध्यमिक विद्यालयों की संख्या 141 हैं। हाईसेकंडरी 11 और और हाईस्कूल 13 हैं। यानी कुल 675 स्कूलें हैं। इनमें से ज्यादातर स्कूलों में स्थाई शिक्षकों की संख्या नहीं के बराबर रह गई हैं। पिछले कुछ वर्षों से अतिथि शिक्षकों को लगाकर बच्चों को पढ़ाया जा रहा था, लेकिन पिछले सत्र में अतिथि शिक्षकों की भर्ती ही ऑन लाइन के मकडज़ाल में उलझकर रह गई थी। संकुल प्राचार्यों ने कुछ अतिथि शिक्षकों को रखा था जिनके भरोसे पूरा सेशन निकाला गया था।
59 स्कूलों में नहीं हैं शिक्षक
ब्लॉक में 6 माध्यमिक स्कूलों के अलावा कुल 59 स्कूलें ऐसी हैं जहां शिक्षिक नहीं है। लेकिन बच्चों के प्रवेश हो रखे हैं। इन बच्चों की पढ़ाई के लिए संकुल प्राचार्यों को जिम्मेदारी सौंपी गईथी। लेकिन संकुल प्राचार्यों की भी अपनी परेशानियां हैं। ब्लॉक में ज्यादातर स्कूलों में स्थाई प्रिंसिपल ही नहीं हैं।ऐसे में जिन्हें प्रभारी बनाया गया है, उन्हें ही संकुल की भी जिम्मेदारी दी गई।एक साथ दो दो स्कूलों का प्रभार भी इन प्राचार्यों को सौंपा गया था।ऐसे में यह इन संकुल प्राचार्यों को शिक्षकविहिन स्कूलों में शिक्षकों की पूर्ति करने के लिए खासी मशक्कत उठानी पड़ी। नाम न प्रकाशित करने की सूरत में एक संकुल प्राचार्यने बताया कि नियमों की मार ऐसी है कि यदि काम नहीं हुआ तो गाज गिरना तय है। काम कैसे करें इस पर आला अधिकारी भी मौन हो जाते हैं। संसाधन है नहीं मैन पॉवर है नहीं लेकिन बच्चों को पढ़ाना भी है और दूसरे काम भी करना ही है। ऐसे में स्थिति दिन प्रति दिन खराब ही होती जा रही है।
आखिरी दिन स्कूलों में लगे रहे ताले
इस सत्र से स्कूलों की शुरूआत अप्रैल माह में कर दी गईथी। एक माह तक कक्षाएं लगाने के बाद सत्र का दूसरा सेशन जुलाई से शुरू होना हैं।लेकिन एक माह के इस सत्र में स्कूलों में न शिक्षकों की मौजूदगी पूरी तरह से रही है और न ही विद्यार्थियों की। शुक्रवार को आखिरी दिन भी कई स्कूलों में ताले ही डले थे।न प्राचार्य थे, न कोई शिक्षक न विद्यार्थी। कुछ स्कूलों में चपरासी थे तो कुछ में एक दो अतिथि शिक्षक भी मौजूद थे। लेकिन स्थाई शिक्षक एक भी नहीं था। शहर की उत्कृष्ट हाईसेकंडरी कही जाने वाली स्कूल महात्मा गांधी हाईसेकंडरी स्कूल में शुक्रवार को साढ़े 11 बजे ही कौवे उड़ रहे थे। यहां एक चपरासी और दो अतिथि शिक्षक मौजूद थे। प्राचार्य के कक्ष पर ताला था ही क्लासरूम भी बंद थे।जब पूछा तो पता चला कि आज कोई आया ही नहीं।
वर्जन
स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया ऑन लाइन ही है। अतिथि शिक्षकों को भी भर्ती ऑन लाइन ही हो रही है। ब्लॉक में वाकई शिक्षकों की कमी हैं। संकुल प्राचार्य अपने स्तर पर अन्य स्कूलों के शिक्षकों को शिक्षक विहिन स्कूलों में भेज कर काम कर रहे हैं। मौजूदा संसाधनों में हर शिक्षक बेहतर काम करने का प्रयास कर रहा है।कमियों को लेकर आला अधिकारियों को पत्र लिखेंगे।
-लोकेंद्र सोहनी, बीईओ, सेंधवा 

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