सागर. डॉ. हरिसिंह गौर
केंद्रीय विवि प्रशासन कन्फर्म नहीं होने वाले शिक्षकों को भी शोध छात्र
दिलाने पर अड़ा हुआ है। पूर्व में एकेडमिक काउंसिल की बैठक में यह मांग
खारिज हो चुकी है। जानकारों की मानें तो एकेडमिक मामलों के लिए यह हाई
अथॉरिटी कमेटी होती है, जिसमें एक बार जो निर्णय ले लिया जाता है, उस पर
दोबारा विचार नहीं किया जा सकता है।
हैरानी की बात यह है कि हालही में एपीसी की बैठक में इस प्रस्ताव को अलग से रखा गया था। इसमें नए सिरे से लीगल ओपिनियन लेकर निर्णय लिए जाने की बात कही गई थी। यह प्रक्रिया भी अपनाई गई, लेकिन इसमें भी स्पष्ट बहुमत न नहीं मिला था। अब विवि प्रशासन पर्ची सिस्टम के जरिए इन्हें शोध छात्र दिलाने की तैयारी में है।
गौरतलब है कि विवि में तत्कालीन कुलपति प्रो. एनएस गजभिए के कार्यकाल में असिस्टेंट प्रोफेसर्स के ७२ पदों के विरुद्ध १७२ की नियुक्तियां की गई थीं। इस मामले की सीबीआई जांच भी चल रही है। विवि प्रशासन ने इस वजह से इन पदों पर नियुक्ति शिक्षकों को अभी तक कंफर्म नहीं किया है। नियमानुसार शोध छात्र सिर्फ कंफर्म होने वाले असिस्टेंट प्रोफेसर्स को दिए जा सकते हैं।
नई भर्ती के शिक्षक बना रहे दबाव: सूत्र
कंफर्म न होने वाले इन शिक्षकों को शोध छात्र न दिए जाने का निर्णय विवि प्रशासन पहले ही ले चुका है। सूत्रों की मानें तो नई भर्ती के तहत ज्वाइन किए गए शिक्षकों द्वारा प्रशासन पर दबाव बनाया जा रहा है। आलम यह है कि एसी की बैठक में जहां विरोध करने वाले सदस्यों की संख्या ज्यादा थी। वहीं अब गिनती के ही सदस्य बचे हैं।
...तो छात्रों का क्या?
असिस्टेंट प्रोफेसर्स की नियुक्तियों का मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन हैं। विवि प्रशासन यदि इन्हें शोध छात्र दे देता है और इस बीच यदि हाईकोर्ट नियुक्तियां निरस्त करने का आदेश जारी करता है तो एेसी स्थिति में शोध छात्रों की रिसर्च अधर में लटक सकती है। सूत्रों की मानें तो एेसा करने के लिए बैठकों में यह तर्क दिया जा रहा है कि विवि में शोध कार्य प्रभावित हो रहे हैं। इस निर्णय से विवि की स्थिति बेहतर हो जाएगी। वहीं, जानकारों की मानें तो विवि के फिजिक्स विभाग में ही १६ रिसर्च स्कॉलर्स सुपरवाइजर के अंडर में रिसर्च कर रहे हैं।
असिस्टेंट प्रोफेसर्स की नियुक्तियों का मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन हैं। विवि प्रशासन यदि इन्हें शोध छात्र दे देता है और इस बीच यदि हाईकोर्ट नियुक्तियां निरस्त करने का आदेश जारी करता है तो एेसी स्थिति में शोध छात्रों की रिसर्च अधर में लटक सकती है। सूत्रों की मानें तो एेसा करने के लिए बैठकों में यह तर्क दिया जा रहा है कि विवि में शोध कार्य प्रभावित हो रहे हैं। इस निर्णय से विवि की स्थिति बेहतर हो जाएगी। वहीं, जानकारों की मानें तो विवि के फिजिक्स विभाग में ही १६ रिसर्च स्कॉलर्स सुपरवाइजर के अंडर में रिसर्च कर रहे हैं।