देवास. मप्र शिक्षक संघ ने पूर्व में भी जब से युक्ति
युक्तकरण की सूचियां ऑनलाइन पोर्टल पर डाली जा रही है। अपै्रल 2017 से अब
तक कई बार अधिकारियों का ध्यान
विसंगतियों एवं त्रुटियों पर आकर्षित करवाने का प्रयास किया किंतु उन
त्रुटियों पर कोई ध्यान नहीं दिया गया व ऑनलाईन च्वाइस फिलिंग का अवसर दिया
गया।
जिन शिक्षकों ने ऑनलाईन च्वाइस फिलिंग की गई उन्हें कोई अन्य कारण दर्शाकर उसका पदांकन भी वहां नहीं किया गया। ऑनलाइन स्थानांतरण सूचियां पोर्टल पर डाली जा रही है, उसमें भी कई विसंगतियां हैं ।
ऐसी शालाओं में पदांकन किया जा रहा है, जहां पर दर्ज छात्र संख्या के अनुपात में शिक्षकों की आवश्यकता ही नहीं है- जैसे बराय, गाजनोद खेड़ा, जवासिया, अजीज खेड़ी, सुतली, कराडिय़ा, नायता बापचा, करमनखेड़ी ऐसी कई शालाएं हैं , जिनमें पूर्व से 2 या अधिक शिक्षक कार्य हैं वहां और शिक्षकों का युक्ति युक्तकरण के नाम पर पदांकन किया गया । प्रावि धम्मानी तो शाला ही बंद हुए लगभग तीन वर्ष हो चुके हैं, वहां भी शिक्षक का पदांकन किया गया है। प्रावि किशनगढ़ में लगभग 4-5 छात्र अध्ययनरत् हैं और 2 शिक्षक कार्यरत् हैं एक और शिक्षक का पदांकन कर दिया गया।
इसी प्रकार 100 से कम छात्र संख्या के आधार पर प्रधान अध्यापक मावि राजोदा, जेतपुरा, बीएनपी देवास, नूतन मावि देवास को अतिशेष बताकर जिन शालाओं में पदांकन किया गया उन शालाओं में से किसी भी शाला में 75-8 0 से ज्यादा छात्र संख्या नहीं हैं, तो फिर उन अध्यापकों को पूर्व की शालाओं से हटाने का नाटक क्यों किया जा रहा है, जबकि एक प्रअमावि को तो ऐसी शाला में किया गया जहां पृूर्व से प्रधान अध्यापक कार्यरत् है। यदि इसी प्रकार युक्ति युक्तरण ऑन लाईन किया जाना है, तो सर्वप्रथम पोर्टल पूर्णत: अपडेट किया जाए और उसकी एक निश्चित समयावधि तय की जाए । इस अवधि में पोर्टल अपडेट नहीं होता है तो संबंधित अधिकारी पर वैधानिक कार्यवाही करते हुए पोर्टल अपडेट किया जाए और उसके बाद कार्यरत समस्त शिक्षकों से पोर्टल पर दर्शायी गई उनकी जानकारी पूर्णत: सत्य है इस आशय का प्रमाण-पत्र लेने के बाद ही ऑनलाईन प्रक्रिया की जाए।
साथ ही यदि सारे कार्य राज्य स्तर से ही करना है तो फिर संकुल प्राचार्य, विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी, जिला शिक्षा अधिकारी की क्या आवश्यकता है क्योंकि शिक्षक जब भी इन अधिकारियों के पास अपनी समस्या लेकर जाते हैं, तब इनका एक ही जवाब रहता है कि हमारे हाथ में कुछ भी नहीं है। सारा कार्य भोपाल से ही हो रहा है। यदि शासन द्वारा इन विसंगती पूर्ण पदांकन को निरस्त नहीं किए गए तो मध्यप्रदेश शिक्षक संघ को आंदोलन के लिए बाध्य होना पड़ेगा, जिसका संपूर्ण उत्तरदायित्व प्रशासन का होगा। त्रुटीपूर्ण पदांकन सूची निरस्त करने एवं पोर्टल अपडेट करने की मांग प्रांतीय संगठन मंत्री देवकृष्ण व्यास, संभागीय उपाध्यक्ष उदलसिंह परमार, जिलाध्यक्ष शिवेश शर्मा, जिला सचिव मोहनलाल बैरागी आदि ने की है।
जिन शिक्षकों ने ऑनलाईन च्वाइस फिलिंग की गई उन्हें कोई अन्य कारण दर्शाकर उसका पदांकन भी वहां नहीं किया गया। ऑनलाइन स्थानांतरण सूचियां पोर्टल पर डाली जा रही है, उसमें भी कई विसंगतियां हैं ।
ऐसी शालाओं में पदांकन किया जा रहा है, जहां पर दर्ज छात्र संख्या के अनुपात में शिक्षकों की आवश्यकता ही नहीं है- जैसे बराय, गाजनोद खेड़ा, जवासिया, अजीज खेड़ी, सुतली, कराडिय़ा, नायता बापचा, करमनखेड़ी ऐसी कई शालाएं हैं , जिनमें पूर्व से 2 या अधिक शिक्षक कार्य हैं वहां और शिक्षकों का युक्ति युक्तकरण के नाम पर पदांकन किया गया । प्रावि धम्मानी तो शाला ही बंद हुए लगभग तीन वर्ष हो चुके हैं, वहां भी शिक्षक का पदांकन किया गया है। प्रावि किशनगढ़ में लगभग 4-5 छात्र अध्ययनरत् हैं और 2 शिक्षक कार्यरत् हैं एक और शिक्षक का पदांकन कर दिया गया।
इसी प्रकार 100 से कम छात्र संख्या के आधार पर प्रधान अध्यापक मावि राजोदा, जेतपुरा, बीएनपी देवास, नूतन मावि देवास को अतिशेष बताकर जिन शालाओं में पदांकन किया गया उन शालाओं में से किसी भी शाला में 75-8 0 से ज्यादा छात्र संख्या नहीं हैं, तो फिर उन अध्यापकों को पूर्व की शालाओं से हटाने का नाटक क्यों किया जा रहा है, जबकि एक प्रअमावि को तो ऐसी शाला में किया गया जहां पृूर्व से प्रधान अध्यापक कार्यरत् है। यदि इसी प्रकार युक्ति युक्तरण ऑन लाईन किया जाना है, तो सर्वप्रथम पोर्टल पूर्णत: अपडेट किया जाए और उसकी एक निश्चित समयावधि तय की जाए । इस अवधि में पोर्टल अपडेट नहीं होता है तो संबंधित अधिकारी पर वैधानिक कार्यवाही करते हुए पोर्टल अपडेट किया जाए और उसके बाद कार्यरत समस्त शिक्षकों से पोर्टल पर दर्शायी गई उनकी जानकारी पूर्णत: सत्य है इस आशय का प्रमाण-पत्र लेने के बाद ही ऑनलाईन प्रक्रिया की जाए।
साथ ही यदि सारे कार्य राज्य स्तर से ही करना है तो फिर संकुल प्राचार्य, विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी, जिला शिक्षा अधिकारी की क्या आवश्यकता है क्योंकि शिक्षक जब भी इन अधिकारियों के पास अपनी समस्या लेकर जाते हैं, तब इनका एक ही जवाब रहता है कि हमारे हाथ में कुछ भी नहीं है। सारा कार्य भोपाल से ही हो रहा है। यदि शासन द्वारा इन विसंगती पूर्ण पदांकन को निरस्त नहीं किए गए तो मध्यप्रदेश शिक्षक संघ को आंदोलन के लिए बाध्य होना पड़ेगा, जिसका संपूर्ण उत्तरदायित्व प्रशासन का होगा। त्रुटीपूर्ण पदांकन सूची निरस्त करने एवं पोर्टल अपडेट करने की मांग प्रांतीय संगठन मंत्री देवकृष्ण व्यास, संभागीय उपाध्यक्ष उदलसिंह परमार, जिलाध्यक्ष शिवेश शर्मा, जिला सचिव मोहनलाल बैरागी आदि ने की है।