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सैकड़ों सरकारी स्कूल आखिर क्यों हो रहे बंद ?

प्रदीप अगाल.बाग. आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षकों की कमी, स्कूलों की दयनीय प्रबंधन स्थिति, योग्य शिक्षकों का अभाव है। इससे बच्चे स्कूल से दूर हो रहे हैं। आदिवासी क्षेत्र के अधिकांश प्राथमिक स्कूलों में छात्र संख्या 20 से 40 तक रह गई है।
समायोजन के नाम पर मप्र में हजारों प्राथमिक स्कूल पहले से ही बंद हो चुके हैं और अगले साल तक 15 हजार विद्यालयों को ताला लगाने की दिशा में काम चल रहा है। धार जिले में ही गत वर्ष 163 विद्यालय बंद कर दिए गए।
सरकार के इस फैसले से ऐसे हालात पैदा हो रहे हैं कि बच्चे सरकारी स्कूलों से दूर निजी स्कूलों में दाखिला ले लें। ग्रामीण क्षेत्रों में शालाओं की बुनियादी जरूरतों पर सरकार की उदासीनता के कारण यह हालात पैदा हो रहे हैं।
बाग विकासखंड में २६ स्कूल शिक्षक विहिन बाग विकासखंड में वर्तमान में 26 स्कूल शिक्षक विहीन हैं।वहीं 76 शालाओं में मात्र एक शिक्षक से काम चल रहा है। शिक्षक विहीन स्कूल में अतिथि शिक्षक कार्यरत हैं। बाग विकासखंड की 335 स्कूल में 138 शिक्षकों के पद लंबे समय से रिक्त हैं। बाग विकासखंड के नरवाली संकुल में 38 स्कूलों में सर्वाधिक 60 अतिथि शिक्षकों से शिक्षण कार्य कराया जा
रहा है।
यह है स्थिति स्कूलों की
पूरे प्रदेश में करीब 42 हजार शिक्षकों के पद रिक्त हैं एवं धार जिले में करीब 1500 शिक्षकों के पद खाली हैं। शिक्षकों की भर्ती 1998 से बंद है। 1998 के बाद से ही अल्प वेतन में काम करने वाले संविदा शिक्षकों की नियुक्ति हो रही है, शिक्षकों की कमी के कारण सरकारी शालाओं में अतिथि शिक्षकों से शिक्षण हो रहा है।
"इस वर्ष 162 स्कूल छात्रों की संख्या कम होने से बंद किए हैं। जिले में शिक्षकों की कमी का आंकड़ा मेरे पास नहीं है।"
-अनिल वर्मा, डीपीसी, धार
"बाग ब्लॉक में इस वर्ष 2 शालाओं को बंद किया है और आने वाले सत्र से पूर्व और शालाएं बंद की जाएंगी।"
-आरआर गुजरवाडिया, बीआरसी, बाग

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