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ये कैसी बोर्ड परीक्षा : न निगरानी, न कैमरे, निजी स्कूलों को बना दिया परीक्षा केंद्र

इंदौर। नईदुनिया प्रतिनिधि माध्यमिक शिक्षा मंडल की 10वीं-12वीं की परीक्षा में हमेशा गड़बड़ी करने वाले 32 संवेदनशील परीक्षा केंद्रों को बोर्ड ने चिन्हित तो कर लिया, लेकिन इनमें नकल रोकने के उपाय नहीं किए। संवेदनशील परीक्षा केंद्रों के हर कक्ष में सीसीटीवी कैमरे लगना थे।
एसडीएम को निगरानी करना थी, लेकिन कैमरे लगाना तो दूर प्रशासन ने इसकी कोई तैयारी ही नहीं की। दो साल से सरकारी स्कूलों को परीक्षा केंद्र बनाकर नकल पर नकेल कसने वाले प्रशासन ने इस बार 48 निजी स्कूलों को परीक्षा केंद्र बना दिए और निगरानी के इंतजाम भी नहीं किए। यहां तक कि परीक्षा में ड्यूटी भी निजी स्कूलों के शिक्षकों से कराई जा रही।
परिणाम में सुखलिया और बाणगंगा क्षेत्र के निजी स्कूलों में बाउंसरों की निगरानी में नकल चल रही है। उड़नदस्ते की बात की जाए तो 1 मार्च से शुरू हुई परीक्षाओं के तीन पेपर में अभी तक शहर में एक भी नकल प्रकरण नहीं बना पाया। परीक्षा प्रभारी एसएन कोगे के मुताबिक अब तक किसी केंद्र पर कैमरा नहीं लगाया गया। कैमरे प्रशासन को लगाना थे।
वहीं कलेक्टर का कहना था कि हम कैमरे नहीं लगवा सके। उड़नदस्ते की वीडियोग्राफी करवा रहे हैं। स्कूल शिक्षा मंत्री विजय शाह का कहना है कि बोर्ड को हम तो सुझाव दे सकते हैं, वह नहीं माने तो क्या कर सकते हैं?
केंद्र बनाने में गड़बड़ी का आरोप
कांग्रेस कार्यकर्ता अजय टांक, जीतू दीवान ने मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन देते हुए आरोप लगाया कि संवेदनशील केंद्र बनाने में भी गड़बड़ी हुई है। जहां नकल ही नहीं होती, उन केंद्रों को अतिसंवदेनशील बना दिया और जहां धड़ल्ले से नकल होती है, उन्हें सामान्य केंद्र का दर्जा दे दिया। अति संवेदनशील घोषित एक केंद्र के अध्यक्ष तो इस संबंध में आपत्ति भी दर्ज करा चुके हैं। बाणगंगा, मिल एरिया, छावनी, राजवाड़ा के आसपास के कई सेंटर नकल के लिए बदनाम हैं, लेकिन इनके नाम संवेदनशील केंद्रों की लिस्ट से गायब हैं। ज्ञापन में कहा गया है कि सुखलिया, बाणगंगा के स्कूलों में खुलेआम नकल कराई जा रही है।
ठेका लेकर नकल करवा रहे माफिया
शहर में 10वीं और 12वीं की परीक्षा में ठेका लेकर नकल कराने का धंधा कुछ शिक्षा माफिया ने शुरू किया है। इन्होंने अपना रैकेट इतना तगड़ा बना लिया कि प्रशासन से लेकर शिक्षा विभाग के तमाम लोग इसमें शामिल हैं। सरकारी स्कूल में प्राइवेट फॉर्म भरवाकर या रेग्युलर एडमिशन करवाकर शिक्षा माफिया खुद के निजी स्कूल में परीक्षा सेंटर बनवाकर बोर्ड पर लिखकर नकल करवाते हैं। इस रैकेट को जिसने भी तोड़ने का प्रयास किया, उसका तबादला हो गया। 2014 में तत्कालीन जॉइंट डायरेक्टर केके पांडे ने इस रैकेट को तोड़ने का प्रयास किया। उन्होंने निजी स्कूलों को परीक्षा सेंटर नहीं बनने दिया। इससे बहुत हद तक नकल पर लगाम लगी, लेकिन उनके तबादले के बाद इस बार फिर निजी स्कूलों में परीक्षा सेंटर बना दिए गए।
परीक्षा प्रभारी एसएन कोगे से सीधी बातचीत
प्रश्न : निजी स्कूलों को परीक्षा केंद्र क्यों बनाया गया?
- पिछले साल तक शासकीय प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों को केंद्र बनाया जा रहा था, लेकिन इन स्कूलों में फर्नीचर का इंतजाम टेंट के माध्यम से करना पड़ता था। टेंट वालों का 8 लाख से ज्यादा बिल बना। इस वजह से इस वर्ष निजी स्कूलों को केंद्र बनाया गया है।
प्रश्न : निजी स्कूलों के शिक्षक क्यों तैनात किए गए?
- शासकीय शिक्षकों की संख्या इतनी नहीं है कि परीक्षा ली जा सके। इसलिए निजी स्कूलों के शिक्षकों की मदद ली जा रही है।
प्रश्न : कितने केंद्रों पर कैमरे लगाए जा चुके हैं?
- प्रशासन के आदेश पर कैमरे लगाए जाते हैं। अब तक किसी केंद्र पर कैमरे लगाने का कोई आदेश जारी नहीं हुआ।
प्रश्न : तीन पर्चे हो चुके, अब तक नकल का एक भी केस नहीं बना
- तीनों ही पर्चे आसान थे। सोमवार से शुरू होने वाले पर्चों में नकलची छात्रों पर पैनी निगाह रहेगी। उड़नदस्ते सक्रिय हैं।
नकल मिली तो केंद्राध्यक्ष पर भी कार्रवाई
बोर्ड परीक्षाओं में नकल रोकने के लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं। केंद्राध्यक्ष रैंडमली बनाए गए हैं। अब तक किसी केंद्र पर नकल की सूचना नहीं मिली है। अभी तो महत्वपूर्ण पेपर बाकी हैं। यदि किसी केंद्र पर नकल पाई गई तो केंद्राध्यक्ष के खिलाफ भी कार्रवाई होगी।
- पी नरहरि, कलेक्टर
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परीक्षा केंद्रों पर प्रशासन के फ्लाइंग स्क्वाड के अलावा हमने भी 7 जांच दल बनाए हैं। जहां जरूरी है वहां वीडियोग्राफी भी कराई जा रही है। जिला शिक्षा अधिकारी की ओर से भेजी गई केंद्राध्यक्ष की सूची माध्यमिक शिक्षा मंडल को भेजी गई थी। रैंडमाइजेशन के तहत वहीं से केंद्र आवंटित हुए हैं।
- कीर्ति खुरासिया, सीईओ, जिला पंचायत
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हम तो सिर्फ सुझाव दे सकते हैं। बाकी काम तो माध्यमिक शिक्षा मंडल को करना है। कैमरा लगाने का कोई बजट या नियम नहीं है। निजी स्कूलों को परीक्षा केंद्र मंडल ने अपनी मर्जी से बनाए, हमसे नहीं पूछा।
- विजय शाह, स्कूल शिक्षा मंत्री
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फैक्ट फाइल
परीक्षा केंद्र- 129
संवेदनशील- 32
2015 एवं 2016 में निजी स्कूलों में परीक्षा केंद्र- 00
2017 में निजी स्कूलों में परीक्षा केंद्र- 48
परीक्षा कक्षों में कैमरे- नहीं लगे
जिम्मेदार कौन- जिला प्रशासन
पिछले साल की अपेक्षा इस साल विद्यार्थियों की संख्या में कमी- 20 फीसदी

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