इंदौर नईदुनिया प्रतिनिधि। पीएचडी के नए नियम और यूजी कोर्स में
दोबारा वार्षिक परीक्षा प्रणाली लागू करने को लेकर इसी माह फैसला आ सकता
है। उच्च शिक्षा विभाग ने फरवरी में दोनों मुद्दों पर प्रदेशभर की
यूनिवर्सिटी के कुलपतियों से राय मांगी थी।
इन्हें 20 मार्च में होने वाली स्थायी समिति की बैठक में रखा जाएगा, जिसमें नए पाठ्यक्रमों को भी हरी झंडी मिल सकती है।
यूजीसी ने 5 जुलाई 2016 को पीएचडी के नए नियम बनाए थे, लेकिन आज तक इन्हें यूनिवर्सिटी में लागू नहीं किया जा सका है। विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों का मानना था कि ये सभी नियम एक साथ प्रदेशभर की यूनिवर्सिटी में लागू किए जाएं। इस कारण पहले यह मुद्दा समन्वय समिति में भी भेजा गया था। मामले में सभी यूनिवर्सिटी ने इस पर अपनी राय दी थी। विभाग की इस लेटलतीफी से देवी अहिल्या विश्वविद्यालय में 18 महीने से एक बार भी पीएचडी की प्रवेश परीक्षा आयोजित नहीं हो पाई। जबकि नियमानुसार सालभर में दो बार परीक्षा करवाना है। संभावना है इस बैठक में पीएचडी के नियमों पर सहमति बनेगी। सूत्रों के मुताबिक ज्यादातर यूनिवर्सिटी नए नियम लागू करने में दिलचस्पी दिखा रही हैं। कुलपति डॉ. नरेंद्र धाकड़ ने बताया पीएचडी मामले में यूनिवर्सिटी ने अपना पक्ष रखा दिया है। अब समिति के निर्देशों का इंतजार है।
कॉलेजों से बुलवाई थी राय
वार्षिक परीक्षा प्रणाली दोबारा लागू करने के लिए विभाग ने लगभग सारी तैयारियां पूरी कर ली हैं। सत्र 2017-18 से यूजी कोर्स पर इसे लागू किया जाएगा। प्रदेशभर के कॉलेजों से इसकी राय बुलवाई थी। इसमें ज्यादातर इसके पक्ष में थे, क्योंकि इस व्यवस्था से विद्यार्थियों पर पढ़ाई का बोझ कम होगा। वहीं यूनिवर्सिटी को इन कोर्स की सालभर में एक ही बार परीक्षा करवाना होगी और वह बाकी गतिविधियों पर बेहतर ढंग से ध्यान दे सकेंगी।
इन्हें 20 मार्च में होने वाली स्थायी समिति की बैठक में रखा जाएगा, जिसमें नए पाठ्यक्रमों को भी हरी झंडी मिल सकती है।
यूजीसी ने 5 जुलाई 2016 को पीएचडी के नए नियम बनाए थे, लेकिन आज तक इन्हें यूनिवर्सिटी में लागू नहीं किया जा सका है। विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों का मानना था कि ये सभी नियम एक साथ प्रदेशभर की यूनिवर्सिटी में लागू किए जाएं। इस कारण पहले यह मुद्दा समन्वय समिति में भी भेजा गया था। मामले में सभी यूनिवर्सिटी ने इस पर अपनी राय दी थी। विभाग की इस लेटलतीफी से देवी अहिल्या विश्वविद्यालय में 18 महीने से एक बार भी पीएचडी की प्रवेश परीक्षा आयोजित नहीं हो पाई। जबकि नियमानुसार सालभर में दो बार परीक्षा करवाना है। संभावना है इस बैठक में पीएचडी के नियमों पर सहमति बनेगी। सूत्रों के मुताबिक ज्यादातर यूनिवर्सिटी नए नियम लागू करने में दिलचस्पी दिखा रही हैं। कुलपति डॉ. नरेंद्र धाकड़ ने बताया पीएचडी मामले में यूनिवर्सिटी ने अपना पक्ष रखा दिया है। अब समिति के निर्देशों का इंतजार है।
कॉलेजों से बुलवाई थी राय
वार्षिक परीक्षा प्रणाली दोबारा लागू करने के लिए विभाग ने लगभग सारी तैयारियां पूरी कर ली हैं। सत्र 2017-18 से यूजी कोर्स पर इसे लागू किया जाएगा। प्रदेशभर के कॉलेजों से इसकी राय बुलवाई थी। इसमें ज्यादातर इसके पक्ष में थे, क्योंकि इस व्यवस्था से विद्यार्थियों पर पढ़ाई का बोझ कम होगा। वहीं यूनिवर्सिटी को इन कोर्स की सालभर में एक ही बार परीक्षा करवाना होगी और वह बाकी गतिविधियों पर बेहतर ढंग से ध्यान दे सकेंगी।