भास्कर संवाददाता | शिवपुरी शिक्षक भविष्य का निर्माता होता है। छात्र का भविष्य संवारना, बिगाड़ना
उसे जीनियस बनाना यह प्रमुख रूप से शिक्षक और छात्र पर ही निर्भर करता है,
इसलिए यह एक-दूसरे के पूरक हंै। शिक्षक में त्याग, सेवा और समर्पण का भाव
हो तो शिक्षक अपने सम्मान को भी बरकरार रखेगा और इससे उसके शिक्षित
छात्र-छात्राओं का मनोबल भी बढ़ेगा।
यह नसीहत नई दिल्ली इंडिया इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर बाल देवन रंगराजू ने एक निजी स्कूल में आयोजित दो दिवसीय विधि जागरूकता शिविर में शिक्षकों और बच्चों को दी।
वे कार्यक्रम में लीगल लिटरेसी के तहत आई टर्नर फॉर टीचर एंड स्टूडेंट कार्यक्रम के माध्यम से शिक्षकों को उनके नियम, अनुशासन व अधिकारों पर मार्गदर्शन दे रहे थे।
उन्होंने कहा कि जरूरी नहीं कि शिक्षा का अध्ययन कराने के लिए डंडी अथवा छड़ी उठाकर छात्र-छात्राओं से मारपीट कर उन्हें पाठ याद कराया जाए, ऐसा करने से शिक्षक कानूनी जद में आ सकते हैं और वह मारपीट करने वाले छात्र के द्वारा की शिकायत पर शोषण करने वाले शिक्षक की परिभाषा से भी नवाजे जाएंगे। इसलिए ध्यान रखें कि पढ़ाई कराते वक्त छात्र-छात्राओं की प्रतिभा का आंकलन करें।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से गीता दीवान, महिला सशक्तिकरण अधिकारी ओपी पांडे मानव अधिकार आयोग के जिला संयोजक आलोक एम इन्दौरिया, पद्मेश थापरियल, महिपाल अरोरा सहित सहित विभिन्न स्कूल के पदाधिकारी, शिक्षक, अिभभावक व छात्र-छात्राएं विशेष रूप से मौजूद रहे।
इस दौरान कार्यक्रम में शहर के आधा दर्जन से अधिक विद्यालयों के शिक्षकों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया और अपने अधिकारों को जाना साथ ही शिक्षक और छात्र-छात्राओं के बीच बनने वाले सामंजस्य को भी भलीभांति विभिन्न प्रकल्पों के माध्यम से पहचाना।
कार्यक्रम में आभार प्रदर्शन स्कूल की संचालिका बिंदु छिब्बर द्वारा व्यक्त किया गया।
बच्चों को दी जाए पास्को एक्ट की जानकारी
शिविर के दौरान श्री रंगराजू का कहना है कि कानूनों के तहत अब यह अनिवार्य हो गया है कि शिक्षकों के लिए शिक्षा का अधिकार अधिनियम और स्कूली बच्चों के लिए पास्को एक्ट की जानकारी दी जाए। इन दोनों संदर्भों के संबंध में बच्चों एवं शिक्षकों के लिए विधि जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया है।
यह नसीहत नई दिल्ली इंडिया इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर बाल देवन रंगराजू ने एक निजी स्कूल में आयोजित दो दिवसीय विधि जागरूकता शिविर में शिक्षकों और बच्चों को दी।
वे कार्यक्रम में लीगल लिटरेसी के तहत आई टर्नर फॉर टीचर एंड स्टूडेंट कार्यक्रम के माध्यम से शिक्षकों को उनके नियम, अनुशासन व अधिकारों पर मार्गदर्शन दे रहे थे।
उन्होंने कहा कि जरूरी नहीं कि शिक्षा का अध्ययन कराने के लिए डंडी अथवा छड़ी उठाकर छात्र-छात्राओं से मारपीट कर उन्हें पाठ याद कराया जाए, ऐसा करने से शिक्षक कानूनी जद में आ सकते हैं और वह मारपीट करने वाले छात्र के द्वारा की शिकायत पर शोषण करने वाले शिक्षक की परिभाषा से भी नवाजे जाएंगे। इसलिए ध्यान रखें कि पढ़ाई कराते वक्त छात्र-छात्राओं की प्रतिभा का आंकलन करें।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से गीता दीवान, महिला सशक्तिकरण अधिकारी ओपी पांडे मानव अधिकार आयोग के जिला संयोजक आलोक एम इन्दौरिया, पद्मेश थापरियल, महिपाल अरोरा सहित सहित विभिन्न स्कूल के पदाधिकारी, शिक्षक, अिभभावक व छात्र-छात्राएं विशेष रूप से मौजूद रहे।
इस दौरान कार्यक्रम में शहर के आधा दर्जन से अधिक विद्यालयों के शिक्षकों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया और अपने अधिकारों को जाना साथ ही शिक्षक और छात्र-छात्राओं के बीच बनने वाले सामंजस्य को भी भलीभांति विभिन्न प्रकल्पों के माध्यम से पहचाना।
कार्यक्रम में आभार प्रदर्शन स्कूल की संचालिका बिंदु छिब्बर द्वारा व्यक्त किया गया।
बच्चों को दी जाए पास्को एक्ट की जानकारी
शिविर के दौरान श्री रंगराजू का कहना है कि कानूनों के तहत अब यह अनिवार्य हो गया है कि शिक्षकों के लिए शिक्षा का अधिकार अधिनियम और स्कूली बच्चों के लिए पास्को एक्ट की जानकारी दी जाए। इन दोनों संदर्भों के संबंध में बच्चों एवं शिक्षकों के लिए विधि जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया है।