अशोकनगर.
स्कूलों में शिक्षण कार्य को छोड़ शिक्षक प्रशासनिक कार्यों में लगे हुए
हैं। स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। नियमों और निर्देशों
का जिले में लंबे समय से मखौल उड़ाया जा रहा है। स्वयं अधिकारी ही अपने
दिए निर्देशों का पालन करवाने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं।
सामान्य
प्रशासन विभाग और लोक शिक्षण संचालनालय के निर्देशों के बावजूद शिक्षकों
का अटैचमेंट समाप्त नहीं किया गया। जिन शिक्षकों को स्कूलों में जाकर
बच्चों को पढ़ाना चाहिए, वे कार्यालयों में विभिन्न कामों में उलझे हुए
हैं। हद तो यह है कि दर्जनों शिक्षकों ने अपनी संस्था को छोड़कर पास की
संस्था में अटैचमेंट करवा रखा है, तो कुछ ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी
क्षेत्र के स्कूलों में संलग्न हो गए हैं। बच्चों की पढ़ाई और शिक्षा से न
तो जिम्मेदार अधिकारियों को कोई सरोकार है और न ही शिक्षकों को इसमें रुचि।लोक शिक्षण संचालनालय ने 06 फरवरी 2016 को शिक्षकों का अटैचमेंट समाप्त करने के आदेश दिए थे। इस पत्र के साथ जुलाई 2009 में शासन द्वारा जारी आदेश और जून 2013 में सामान्य प्रशासन विभाग के पत्र का हवाला देते हुए सात दिन में अटैचमेंटसमाप्ति के निर्देश दिए गए थे।इसके बाद भी अभी तक स्थिति जस की तस बनी हुई है।
कलेक्टर, सीईओ व डीईओ ने निकाले थे आदेश
सितंबर 2016 में कलेक्टर बीएस जामौद ने गैर शैक्षणिक कार्यों में लगे शिक्षकों को वापस स्कूल भेजन के आदेश दिए थे। लेकिन पालन करवाने में पीछे रहे।सीईओ जिला पंचायत ने भी 15 सितंबर 2016 को शिक्षकों का अटैचमेंट समाप्त करने के आदेश जारी किए थे, डीईओ ने 9 मार्च 2016 को अटैच शिक्षकों के वेतन पर रोक लगाने संबंधी आदेश जारी किए थे, साथ ही 22 मार्च2016 को जिपं सीईओ को पत्र लिखकर अटैच मास्टरों के स्थान पर लिपिकों को लगाने का अनुरोध किया गया था। लेकिन अधिकारी स्वयं अपने निर्देशों को भूल गए।
खास-खास
-19 अगस्त 2016 को आया था सामान्य प्रशासन विभाग का पत्र।
-चंदेरी विधायक गोपालसिंह चौहान ने 09 सितंबर 2016 को कलेक्टर से इस मामले में शिकायत की थी।
-मुुंगावली विधायक महेन्द्रसिंह कालूखेड़ा ने 25 सितंबर 2016 को इस मामले की शिकायत की थी।
-जिपं सदस्य बाबूलाल दैलवार व डा. केपी यादव भी शिक्षकों का अटैचमेंटसमाप्त करने की मांग जिला प्रशासन के पास भेज चुके हैं।
जिम्मेदार करवा रहे हैं शिक्षकों से काम
कलेक्टर के कार्यालय की निर्वाचन शाखा में एक शिक्षक का अटैचमेंट है। इसके अलावा जिपं कार्यालय में 02, शिक्षा विभाग के मुखिया डीईओ के कार्यालय में 05, जिला शिक्षा केन्द्र में 02 और एसडीएम कार्यालय में 05 शिक्षकों का अटैचमेंट है। इसके अलावा बीआरसीसी कार्यालय में भी चार-पांच शिक्षक हमेशा काम में लगे रहते हैं। जिन अधिकारियों के कंधों पर नियमों का पालन करवाने की जिम्मेदारी है, वे ही अपने कार्यालयों में शिक्षकों को अटैच कर उनसे गैर शैक्षणिक कार्य करवा रहे हैं।