भोपाल, (भाषा): मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज यहां एक शासकीय विद्यालय में शिक्षक के रुप में बच्चों को प्रेरणास्पद कहानियां सुनाई, जोड़-घटाव, गुणा-भाग के प्रश्न हल करवाये तथा भाषा का महत्व पढ़ाने के साथ-साथ राष्ट्रभक्त और कर्तव्यनिष्ठ नागरिक बनने की सीख भी दी।
चौहान आज बच्चों में पढऩे का कौशल और समझ बढ़ाने के उद्देश्य से शुरू किये गये प्रदेश व्यापी ‘मिल बांचें’ कार्यक्रम के तहत राजधानी की शासकीय संजय गांधी माध्यमिक शाला में एक शिक्षक के रुप में पहुंचे और बच्चों को लगभग सवा घंटे तक विभिन्न विषयों के पाठ पढ़ाये।
शिक्षक के रुप में मुख्यमंत्री को अपने साथ पाकर शाला के बच्चे भी बेहद उत्साहित थे। गौरतलब है कि इसी विद्यालय में मुख्यमंत्री चौहान ने कक्षा 6 से 8 वीं तक की शिक्षा ग्रहण की है। विद्यालय में उन्होंने बच्चों को प्रेरणाप्रद कहानियां सुनाई, जोड़-घटाव, गुणा-भाग के सवाल हल करवाये। उन्होंने बच्चों में आत्मविश्वास और जीवन में लगातार अच्छे से अच्छा करने की ऊर्जा का संचार करते हुए उन्हें बहुत ही स्नेहिल ढंग से राष्ट्रभक्त और कर्तव्यनिष्ठ नागरिक बनने की सीख दी। इस दौरान मुख्यमंत्री ने बच्चों को प्रेरित करते हुये कहा कि अच्छे गुणों को अपने जीवन में उतारने से व्यक्ति महान बनता है।
उन्होंने बच्चों को बताया कि प्रभावशाली ढंग से अपनी बात कहने और समझने का प्रभावी माध्यम शिक्षा है। उन्होंने अपने छात्र जीवन के प्रसंग के माध्यम से जीवन के निर्माण में शिक्षा और भाषा पर पकड़ की महथा को समझाया। उन्होंने बच्चों को गुरू की आज्ञा पालन की महथा बताने आरूणि की गुरू भक्ति की कहानी और देश के लिये प्राणों का न्यौछावर करने वाले चन्द्रशेखर आजाद के प्रेरणा प्रसंग सुनाये। उन्होंने सदैव सत्य का पालन करने के लिये महात्मा गांधी और युधिष्ठिर के जीवन प्रसंग सुना कर बच्चों को प्रेरित किया।
चौहान ने बच्चों से पुस्तकों के पाठों का पठन भी करवाया और उनसे मिलने वाली शिक्षा पर भी बात की। उन्होंने माखनलाल चतुर्वेदी द्वारा रचित ‘फूल की अभिलाषा’ कविता के द्वारा देश प्रेम और राष्ट्र भक्ति की भावना बच्चों में भरी। उन्होंने इन प्रसंगों के माध्यम से देश की आजादी के संघर्ष और उसके लिये जीवन की कुर्बानी देने वाले वीरों का स्मरण करवाया। मुख्यमंत्री ने बच्चों को समझाया कि आत्म विश्वास व्यक्तित्व का आधार है। सत्य बात कहने में संकोच नहीं करना चाहिये।
उन्होंने बच्चों के साथ प्रश्नोथर भी किये और बच्चों को माता-पिता और गुरूजन का सदैव सम्मान करने के लिये प्रेरित किया। मुख्यमंत्री ने ‘मिल बांचे’ अभियान की मंशा के अनुरूप बच्चों से पाठ पुस्तिका के पाठों का पठन करवाया। छात्रा गौरवी विश्वकर्मा ने रम्मो और कल्लो की कहानी का पठन किया। दीपू मालवीय ने शिवाजी की जीवनी का वाचन किया। दूसरी कक्षा की छात्रा संतोषी ने प्रार्थना का पाठ किया। उन्होंने बच्चों से कहा कि वे पूरे विश्व को अपना परिवार मानें। सबके कल्याण और मंगल के लिये कार्य करें। यही भारतीय संस्कृति है।
उन्होंने कहा कि ये मेरा है, ये तेरा है यह छोटी सोच है। उन्होंने कहा कि धर्म का अर्थ अच्छी बातें और अधर्म का मतलब वह बातें जो अनुचित हैं। इसलिये भारतीय संस्कृति में धर्म की जीत और अधर्म के नाश की बात कही गई है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने विद्यालय की पत्रिका ‘नवांकुर’ का विमोचन किया। स्वयं उनके पास जाकर बच्चों को उपहार दिये। आभार ज्ञापन विद्यालय की बाल केबिनेट की प्रधानमंत्री प्रियंका कुम्हरे ने किया।
छात्र-छात्राओं में भाषा का ज्ञान और समझ बढ़ाने के लिये ‘मिल बांचे’ कार्यक्रम में हर वर्ग ने भागीदारी की। इस राज्यव्यापी कार्यक्रम के तहत प्रदेश की 112073 प्राथमिक और माध्यमिक शालाओं में दो लाख से ज्यादा लोगों ने बच्चों को पढ़ाया। इनमें मंत्री, विधायक एवं जनप्रतिनिधि, अधिकारी, समाजसेवी, सेवानिवृत अधिकारीगण, इंजीनियर, डॉक्टर पूर्व विद्यार्थी तथा समाज के हर वर्ग के लोग शामिल हैं।
चौहान आज बच्चों में पढऩे का कौशल और समझ बढ़ाने के उद्देश्य से शुरू किये गये प्रदेश व्यापी ‘मिल बांचें’ कार्यक्रम के तहत राजधानी की शासकीय संजय गांधी माध्यमिक शाला में एक शिक्षक के रुप में पहुंचे और बच्चों को लगभग सवा घंटे तक विभिन्न विषयों के पाठ पढ़ाये।
शिक्षक के रुप में मुख्यमंत्री को अपने साथ पाकर शाला के बच्चे भी बेहद उत्साहित थे। गौरतलब है कि इसी विद्यालय में मुख्यमंत्री चौहान ने कक्षा 6 से 8 वीं तक की शिक्षा ग्रहण की है। विद्यालय में उन्होंने बच्चों को प्रेरणाप्रद कहानियां सुनाई, जोड़-घटाव, गुणा-भाग के सवाल हल करवाये। उन्होंने बच्चों में आत्मविश्वास और जीवन में लगातार अच्छे से अच्छा करने की ऊर्जा का संचार करते हुए उन्हें बहुत ही स्नेहिल ढंग से राष्ट्रभक्त और कर्तव्यनिष्ठ नागरिक बनने की सीख दी। इस दौरान मुख्यमंत्री ने बच्चों को प्रेरित करते हुये कहा कि अच्छे गुणों को अपने जीवन में उतारने से व्यक्ति महान बनता है।
उन्होंने बच्चों को बताया कि प्रभावशाली ढंग से अपनी बात कहने और समझने का प्रभावी माध्यम शिक्षा है। उन्होंने अपने छात्र जीवन के प्रसंग के माध्यम से जीवन के निर्माण में शिक्षा और भाषा पर पकड़ की महथा को समझाया। उन्होंने बच्चों को गुरू की आज्ञा पालन की महथा बताने आरूणि की गुरू भक्ति की कहानी और देश के लिये प्राणों का न्यौछावर करने वाले चन्द्रशेखर आजाद के प्रेरणा प्रसंग सुनाये। उन्होंने सदैव सत्य का पालन करने के लिये महात्मा गांधी और युधिष्ठिर के जीवन प्रसंग सुना कर बच्चों को प्रेरित किया।
चौहान ने बच्चों से पुस्तकों के पाठों का पठन भी करवाया और उनसे मिलने वाली शिक्षा पर भी बात की। उन्होंने माखनलाल चतुर्वेदी द्वारा रचित ‘फूल की अभिलाषा’ कविता के द्वारा देश प्रेम और राष्ट्र भक्ति की भावना बच्चों में भरी। उन्होंने इन प्रसंगों के माध्यम से देश की आजादी के संघर्ष और उसके लिये जीवन की कुर्बानी देने वाले वीरों का स्मरण करवाया। मुख्यमंत्री ने बच्चों को समझाया कि आत्म विश्वास व्यक्तित्व का आधार है। सत्य बात कहने में संकोच नहीं करना चाहिये।
उन्होंने बच्चों के साथ प्रश्नोथर भी किये और बच्चों को माता-पिता और गुरूजन का सदैव सम्मान करने के लिये प्रेरित किया। मुख्यमंत्री ने ‘मिल बांचे’ अभियान की मंशा के अनुरूप बच्चों से पाठ पुस्तिका के पाठों का पठन करवाया। छात्रा गौरवी विश्वकर्मा ने रम्मो और कल्लो की कहानी का पठन किया। दीपू मालवीय ने शिवाजी की जीवनी का वाचन किया। दूसरी कक्षा की छात्रा संतोषी ने प्रार्थना का पाठ किया। उन्होंने बच्चों से कहा कि वे पूरे विश्व को अपना परिवार मानें। सबके कल्याण और मंगल के लिये कार्य करें। यही भारतीय संस्कृति है।
उन्होंने कहा कि ये मेरा है, ये तेरा है यह छोटी सोच है। उन्होंने कहा कि धर्म का अर्थ अच्छी बातें और अधर्म का मतलब वह बातें जो अनुचित हैं। इसलिये भारतीय संस्कृति में धर्म की जीत और अधर्म के नाश की बात कही गई है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने विद्यालय की पत्रिका ‘नवांकुर’ का विमोचन किया। स्वयं उनके पास जाकर बच्चों को उपहार दिये। आभार ज्ञापन विद्यालय की बाल केबिनेट की प्रधानमंत्री प्रियंका कुम्हरे ने किया।
छात्र-छात्राओं में भाषा का ज्ञान और समझ बढ़ाने के लिये ‘मिल बांचे’ कार्यक्रम में हर वर्ग ने भागीदारी की। इस राज्यव्यापी कार्यक्रम के तहत प्रदेश की 112073 प्राथमिक और माध्यमिक शालाओं में दो लाख से ज्यादा लोगों ने बच्चों को पढ़ाया। इनमें मंत्री, विधायक एवं जनप्रतिनिधि, अधिकारी, समाजसेवी, सेवानिवृत अधिकारीगण, इंजीनियर, डॉक्टर पूर्व विद्यार्थी तथा समाज के हर वर्ग के लोग शामिल हैं।