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499 शिक्षक बेकाम, 138 स्कूलों में शिक्षक नहीं

जिले में 400 से ज्यादा शिक्षक हैं अतिशेष, फिर भी शून्य और एकल शिक्षकीय शाला में नहीं किया जा रहा पदस्थ शिक्षा सत्र खत्म होने की कगार पर है। जिला प्रशासन द्वारा अभी तक स्कूलों में युक्तियुक्तकरण नहीं किया गया है। इससे कई स्कूलों में जरुरत से ज्यादा शिक्षक है, तो कई स्कूल अतिथि शिक्षकों के भरोसे चल रहे है।
शिक्षा महकमे ने अब तक स्कूलों में छात्र संख्या के मान से शिक्षकों की पदस्थापना नहीं की है। इससे जिले में शिक्षा के हालात बिगड़ते हुए नजर आ रहे है।

राजनीति में फंसी युक्तियुक्तकरण की फाइल कलेक्टर, जिला पंचायत सीईओ के पास घूम रही है। पिछले एक माह से इस कार्य मंे टाला मटोली की जा रही है। कलेक्टर और जिपं सीईआे की टालामटोली से 499 शिक्षक आराम फरमा रहे है वहीं 138 स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं है। इस अंितम सूची को जारी करने में जिला पंचायत सीईओ दिनेश कुमार मौर्य पीछे हट रहे है। दरअसल जिले में 1186 प्राइमरी स्कूल, 754 मिडिल स्कूल और 190 हायर सेकंडरी व हाईस्कूल है, जिनमें जिले के 37 प्राइमरी स्कूल में एक भी शिक्षक नहीं है और 131 स्कूलों में एक शिक्षक ही पांच क्लासें पढ़ा रहा है। वहीं मिडिल स्कूल में 101 स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं है और 176 स्कूल एक शिक्षक के भरोसे चल रहे है। जबकि प्राइमरी स्कूलों में 297 अौर मिडिल स्कूलों में 202 शिक्षक अतिशेष है। जिनका युक्तियुक्तकरण राजनीति के चक्कर में नहीं किया जा रहा है।

एक्सक्लूसिव

शहर के स्कूलों में शिक्षकों की संख्या अधिक

शहर से दूर ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षक पढ़ाने के लिए जाने से पीछे हट रहे है। शहर में देखा जा सकता है कि शहर के सरकारी स्कूलों में छात्रों की दर्ज संख्या से ज्यादा शिक्षक पदस्थ है। जबकि यह उस युक्तियुक्तकरण प्रक्रिया में शामिल है, लेकिन राजनीति का दबाव डलवाकर अधिकारियों से फाइल इधर-उधर करवा रहे है। अधिकारी भी अब शिक्षकों के अनुरुप ही चल रहे है। इतना ही नहीं 307 स्कूलों में एक शिक्षक ही मिडिल और प्राइमरी की सभी क्लासें पढ़ा रहे हैं।

यह है नियम

शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत सरकारी स्कूलों में 40 छात्रों को पढ़ाने के लिए एक शिक्षक का होना जरूरी है। लेकिन शहर में कई स्कूल ऐसे हैं, जहां छात्र संख्या बेहद कम है और शिक्षकों की संख्या बहुत ज्यादा है। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में एक भी शिक्षक नहीं है।

मैंने ही फाइल रोकी है, जांच कराई जाना है

कलेक्टर रमेश भंडारी का कहना है कि अंतिशेष शिक्षकों की अंतिम सूची जारी करने से पहले जांच कराई जानी है। फाइल मैंने ही रोकी है। जल्द ही अंतिम सूची जारी करके शिक्षकों को युक्ति युक्त करण कर दिया जाएगा।

फाइल सीईओ के पास

जिला शिक्षा अधिकारी जेएस बरकड़े ने बताया कि यह बात सही है कि स्कूलों में शिक्षक नहीं है। और 499 शिक्षक अतिशेष हैं। युक्तियुक्त करण के लिए फाइल जिला पंचायत सीईओ के पास लंबित है।

138 स्कूलों अतिथियों के भरोसे: जिले में 138 स्कूल ऐसे है, जहां पर एक भी नियमित शिक्षक पदस्थ नहीं किया गया है। इसमें स्पष्ट होता है कि अधिकारियों की गोलमाल के चलते है युक्तियुक्तकरण नहीं किया जा रहा है। जबकि जिले में 499 शिक्षक अतिशेष है, जो स्कूलों में दर्ज संख्या के अनुमान से ज्यादा है। अब यदि इन अतिशेष शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण हो जाए, तो स्कूलों में शिक्षक पहुंच जाएंगे और शिक्षा का स्तर भी सुधर सकेगा। हालाकि इस बात की जानकारी कलेक्टर रमेश भंडारी और जिपं सीईओ दिनेश कुमार मौर्य को है, फिर भी वह चुप्पी साधे हुए है और एक-दूसरे का हवाला देकर फाइल को दबाए है। 

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