रायसेन. शहर
सहित जिले के शासकीय हायर सेकंडरी और हाईस्कूल में पढ़ रहे छात्रों से हर
साल 10 से 12 लाख रुपए क्रीड़ा शुल्क वसूली की जा रही है। इतना ही नहीं
खेलों को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा हर वर्ष लाखों रुपए भी खर्च किए
जाते हैं। इसके बाद भी पर्याप्त सुविधाएं खिलाडिय़ों को नहीं मिल पा रही है।
सुविधाएं तो दूर की बात प्राथमिक स्तर पर छात्र-छात्राओं को खेल गतिविधियों की बारीकी बताने के लिए खेल शिक्षक तक नहीं हैं। वर्षों से हाईस्कूल और हायर सेकंडरी स्कूलों में पीटीआई पदस्थ नहीं हो सके हैं। ऐसे में नई खेल प्रतिभाओं का उदय नहीं हो पा रहा है। सबसे अधिक दिक्कतें ग्रामीण क्षेत्र के हाईस्कूल और हायर सेकंडरी के छात्र-छात्राओं को हो रही है। खेल शिक्षक नहीं होने से इन छात्रों को उचित मार्गदर्शन नहीं मिल पा रहा है। यही कारण है कि रायसेन जिले से नई खेल प्रतिभाएं निकालकर प्रदेश में नहीं पहुंच पा रही हैं। इसी तरह की स्थिति खेल मैदानों की है।
वसूली जा रही क्रीड़ा शुल्क
कक्ष 9वीं और 10वीं के छात्रों से 60 रुपए और 11वीं, 12वीं के छात्रों से 100 रुपए प्रति वर्ष क्रीड़ा शुल्क प्रवेश के समय वसूला जा रहा है। इस तरह जिला शिक्षा विभाग में 40 फीसदी के मान से 10 से 12 लाख रुपए क्रीड़ा शुल्क मिलता है, जबकि संयुक्त संचालक शिक्षा कार्यालय भोपाल को प्राप्त राशि में से 15 फीसदी ही क्रीड़ा शुल्क भेजे जाने का प्रावधान है। करीब आठ वर्ष पहले ग्रामीण क्षेत्र के हायर सेकंडरी एवं हाईस्कूलों में क्रीड़ाश्री नियुक्ति की गई थी। खेल सामग्री भी दी गई थी। लेकिन दो वर्षों से क्रीड़ाश्री की नियुक्ति नहीं की गई। बच् बच्चों को कोई मार्गदर्शन नहीं मिल पा रहा है।
स्कूलों में खेल सामग्री भी नहीं
जिले के 172 शासकीय हाईस्कूल और हायर सेकंडरी स्कूलों में छात्रों से क्रीड़ा शुल्क तो वसूला जा रहा है, लेकिन उसके एवज में छात्र-छात्राओं को खेल के लिए क्रिकेट किट, हॉकी, वालीबाल, फुटबाल और बॉस्केटबाल का सामान भी उपलब्ध नहीं हैं। यहां तक कि छात्र-छात्राओं को कबड्डी, खो-खो, लांग जंप और हाई जंप की सही तरीके से प्रैक्टिस भी नहीं हो पाती। यदि पीटीआई के पदों की पूर्ति विभाग नहीं कर पा रहा है तो ऐसी स्थिति में संविदा व्यायाम शिक्षकों की पदस्थापना की जाना चाहिए।
ये है स्थिति
जिले में 172 शासकीय और हायर सेकंडरी स्कूल संचालित हैं। इनमें से 59 हायर सेकंडरी स्कूल और 113 शासकीय हाईस्कूल हैं। जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार जिले में 21 पद पीटीई के स्वीकृत हैं, लेकिन 18 पद ही भरे हुए हैं। इनमें से दस व्यायाम शिक्षक, चार व्यायाम अध्यापक शिक्षक और चार संविदा व्यायाम शिक्षक पदस्थ हैं, जबकि नियमानुसार प्रत्येक हायर सेकंडरी स्कूल में एक व्यायाम शिक्षक पदस्थ होना चाहिए। वहीं हाईस्कूलों में व्यायाम शिक्षकों के पद ही स्वीकृत नहीं है। इस तरह जिले के 154 स्कूलों में खेल शिक्षकों की कमी बनी हुई है। ऐसे बद्हाल हालातों के चलते 151 हाईस्कूल, हायर सेकंडरी स्कूलों में खेल विषय नहीं पढ़ाया जा रहा है। यह स्थिति आजकल की नहीं बल्कि पिछले डेढ़ दशक से बनीं हुई है। करीब डेढ़ सौ से ज्यादा हाईस्कूल, हायर सेकंडरी स्कूलों में किसी भी स्कूल में खिलाड़ी रायसेन जिले से निकल कर प्रदेश स्तर पर नाम रोशन नहीं कर पाए हैं।
हम जल्द ही पीटीआई के बाकी 154 पदों को भरने के लिए शासन से अनुमति से प्राप्त करने का प्रयास करेंगे। ताकि हाईस्कूल हायरसेकंडरी स्कूलों में एक बार फिर से खेल गतिविधियों को जारी रखा जा सके।
एसपी त्रिपाठी, डीईओ।
सुविधाएं तो दूर की बात प्राथमिक स्तर पर छात्र-छात्राओं को खेल गतिविधियों की बारीकी बताने के लिए खेल शिक्षक तक नहीं हैं। वर्षों से हाईस्कूल और हायर सेकंडरी स्कूलों में पीटीआई पदस्थ नहीं हो सके हैं। ऐसे में नई खेल प्रतिभाओं का उदय नहीं हो पा रहा है। सबसे अधिक दिक्कतें ग्रामीण क्षेत्र के हाईस्कूल और हायर सेकंडरी के छात्र-छात्राओं को हो रही है। खेल शिक्षक नहीं होने से इन छात्रों को उचित मार्गदर्शन नहीं मिल पा रहा है। यही कारण है कि रायसेन जिले से नई खेल प्रतिभाएं निकालकर प्रदेश में नहीं पहुंच पा रही हैं। इसी तरह की स्थिति खेल मैदानों की है।
वसूली जा रही क्रीड़ा शुल्क
कक्ष 9वीं और 10वीं के छात्रों से 60 रुपए और 11वीं, 12वीं के छात्रों से 100 रुपए प्रति वर्ष क्रीड़ा शुल्क प्रवेश के समय वसूला जा रहा है। इस तरह जिला शिक्षा विभाग में 40 फीसदी के मान से 10 से 12 लाख रुपए क्रीड़ा शुल्क मिलता है, जबकि संयुक्त संचालक शिक्षा कार्यालय भोपाल को प्राप्त राशि में से 15 फीसदी ही क्रीड़ा शुल्क भेजे जाने का प्रावधान है। करीब आठ वर्ष पहले ग्रामीण क्षेत्र के हायर सेकंडरी एवं हाईस्कूलों में क्रीड़ाश्री नियुक्ति की गई थी। खेल सामग्री भी दी गई थी। लेकिन दो वर्षों से क्रीड़ाश्री की नियुक्ति नहीं की गई। बच् बच्चों को कोई मार्गदर्शन नहीं मिल पा रहा है।
स्कूलों में खेल सामग्री भी नहीं
जिले के 172 शासकीय हाईस्कूल और हायर सेकंडरी स्कूलों में छात्रों से क्रीड़ा शुल्क तो वसूला जा रहा है, लेकिन उसके एवज में छात्र-छात्राओं को खेल के लिए क्रिकेट किट, हॉकी, वालीबाल, फुटबाल और बॉस्केटबाल का सामान भी उपलब्ध नहीं हैं। यहां तक कि छात्र-छात्राओं को कबड्डी, खो-खो, लांग जंप और हाई जंप की सही तरीके से प्रैक्टिस भी नहीं हो पाती। यदि पीटीआई के पदों की पूर्ति विभाग नहीं कर पा रहा है तो ऐसी स्थिति में संविदा व्यायाम शिक्षकों की पदस्थापना की जाना चाहिए।
ये है स्थिति
जिले में 172 शासकीय और हायर सेकंडरी स्कूल संचालित हैं। इनमें से 59 हायर सेकंडरी स्कूल और 113 शासकीय हाईस्कूल हैं। जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार जिले में 21 पद पीटीई के स्वीकृत हैं, लेकिन 18 पद ही भरे हुए हैं। इनमें से दस व्यायाम शिक्षक, चार व्यायाम अध्यापक शिक्षक और चार संविदा व्यायाम शिक्षक पदस्थ हैं, जबकि नियमानुसार प्रत्येक हायर सेकंडरी स्कूल में एक व्यायाम शिक्षक पदस्थ होना चाहिए। वहीं हाईस्कूलों में व्यायाम शिक्षकों के पद ही स्वीकृत नहीं है। इस तरह जिले के 154 स्कूलों में खेल शिक्षकों की कमी बनी हुई है। ऐसे बद्हाल हालातों के चलते 151 हाईस्कूल, हायर सेकंडरी स्कूलों में खेल विषय नहीं पढ़ाया जा रहा है। यह स्थिति आजकल की नहीं बल्कि पिछले डेढ़ दशक से बनीं हुई है। करीब डेढ़ सौ से ज्यादा हाईस्कूल, हायर सेकंडरी स्कूलों में किसी भी स्कूल में खिलाड़ी रायसेन जिले से निकल कर प्रदेश स्तर पर नाम रोशन नहीं कर पाए हैं।
हम जल्द ही पीटीआई के बाकी 154 पदों को भरने के लिए शासन से अनुमति से प्राप्त करने का प्रयास करेंगे। ताकि हाईस्कूल हायरसेकंडरी स्कूलों में एक बार फिर से खेल गतिविधियों को जारी रखा जा सके।
एसपी त्रिपाठी, डीईओ।