भोपाल। नियमित फैकल्टी के बिना सरकारी कॉलेज के संचालन पर
हाईकोर्ट की फटकार के बाद उच्च शिक्षा विभाग ने आनन-फानन में प्रोफेसर और
असिस्टेंट प्रोफेसर को दो महीने के लिए अस्थाई रूप से पदस्थ करना शुरू कर
दिया है। हालही में ग्वालियर संभाग के तीन सरकारी कॉलेजों में विभाग ने
नजदीक के ही चार कॉलेजों से 15 प्रोफेसर का डिप्लाेय किया है। बाकी अन्य
कॉलेज जहां नियमित फैकल्टी की कमी है वहां भी नजदीक के कालेजों की फैकल्टी
को अस्थाई रूप से पदस्थ करने की तैयारी की जा रही है।
पिछले महीने हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में उच्च शिक्षा विभाग के खिलाफ याचिका दायर की गई थी। इसमें सरकारी कॉलेजों के केवल गेस्ट फैकल्टी के भरोसे संचालित किए जाने पर सवाल उठाए गए थे। याचिकाकर्ता की दलील पर हाईकोर्ट ने विभाग से पूछा था कि सरकारी कॉलेज बिना नियमित फैकल्टी कैसे संचालित हो रहे हैं। जवाब प्रस्तुत करने के लिए विभाग को 15 दिन का समय दिया गया था। जवाब नहीं मिलने पर सीधे प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट के सामने उपस्थित होने के निर्देश दिए गए थे।
पिछले महीने हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में उच्च शिक्षा विभाग के खिलाफ याचिका दायर की गई थी। इसमें सरकारी कॉलेजों के केवल गेस्ट फैकल्टी के भरोसे संचालित किए जाने पर सवाल उठाए गए थे। याचिकाकर्ता की दलील पर हाईकोर्ट ने विभाग से पूछा था कि सरकारी कॉलेज बिना नियमित फैकल्टी कैसे संचालित हो रहे हैं। जवाब प्रस्तुत करने के लिए विभाग को 15 दिन का समय दिया गया था। जवाब नहीं मिलने पर सीधे प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट के सामने उपस्थित होने के निर्देश दिए गए थे।
कोर्ट
की इस सख्ती के बाद विभाग ने ग्वालियर संभाग के तहत आने वाले भिंड जिले के
शासकीय महाविद्यालय लहार, शासकीय महाविद्यालय बालाजी मिहोना और शासकीय
महाविद्यालय आलमपुर में नजदीक के ही चार कॉलेजों के 15 प्रोफेसर को दो
महीने के लिए डिप्लॉय किया है।
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