नई दिल्ली (टीम डिजिटल): देश भर में कभी इंजीनियरिंग की होड रहने के बाद आज इसका रूप ही बदलता जा रहा है। आज इंजीनियरिंग दिनस को मनाया जा रहा है। महान भारतीय इंजीनियर भारत रत्न सर एम विश्वेश्वरय्या के याद में भारत में हर साल 15 सितंबर को इंजीनियर डे मनाया जाता है।
इसी दिन सर एम विश्वेश्वरय्या का जन्म हुआ था। अगर आपका कोई दोस्त या परिचित इंजिनियर है। तो यही वो समय है जिस दिन आप उसे मानव जीवन में रचानात्मक बदलाव लाने के लिए दुनिया के सभी इंजीनियर्स ध्यान में रखते हुए बधाई दे सकते हैं। भारत आईटी के क्षेत्र में दुनिया का अग्रणी देश है। ऐसे में भारत में आईटी इंजीनीर्स की भारी संख्या है। इसके साथ ही इंजिनियरिंग के दूसरे कोर्स भी भारत युवाओं का रोजगार के तौर पर बड़ी पसंद हैं।
इंजीनिरिंग का रूप
एक समय था जब हर किसी का सपना होता था इंजीनियर बनने का लेकिन अब यह रूप बदल गया है . इस एक मात्र कारण यह है कि हर साल 50 बजार से ज्यादा इंजीनियर्स डिग्री लेकर निकलते हैं लेकिन जब नौकरी की बात आती बै तो महज 25 फीसदी ही पा पाते हैं। पिछले तीन सालों में 30 हजार को प्रेवशमें नौकरी नहीं पाई है।
2012-14,2014-15, 2015 से 87 हजार औसत छात्र इंजीनियरिंग व आर्किटेक्ट कोर्स कर रहे हैंष इसमें हर साल करीब 50 हजार से ज्यादा इंजीनियरिंग की डिग्री लेते हैं। वहीं, तकनीकि शिक्षा विभाग के मुताबिकतीन साल में 200 से ज्यादा इंजीनियरिंग कॉलेजों में महज 41 कॉलेजों ने ही नौकरी दिला पाई है।वहीं, इन कॉलेजों में तीन सालों में केवल 30 हजार छात्रों को ही नौकरी मिली है।
इंजीनियरिंग की सि्थित इतनी दयनी हो गई है कि आज के समय में करीब 52 फीसदी सीटें खाली रहती हैं। आईआईटी, यूपीटीयू की बात करें तो वहां भी ये सि्थित देखने को मिल रही हैा। पिछले साल यहां 30 फीसदी सीटें खाली रहीं थीं।
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इसी दिन सर एम विश्वेश्वरय्या का जन्म हुआ था। अगर आपका कोई दोस्त या परिचित इंजिनियर है। तो यही वो समय है जिस दिन आप उसे मानव जीवन में रचानात्मक बदलाव लाने के लिए दुनिया के सभी इंजीनियर्स ध्यान में रखते हुए बधाई दे सकते हैं। भारत आईटी के क्षेत्र में दुनिया का अग्रणी देश है। ऐसे में भारत में आईटी इंजीनीर्स की भारी संख्या है। इसके साथ ही इंजिनियरिंग के दूसरे कोर्स भी भारत युवाओं का रोजगार के तौर पर बड़ी पसंद हैं।
इंजीनिरिंग का रूप
एक समय था जब हर किसी का सपना होता था इंजीनियर बनने का लेकिन अब यह रूप बदल गया है . इस एक मात्र कारण यह है कि हर साल 50 बजार से ज्यादा इंजीनियर्स डिग्री लेकर निकलते हैं लेकिन जब नौकरी की बात आती बै तो महज 25 फीसदी ही पा पाते हैं। पिछले तीन सालों में 30 हजार को प्रेवशमें नौकरी नहीं पाई है।
2012-14,2014-15, 2015 से 87 हजार औसत छात्र इंजीनियरिंग व आर्किटेक्ट कोर्स कर रहे हैंष इसमें हर साल करीब 50 हजार से ज्यादा इंजीनियरिंग की डिग्री लेते हैं। वहीं, तकनीकि शिक्षा विभाग के मुताबिकतीन साल में 200 से ज्यादा इंजीनियरिंग कॉलेजों में महज 41 कॉलेजों ने ही नौकरी दिला पाई है।वहीं, इन कॉलेजों में तीन सालों में केवल 30 हजार छात्रों को ही नौकरी मिली है।
इंजीनियरिंग की सि्थित इतनी दयनी हो गई है कि आज के समय में करीब 52 फीसदी सीटें खाली रहती हैं। आईआईटी, यूपीटीयू की बात करें तो वहां भी ये सि्थित देखने को मिल रही हैा। पिछले साल यहां 30 फीसदी सीटें खाली रहीं थीं।
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