भोपाल। पिछले
कुछ वर्षों में मध्य प्रदेश की स्कूली शिक्षा का ग्राफ लगातार नीचे की तरफ
आ रहा है। सबसे ज्यादा खराब स्थिति सरकारी स्कूलों की है। लिहाजा सरकार
चिंता में है, और अभिभावक ये सोच रहे हैं कि क्या उनके बच्चे के सही भविष्य
के लिए सरकारी स्कूलों से बेहतर निजी स्कूलों का विकल्प बेहतर होगा। इस
असमंजस भरी स्थिति में सरकार बेहतर विकल्पों की तलाश कर रही है। ऐसे ही
विकल्प के तौर पर इस बार मध्य प्रदेश सरकार बेस्ट ऑफ फाइव का ऑप्शन लाई है।
क्या है बेस्ट ऑफ फाइव सिस्टम
माध्यमिक
शिक्षा मंडल अभी तक नौवीं और दसवीं के नतीजों के लिए सभी 6 विषयों को आधार
मानकर कुल प्राप्तांक के आधार पर श्रेणी निर्धारित करता आया है। लेकिन नए
नियम के बाद अब कक्षा 9 और 10 का परीक्षा परिणाम 6 के बजाए 5 विषयों के
प्राप्तांकों पर आधारित होगा।
माना
जा रहा है कि इससे विद्यार्थियों पर सभी विषयों की तैयारी करने का समान
दबाव थोड़ा कम होगा, वहीं लगातार गिर रहे दसवीं के नतीजों को साधने के लिए
कुछ बेहतर किया जा सकता है।
स्कूल
शिक्षा विभाग की ओर से ये नियम इसी सत्र में लागू करने के आदेश जारी किए गए
हैं। यानि इसी सत्र में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों के नतीजे 6 के
बजाए 5 विषयों पर आधारित होंगे।
विद्यार्थी करेंगे सामान्य और उच्च गणित का चयन
इस
नए नियम के साथ ही अगले सत्र के लिए भी एक नया नियम लागू किया गया है।
सत्र 2017-18 से 9वीं के विद्यार्थी अपने हिसाब से विषय चयन कर सकेंगे।
उच्च गणित और सामान्य गणित में से किसी एक के चयन का अधिकार विद्यार्थियों
को दिया गया है। विभाग का मानना है कि इससे बोर्ड परीक्षा परिणाम में सुधार
तो होगा ही, साथ ही परीक्षाओं को लेकर बच्चों के बीच अनावश्यक तनाव भी
खत्म होगा। हालांकि ये नियम अगले सत्र से लागू होगा।
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