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अब विद्यार्थी पूछ रहे सवाल-अतिथि तुम कब आओगे

रतलाम। कॉलेजों में शिक्षा सत्र को ढाई माह बीत चुके है, लेकिन अब भी कॉलेजों में रिक्त पदों के विरुद्ध अतिथियों का इंतजार ही किया जा रहा है कि वे कब आएंगे और पढ़ाएंगे। उच्च शिक्षा विभाग की लेटलतिफी का आलम यह है कि इतना समय बीत जाने के बाद भी इनकी नियुक्ति के लिए दस्तावेजों का सत्यापन होकर सूची जारी होने का इंतजार करना पड़ रहा है।
अब तो कॉलेज में विद्यार्थी भी सवाल कर रहे हैं कि अतिथि तुम कब आओगे।


अग्रणी कॉलेज के बुरे हालात

जिले के सबसे बड़े और इन कॉलेजों का बॉस कहे जाने वाले अग्रणी कॉलेज में सबसे बुरे हालात हैं। यहां सबसे ज्यादा प्राध्यापकों की कमी से जूझना पड़ रहा है। अंग्रेजी साहित्य पढऩे वाले बच्चों के सामने संकट यह है कि यहां आठ में से छह पद खाली पड़े हुए हैं। दूसरे नंबर पर जावरा का शासकीय भगतसिंह स्नातकोत्तर महाविद्यालय आता है।

बीत जाएगा पूरा माह

उच्च शिक्षा विभाग ने 10 अगस्त के बाद अतिथियों की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की। ऑन लाइन आवेदन के बाद हाल ही में इनके दस्तावेजों का सत्यापन कार्य पूरा हुआ है। सूचियां उच्च शिक्षा विभाग को पहुंचने के बाद नियुक्ति आदेश जारी होंगे। इस कार्य में अभी कम से कम 10 दिन और लग सकते हैं।

एक कालखंड के 275 रुपए

अतिथि विद्वानों को एक कालखंड पढ़ाने के बदले शासन से 275 रुपए मानदेय दिया जाता है। इनके लिए बंदिश यह है कि प्रत्येक अतिथि विद्वान को अधिकतम तीन कालखंड पढ़ाने का ही भुगतान किया जा सकता है। परिस्थितियों के अनुसार इससे ज्यादा कालखंड पढ़ाने पर भी तीन का ही भुगतान हो सकेगा।

जैसे-तैसे की है व्यवस्था
प्राध्यापकों की कमी की बात बिलकुल सही है लेकिन इतने समय कमी को पूरा करने के लिए हमारे पास जितने प्राध्यापक उपलब्ध थे उन्हीं से जैसे-तैसे काम चलाकर पढ़ाई करवाई गई। जो अतिथि आएंगे उन्हें सबसे पहले यही बताया जाएगा कि वे कोर्स में सेमेस्टर के म²ेनजर वे ही बिंदु पढ़ाएं जो आवश्यक हो जिससे परीक्षा की तैयारी की जा सके।


डॉ. एसके जोशी, प्राचार्य अग्रणी कॉलेज
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