बालाघाट. जिले
में एक शाला ऐसी है, जिसके लिए विभाग ने दस वर्षों में भी कोई शिक्षक नहीं
खोज पाया। इसे विभाग की लचर कार्यप्रणाली कहें या फिर बच्चों का दुर्भाग्य
कि शाला में कोई भी शिक्षक नहीं पहुंच पा रहा है। आलम यह है कि यहां पिछले
दस वर्ष से शिक्षक की कमी बनी हुई है।
प्राथमिक शाला के शिक्षक के भरोसे माध्यमिक शाला
मौजूदा समय में प्राथमिक शाला के शिक्षक के भरोसे माध्यमिक की पढ़ाई हो रही है। बावजूद इसके शिक्षा व्यवस्था को लेकर आज तक किसी ने गंभीरता नहीं दिखाई। हालांकि, इसके लिए स्थानीय स्तर पर प्रयास भी किए गए, लेकिन नतीजा सिफर साबित हुआ मामला जनपद पंचायत किरनापुर के अंतर्गत ग्राम पंचायत कसंगी का है।
वर्ष 2006 से शुरू हुई माध्यमिक शाला
जानकारी के अनुसार ग्राम पंचायत कंसगी में वर्ष 2006 में शासकीय माध्यमिक शाला की शुरूआत हुई है। प्रारम्भिक दिनों में यहां शिक्षण व्यवस्था कुछ सही रही। इसके कुछ दिनों बाद से स्थिति काफी खराब हो गई। वर्ष 2006 से लेकर अब तक माध्यमिक शाला में अंग्रेजी, गणित सहित अन्य विषयों के शिक्षकों का अभाव बना हुआ है।
अतिथि शिक्षक के लिए भी नहीं मिले आवेदन
शासन के निर्देशानुसार शाला प्रबंधन ने अतिथि शिक्षकों के आवेदन भी मंगाए। लेकिन न तो किसी ने आवेदन किया और न ही कोई शाला पहुंचा। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि शाला में कोई भी शिक्षक ही नहीं पहुंच रहा है। इधर, शिक्षक के कमी के चलते विद्यालय में कैसे पढ़ाई हो रही होगी, इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।
आधा सैकड़ा से अधिक बच्चे
ग्रामीणों से मिली जानकारी के अनुसार शासकीय माध्यमिक शाला कसंगी में 87 बच्चे दर्ज हैं। लेकिन इन बच्चों को पढ़ाने वाला कोई भी शिक्षक नहीं है। यहां शिक्षक की कमी की वजह से न केवल पढ़ाई हो पा रही है। बल्कि बच्चों का भविष्य भी अंधकार मय होने लगा है। शासन एक ओर शिक्षा के लिए काफी प्रयास कर रही है, लेकिन इस प्रयास की जमीनी हकीकत कुछ और ही है। कसंगी शाला इसका उदाहरण बनी हुई है।
शिक्षक की पदस्थापना के लिए लिखे पत्र
शाला में शिक्षक की कमी से स्थानीय जनप्रतिनिधि व ग्रामीण चितिंत हैं। सरपंच बस्तर सिंह पंद्रे के अनुसार शिक्षकों की पदस्थापना के लिए अनेक बार विभाग को भी पत्र लिखा गया है। लेकिन उनके पत्रों पर आज तक कोई भी कार्रवाई नहीं हुई। शाला प्रबंधन समिति ने भी शिक्षक की कमी की समस्या बताकर वस्तुस्थिति से अवगत कराया, पत्र भी लिखा। लेकिन आज तक इस समस्या का समाधान नहीं हो पाया है।
जंगलों में बसा है गांव
ग्राम पंचायत कसंगी वैसे तो जपं किरनापुर के अंतर्गत आता है, लेकिन वह दक्षिण बैहर क्षेत्र में बसा हुआ है। गांव जंगलों के बीच बसा होने और दुर्गम क्षेत्र होने की वजह से यहां कोई भी शिक्षक आने को नहीं देख रहा है। इस कारण यहां के शाला की पढ़ाई भगवान भरोसे हो रही है।
वर्सन
शिक्षकों की कमी से बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं मिल पा रहा है। बच्चों का शाला जाना महज एक औपचारिकता होती है। यह समस्या काफी दिनों से बनी हुई है।
-किशन उइके, सदस्य, शाला प्रबंधन समिति
माध्यमिक शाला में पिछले दस वर्ष से किसी भी शिक्षक की पदस्थापना नहीं की गई है। पंचायत की ओर से अनेक बार विभाग को पत्र लिखा गया। लेकिन आज तक उनके पत्र पर कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है।
-बस्तर सिंह पंद्रे, सरपंच, ग्रापं कसंगी
माध्यमिक शाला कसंगी में शिक्षकों की कमी से सरपंच द्वारा पत्र के माध्यम से अवगत कराया गया है। मामले में शीघ्र ही कार्रवाई की जाएगी। विभाग के उच्चाधिकारियों को पत्र लिखा जाएगा।
-सम्पत्त सिंह उइके, बीआरसी
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प्राथमिक शाला के शिक्षक के भरोसे माध्यमिक शाला
मौजूदा समय में प्राथमिक शाला के शिक्षक के भरोसे माध्यमिक की पढ़ाई हो रही है। बावजूद इसके शिक्षा व्यवस्था को लेकर आज तक किसी ने गंभीरता नहीं दिखाई। हालांकि, इसके लिए स्थानीय स्तर पर प्रयास भी किए गए, लेकिन नतीजा सिफर साबित हुआ मामला जनपद पंचायत किरनापुर के अंतर्गत ग्राम पंचायत कसंगी का है।
वर्ष 2006 से शुरू हुई माध्यमिक शाला
जानकारी के अनुसार ग्राम पंचायत कंसगी में वर्ष 2006 में शासकीय माध्यमिक शाला की शुरूआत हुई है। प्रारम्भिक दिनों में यहां शिक्षण व्यवस्था कुछ सही रही। इसके कुछ दिनों बाद से स्थिति काफी खराब हो गई। वर्ष 2006 से लेकर अब तक माध्यमिक शाला में अंग्रेजी, गणित सहित अन्य विषयों के शिक्षकों का अभाव बना हुआ है।
अतिथि शिक्षक के लिए भी नहीं मिले आवेदन
शासन के निर्देशानुसार शाला प्रबंधन ने अतिथि शिक्षकों के आवेदन भी मंगाए। लेकिन न तो किसी ने आवेदन किया और न ही कोई शाला पहुंचा। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि शाला में कोई भी शिक्षक ही नहीं पहुंच रहा है। इधर, शिक्षक के कमी के चलते विद्यालय में कैसे पढ़ाई हो रही होगी, इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।
आधा सैकड़ा से अधिक बच्चे
ग्रामीणों से मिली जानकारी के अनुसार शासकीय माध्यमिक शाला कसंगी में 87 बच्चे दर्ज हैं। लेकिन इन बच्चों को पढ़ाने वाला कोई भी शिक्षक नहीं है। यहां शिक्षक की कमी की वजह से न केवल पढ़ाई हो पा रही है। बल्कि बच्चों का भविष्य भी अंधकार मय होने लगा है। शासन एक ओर शिक्षा के लिए काफी प्रयास कर रही है, लेकिन इस प्रयास की जमीनी हकीकत कुछ और ही है। कसंगी शाला इसका उदाहरण बनी हुई है।
शिक्षक की पदस्थापना के लिए लिखे पत्र
शाला में शिक्षक की कमी से स्थानीय जनप्रतिनिधि व ग्रामीण चितिंत हैं। सरपंच बस्तर सिंह पंद्रे के अनुसार शिक्षकों की पदस्थापना के लिए अनेक बार विभाग को भी पत्र लिखा गया है। लेकिन उनके पत्रों पर आज तक कोई भी कार्रवाई नहीं हुई। शाला प्रबंधन समिति ने भी शिक्षक की कमी की समस्या बताकर वस्तुस्थिति से अवगत कराया, पत्र भी लिखा। लेकिन आज तक इस समस्या का समाधान नहीं हो पाया है।
जंगलों में बसा है गांव
ग्राम पंचायत कसंगी वैसे तो जपं किरनापुर के अंतर्गत आता है, लेकिन वह दक्षिण बैहर क्षेत्र में बसा हुआ है। गांव जंगलों के बीच बसा होने और दुर्गम क्षेत्र होने की वजह से यहां कोई भी शिक्षक आने को नहीं देख रहा है। इस कारण यहां के शाला की पढ़ाई भगवान भरोसे हो रही है।
वर्सन
शिक्षकों की कमी से बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं मिल पा रहा है। बच्चों का शाला जाना महज एक औपचारिकता होती है। यह समस्या काफी दिनों से बनी हुई है।
-किशन उइके, सदस्य, शाला प्रबंधन समिति
माध्यमिक शाला में पिछले दस वर्ष से किसी भी शिक्षक की पदस्थापना नहीं की गई है। पंचायत की ओर से अनेक बार विभाग को पत्र लिखा गया। लेकिन आज तक उनके पत्र पर कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है।
-बस्तर सिंह पंद्रे, सरपंच, ग्रापं कसंगी
माध्यमिक शाला कसंगी में शिक्षकों की कमी से सरपंच द्वारा पत्र के माध्यम से अवगत कराया गया है। मामले में शीघ्र ही कार्रवाई की जाएगी। विभाग के उच्चाधिकारियों को पत्र लिखा जाएगा।
-सम्पत्त सिंह उइके, बीआरसी
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