भोपाल। समान कार्य और समान वेतन के साथ शिक्षा विभाग में संविलियन की मांग को लेकर प्रदेश के लाखों अध्यापक आंदोलनरत है। अब सरकार के एक और फरमान ने इन अध्यापकों की नाराजगी बढ़ा दी है।दरअसल, शिक्षा विभाग ने हाल ही में एक फरमान जारी किया है।
जिसमें अध्यापक संवर्ग की महिला अध्यापकों को मातृत्व अवकाश की पात्रता समाप्ता कर दी गयी है। विभाग के इस फरमान में आग में घी डालने का काम किया है और पहले से ही सरकार से नाराज चल रहे अध्यापक अब महिला अध्यापकों के हक के लिए आंदोलन का बिगुल फूंकने की तैयारी कर रहे हैं।
क्या है पूरा मामला :
मध्यप्रदेश सरकार के स्कूल शिक्षा विभाग ने 6 अगस्त 16 को जारी इस आदेश में कहा है कि 22 अगस्त 2015 को शासकीय महिला सेवकों के लिए 730 दिन का संतान पालन अवकाश घोषित किया गया था। इस अवकाश की पात्रता अध्यापक संवर्ग की महिलाओं के लिए नहीं है। इसके पहले भी महिला अध्यापकों के चाइल्ड केअरर लीव के मामले में शिक्षा विभाग ने मनमाफिक निर्णय लिए हैं।
पहले भी शिक्षा विभाग जहां महिला अध्यापकों की चाइल्ड केअर लीव एक तरफा आदेश निकालकर निरस्त कर चुका है और अगर महिला अध्यापक चाइल्ड केअर लीव पर छुट्टी चली गयी तो उनके वापस लौटने पर उनका ट्रांसफर कर दिया गया। अब इस आदेश के बाद महिला अध्यापकों की नाराजगी और भी ज्यादा बढ गयी है और तुगलकी आदेश के विरोध में आंदोलन की तैयारी चल रही है।
क्या कहना है शिक्षकों का :
आदेश के खिलाफ अध्यापक शिक्षक कांग्रेस की पदाधिकारी संगीता गर्ग का कहना है कि हम अध्यापक लोगों से कामकाज एक शासकीय शिक्षक की तरह लिया जाता है कोई भी कार्रवाई या दिशा निर्देश की बात आती है तो शासकीय शिक्षको को बनाए गए नियमों के तहत कार्रवाई की जाती है, लेकिन जब वेतन भत्ते, बीमा, अवकाश और मेडीकल लीव जैसी सुविधाओं की बात आती है तो सरकार भेदभाव पर उतर आती है और कहा जाता है कि आप शासकीय सेवक नहीं हो।
सरकार का ये फरमान महिला कर्मचारियों को उनके अधिकारों से वंचित करता है और इस फरमान को लेकर हम लोग आला अधिकारियों से मुलाकात करेंगे और आदेश निरस्त नहीं हुआ तो बच्चों के साथ सड़कों पर उतरेंगे।
क्या कहना है विभाग का :
वहीं इस मामले में स्कूल शिक्षा विभाग का कहना है कि आदेश हमें वित्त मंत्रालय से प्राप्त हुआ है और वित्त मंत्रालय ने महिला अध्यापकों के लिए चाइल्ड केअर लीव की पात्रता से हटाया। वित्त विभाग के आदेश के पालन में ये आदेश जारी किया गया है।
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जिसमें अध्यापक संवर्ग की महिला अध्यापकों को मातृत्व अवकाश की पात्रता समाप्ता कर दी गयी है। विभाग के इस फरमान में आग में घी डालने का काम किया है और पहले से ही सरकार से नाराज चल रहे अध्यापक अब महिला अध्यापकों के हक के लिए आंदोलन का बिगुल फूंकने की तैयारी कर रहे हैं।
क्या है पूरा मामला :
मध्यप्रदेश सरकार के स्कूल शिक्षा विभाग ने 6 अगस्त 16 को जारी इस आदेश में कहा है कि 22 अगस्त 2015 को शासकीय महिला सेवकों के लिए 730 दिन का संतान पालन अवकाश घोषित किया गया था। इस अवकाश की पात्रता अध्यापक संवर्ग की महिलाओं के लिए नहीं है। इसके पहले भी महिला अध्यापकों के चाइल्ड केअरर लीव के मामले में शिक्षा विभाग ने मनमाफिक निर्णय लिए हैं।
पहले भी शिक्षा विभाग जहां महिला अध्यापकों की चाइल्ड केअर लीव एक तरफा आदेश निकालकर निरस्त कर चुका है और अगर महिला अध्यापक चाइल्ड केअर लीव पर छुट्टी चली गयी तो उनके वापस लौटने पर उनका ट्रांसफर कर दिया गया। अब इस आदेश के बाद महिला अध्यापकों की नाराजगी और भी ज्यादा बढ गयी है और तुगलकी आदेश के विरोध में आंदोलन की तैयारी चल रही है।
क्या कहना है शिक्षकों का :
आदेश के खिलाफ अध्यापक शिक्षक कांग्रेस की पदाधिकारी संगीता गर्ग का कहना है कि हम अध्यापक लोगों से कामकाज एक शासकीय शिक्षक की तरह लिया जाता है कोई भी कार्रवाई या दिशा निर्देश की बात आती है तो शासकीय शिक्षको को बनाए गए नियमों के तहत कार्रवाई की जाती है, लेकिन जब वेतन भत्ते, बीमा, अवकाश और मेडीकल लीव जैसी सुविधाओं की बात आती है तो सरकार भेदभाव पर उतर आती है और कहा जाता है कि आप शासकीय सेवक नहीं हो।
सरकार का ये फरमान महिला कर्मचारियों को उनके अधिकारों से वंचित करता है और इस फरमान को लेकर हम लोग आला अधिकारियों से मुलाकात करेंगे और आदेश निरस्त नहीं हुआ तो बच्चों के साथ सड़कों पर उतरेंगे।
क्या कहना है विभाग का :
वहीं इस मामले में स्कूल शिक्षा विभाग का कहना है कि आदेश हमें वित्त मंत्रालय से प्राप्त हुआ है और वित्त मंत्रालय ने महिला अध्यापकों के लिए चाइल्ड केअर लीव की पात्रता से हटाया। वित्त विभाग के आदेश के पालन में ये आदेश जारी किया गया है।
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