सरकारी महिला कर्मचारियों को दी जाने वाली चाइल्ड केयर लीव को लेकर मामला
उलझने लगा है। इसका मुख्य कारण महिला अध्यापकों की यह लीव निरस्त कर दी गई
है। इस आदेश का विरोध भी शुरू हो गया है। महिला अध्यापक दिल्ली के
जंतर-मंतर तक जाकर प्रदर्शन करने की तैयारी में हैं।
चाइल्ड केयर लीव नहीं मिलने से नाराज प्रदेश की 95 हजार महिला अध्यापक दिल्ली में प्रदर्शन करेंगी। 730 दिन की चाइल्ड केयर लीव नहीं मिलने के कारण आक्रोश का माहौल बनने लगा है। महिला अध्यापकों द्वारा विरोध प्रदर्शन के इस निर्णय पर मप्र समग्र शिक्षक व्याख्याता एवं प्राचार्य कल्याण संघ ने भी समर्थन दिया है।
नीति विरुद्ध आदेश जारी किए : संघ के प्रदेशाध्यक्ष मुकेश शर्मा का कहना है कि शासन का यह आदेश न तो संविधान की मूल भावना और न ही प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के अनुकूल है। एक ओर शासन समान कार्य, समान वेतन को सिद्धांत: स्वीकार कर उस नीति पर कार्य कर रहा है और दूसरी ओर इस तरह के नीति विरुद्ध आदेश जारी किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि क्या सरकार की निगाह में महिला अध्यापक महिला कर्मचारी नहीं या उनकी संतान, संतान नहीं? जहां शासन द्वारा एक ओर महिला सशक्तीकरण और समानता की बात कही जाती है, वहीं दूसरी ओर महिला कर्मचारियों के बीच इस मामले में भेदभाव नीति अपनाई जा रही है। संघ ने आदेश को निरस्त करने की मांग मुख्यमंत्री, स्कूल शिक्षा मंत्री एवं महिला बाल विकास मंत्री से की है।
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चाइल्ड केयर लीव नहीं मिलने से नाराज प्रदेश की 95 हजार महिला अध्यापक दिल्ली में प्रदर्शन करेंगी। 730 दिन की चाइल्ड केयर लीव नहीं मिलने के कारण आक्रोश का माहौल बनने लगा है। महिला अध्यापकों द्वारा विरोध प्रदर्शन के इस निर्णय पर मप्र समग्र शिक्षक व्याख्याता एवं प्राचार्य कल्याण संघ ने भी समर्थन दिया है।
नीति विरुद्ध आदेश जारी किए : संघ के प्रदेशाध्यक्ष मुकेश शर्मा का कहना है कि शासन का यह आदेश न तो संविधान की मूल भावना और न ही प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के अनुकूल है। एक ओर शासन समान कार्य, समान वेतन को सिद्धांत: स्वीकार कर उस नीति पर कार्य कर रहा है और दूसरी ओर इस तरह के नीति विरुद्ध आदेश जारी किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि क्या सरकार की निगाह में महिला अध्यापक महिला कर्मचारी नहीं या उनकी संतान, संतान नहीं? जहां शासन द्वारा एक ओर महिला सशक्तीकरण और समानता की बात कही जाती है, वहीं दूसरी ओर महिला कर्मचारियों के बीच इस मामले में भेदभाव नीति अपनाई जा रही है। संघ ने आदेश को निरस्त करने की मांग मुख्यमंत्री, स्कूल शिक्षा मंत्री एवं महिला बाल विकास मंत्री से की है।
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