भोपाल. मध्य
प्रदेश में उच्चशिक्षा विभाग का एक और तुगलकी फरमान जारी हुआ है। अध्यापक
संवर्ग की शिक्षिकाओं की संतान पालन की पात्रता खत्म कर दी गई है। विभाग के
इस फरमान से इस संवर्ग की शिक्षिकाओं में रोष है। वे अपनी नाराजगी
उच्चाधिकारियों तक पहुंचाने की तैयारी कर रही हैं। इससे पहले भी विभाग इस
तरह के तुगलकी फरमान जारी करता रहा है, जिसमें चाइल्ड केयर लीव से लौटी
शिक्षिकाओं को दूसरी जगह पदस्थ करने जैसे निर्णय शामिल रहे हैं। इतना ही
नहीं, हाल ही मंे भोपाल जिला शिक्षाधिकारी ने जिले की सभी महिला शिक्षिकाओं
के चाइल्ड केयर लीव आवेदन निरस्त करने के निर्देश जारी कर दिए थे। एेसा ही
हाईस्कूल-हायर सेकंडरी परीक्षाओं के समय भी किया गया था और जो महिला
शिक्षक अवकाश पर चली गई थीं, आदेश के बाद उन्हें फिर से काम पर लौटना पड़ा
था।
समग्र शिक्षक
व्याख्याता एवं प्राचार्य कल्याण संघ के प्रदेशाध्यक्ष मुकेश शर्मा का कहना
है कि नए आदेश से स्पष्ट है कि प्रदेश में अध्यापक संवर्ग की महिला शिक्षक
को संतान की देखभाल की जरूरत नहीं है। ये संतान को जन्म देते ही कक्षा में
पठन-पाठन शुरू कर सकती हैं और बच्चा घर पर बिना मां के खुद ही अपना
भरन-पोषण कर सकता है। इस आदेश से स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारियों की
गंभीरता का भी अंदाजा होता है। वरिष्ठ शिक्षिका ज्योत्सना गुर्जर का कहना
है कि विभाग का यह निर्णय महिलाओं को उनके नैसर्गिक कर्तव्य से विमुख कर
रहा है, इसका हम ऊपर तक विरोध करेंगे। इस आशय का पत्र वित्त विभाग की ओर से
स्कूल शिक्षा विभाग को छह जून 2016 को जारी हुआ था। इसकी गंभीरता और
प्रभाव दायरे को समझे बिना विभाग के अधिकारियों ने मुहर लगा दी। छह अगस्त
को अवर सचिव स्कूल शिक्षा ने विभाग में लागू होने के लिए यह आदेश जारी कर
दिया। 'पत्रिकाÓ के पास इसकी प्रति उपलब्ध है। आदेश में स्पष्ट किया है कि
शासकीय महिला सेवकों को 730 दिन का संतान पालन अवकाश का प्रावधान है। अगली
लाइन में स्पष्ट कर दिया कि उक्त संतान पालन अवकाश की पात्रता अध्यापक
संवर्ग की महिलाओं को नहीं है।
सीधी बात : एसआर मोहंती, एसीएस, स्कूल शिक्षा
सवाल : अध्यापक संवर्ग की महिलाओं को संतान पालन अवकाश के लिए अपात्र किया है, आदेश की जानकारी है क्या?
जवाब : हां, जानकारी है।
सवाल : क्या यह उचित आदेश है?
जवाब : यह हम नहीं कह सकते, वित्त विभाग से हमारे पास आया था जिसे आगे बढ़ाया है।
सवाल : यह तो महिलाओं का हक है, इसे कैसे छीना जा सकता है?
जवाब : अब यह हम नहीं जानते, हम तो आदेश का पालन करते हैं।
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