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गरीबों को पढ़ाया, अब फीस के लिए तरसे डेढ़ हजार स्कूल

RTE : बजट की कमी बताकर अफसरों का भुगतान से इनकार
प्रदेश टुडे संवाददाता, भोपाल :
आरटीई के नियमों के मुताबिक निजी स्कूलों में 25 फीसदी गरीब बच्चों को पढ़ाने वाले करीब डेढ़ हजार से ज्यादा स्कूलों को शिक्षा विभाग भुगतान करना भूल गया है।
नि:शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत निजी स्कूलों में कमजोर आय वाले या बीपीएल कार्डधारी अभिभावकों के बच्चों को पढ़ाने के लिए शासन ने आदेश दिया था।
शासन के नियमों का पालन करते हुए प्रदेश के 19 हजार से अधिक स्कूलों ने सभी प्रोटोकॉल का पालन करते हुए छात्रों को पढ़ाना शुरू कर दिया। कई छात्र पढ़ाई करके आगे भी बढ़ गए हैं, लेकिन सत्र 2014-15 में पढ़ने वाले छात्रों की फीस का भुगतान न करने की वजह विभाग के अफसर बजट को दे रहे हैं।
यह कहना है प्रायवेट स्कूल एसोसिएशन का, उन्होंने कहा कि सत्र 2015-16 के पेमेंट भुगतान की प्रक्रिया भी शुरू नहीं की गई है। हालांकि कि इन स्कूलों में कई स्कूल ऐसे हैं, जिनका भुगतान राज्य शिक्षा केन्द्र द्वारा किया जा चुका है, लेकिन अब भी करीब डेढ़ हजार से ज्यादा निजी स्कूल भुगतान की आस में बैठे हुए हैं।

निजी स्कूल संचालकों का गुनाह बस यही है कि विभाग के अधिकारियों की बात मान कर प्रवेश दे दिए और इस आश्वासन पर भरोसा किया कि सत्र के आखिर में भुगतान निश्चित रूप से हो जाएगा। लेकिन दो साल के बाद भी इंतजार करना पड़ रहा है।      अजीत सिंह, अध्यक्ष, प्रायवेट स्कूल एसोसिएशन

अफसरों की लापरवाही का नतीजा
प्रायवेट स्कूल एसोसिएशन का कहना है कि आरटीई अधिनियम के तहत निजी स्कूलों के 25% विद्यार्थियों का भुगतान राज्य शिक्षा केन्द्र द्वारा किया जाता है, लेकिन आलम यह है कि दो साल पहले बच्चों को पढ़ा चुके विद्यालय आज भी आला अधिकारियों की तरफ आशा भरी निगाहों से देख रहे हैं। अफसरों की लापरवाही की वजह से अब तक भुगतान नहीं हो पाया है। विभाग के इस उदासीन रवैए से निजी स्कूल संचालकों को आर्थिक परेशानी झेलनी पड़ रही है। वहीं राज्य शिक्षा केन्द्र का कहना है कि स्कूलों के खाता क्रमांक ठीक न होना या अन्य कोई वजह से भुगतान नहीं हुआ होगा, अब तो सब काम आॅनलाइन हो गया है।

मंत्री से शिकायत पर मिला आश्वासन
एसोसिएशन प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री से भी इस संबंध में गुहार लगा चुका है, लेकिन उन्हें वहां भी केवल आश्वासन ही मिला है। वर्ष 2015-2016 का भुगतान जो मार्च 16 में हो जाना चाहिए आज तक पोर्टल शुरू नहीं हो पाया। एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने कहा कि जब राजधानी के स्कूलों की स्थिति खराब है तो दूरस्थ जिलों के स्कूल संचालक कितने परेशान होंगे। अफसरों से जब भी भुगतान की बात की जाती है तो बजट न होने का हवाला दिया जाता है।

एडमिशन के लिए छूटे छात्रों को एक और मौका
भोपाल। शिक्षा का अधिकार कानून के तहत प्रायवेट स्कूलों की प्रथम कक्षा में नि:शुल्क प्रवेश के लिए पहले आवेदन करने वाले ऐसे बच्चें जिन्हें प्रथम चरण की आॅनलाइन लॉटरी में किसी भी स्कूल में प्रवेश नही मिला था, उनके लिए दूसरे चरण की प्रक्रिया 1 सितंबर से शुरू हो रही है। इसके तहत पहले आवेदन करने वाले बच्चों द्वारा प्रायवेट स्कूलों में खाली रही सीट्स पर फिर से  पसंद के स्कूलों का चयन प्राथमिकता के आधार पर करने का मौका मिल सकेगा। स्कूल शिक्षा विभाग के द्वारा शनिवार को जारी निर्देश के बाद इस संबंध में शिक्षा के अधिकार पोर्टल पर शेष सीटों वाले स्कूलों की सूची को देखकर बच्चों के पालक अपने ग्राम/वार्ड के तथा उसके पड़ोस के स्कूलों को चयन कर सकेंगे। विभाग ने पालकों से अनुरोध किया है कि वे स्कूलों का चयन वरीयता के आधार पर कम से कम 3 स्कूलों के रूप में करें।

जिससे कोई भी पात्र बच्चा प्रवेश करने से वंचित ना रह सके। आरटीई पोर्टल पर इस संबंध में पूर्व में आवेदन करने वाले और लाटरी में चयनित न हो पाने वाले बच्चों के आॅन लाईन आवेदन 5 सितम्बर तक किए जा सकेंगे। इस प्रक्रिया में आवेदको, जिनके द्वारा प्रवेश के लिए निर्धारित समय में पूर्व में आॅनलाईन आवेदन किया गया एवं सीट आवंटित नही हुई है, को शामिल किया जायेगा। इसके अतिरिक्त उन आवेदको को जिन्हें प्रथम चरण में स्कूल का आवंटन किया गया, परंतु उनकी प्रथम च्वाइस का स्कूल आवंटित न होकर अन्य प्राथमिकता के क्रम का स्कूल आवंटित हुआ था और वे दस्तावेजों के सत्यापन के लिए उपस्थित नही हुए हैं, उन्हें भी द्वितीय चरण की लॉटरी में शामिल किया जायेगा। प्रायवेट स्कूलों की सीट्स के आवंटन हेतु द्वितीय चरण की आॅनलाईन लाटरी 8 सितम्बर को सम्पन्न होगी।
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