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बायो मैट्रिक मशीन नहीं लगाई तो रोका जाएगा प्राचार्यों का वेतन!

देवास। ब्यूरो शासकीय कॉलेजों में बायो मैट्रिक मशीनें लगाने व उनके सुचारु रूप से संचालन को लेकर उच्च शिक्षा विभाग सख्त रवैया अपना रहा है। कई बार निर्देश देने के बावजूद बायो मैट्रिक मशीनों के संचालन के प्रति कॉलेजों की बेरूखी सामने आ रही है। इसको लेकर आयुक्त नाराज हैं।
प्राचार्यों को भेजे गए अपने पत्र में आयुक्त ने सख्त लहजे में कहा है कि अगर कहीं पर बायो मैट्रिक नहीं लगी है तो उसे 10 सितंबर लगवाकर उसका संचालन सुचारु रूप से करवाएं। ऐसा न होने पर प्राचार्यों का वेतन रोका जाएगा तथा अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
दरअसल कॉलेजों में प्राध्यापकों व स्टाफ की तय समय पर उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए विभाग ने बायो मैट्रिक मशीन लगाने के निर्देश दिए थे। यह भी स्पष्ट किया था कि प्राध्यापकों को कम से कम छह घंटे कॉलेजों में रुकना जरूरी है। कॉलेज में आने व जाने के वक्त मशीन में इंट्री करना आवश्यक है। अतिरिक्त संचालक उच्च शिक्षा को निर्देशित किया था कि वे संबंधित कॉलेजों से प्रतिदिन की उपस्थिति का रिकॉर्ड मंगवाए। इनमें प्राध्यापकों के कॉलेज में आने-जाने के समय के साथ ही यह उल्लेख रहे कि वे कितनी देर कॉलेज में रुके।
पत्र भेजकर जताई नाराजगी
निर्देशों के बावजूद कई कॉलेजों में अब तक बायो मैट्रिक मशीनों का संचालन सुचारु रूप से नहीं किया जा रहा है। इसको लेकर उच्च शिक्षा आयुक्त नाराज हैं। 27 अगस्त को उन्होंने इस बाबत शासकीय, अशासकीय कॉलेजों के प्राचार्यों को पत्र लिखा। इसमें पूर्व के पत्रों का हवाला देते हुए कहा कि अगर आपके कॉलेज में बायो मैट्रिक मशीन नहीं लगी है तो 10 सितंबर तक अनिवार्य रूप से उसे लगाकर उसका संचालन सुनिश्चित करें। जिन कॉलेजों में 10 सितंबर तक बायो मैट्रिक मशीनों का संचालन सुचारु रूप से नहीं पाया गया उन कॉलेजों के प्राचार्यों का वेतन तब तक आहरित नहीं होगा जब तक बायो मैट्रिक मशीन का संचालन सुचारु न हो जाए। इसका पालन न करने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। आगामी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में इस बात की समीक्षा की जाएगी।
दो लोगों के लिए एक मशीन!
जिले में कुल 11 कॉलेज हैं। लीड कॉलेज के मुताबिक सभी कॉलेजों में बायो मैट्रिक मशीनें सुचारु रूप से चल रही है। शुरुआत में सतवास के कॉलेज में दिक्कत जरूर आई थी, लेकिन बाद में सिम से मशीन को कनेक्ट किया गया। इधर लॉ कॉलेज में दो-दो मशीनें लगाई गई थी, जिसमें से एक वापस ली गई। यह बात भी सामने आई कि लॉ कॉलेज व सतवास कॉलेज में सिर्फ दो-दो ही प्राध्यापक हैं। कई बार जब लॉ कॉलेज की मशीन काम नहीं करती है तो वहां का स्टाफ लीड कॉलेज की मशीन में इंट्री करता है, क्योंकि दोनों कॉलेज एक ही परिसर में चल रहे हैं।
सभी कॉलेजों में हैं मशीनें
जिले में सभी कॉलेजों में बायो मैट्रिक मशीनें सुचारू रूप से चल रही है। इसकी जानकारी भी विभाग को दे दी गई है। कुछ जिलों में अभी मशीनों का संचालन ठीक से नहीं हो पा रहा है इसलिए आयुक्त ने पत्र भेजा है। हमारे यहां से हर दूसरे दिन एडी उज्जैन को अटेंडेंस की जानकारी भेजी जाती है।
-डॉ. एसएल वरे, प्राचार्य लीड कॉलेज देवास
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