पुलिस में पिछले कुछ समय मेंं काफी प्रमोशन किए गए हैं। अभी तत्काल हमें कोई प्रमोशन नहीं करने हैं। जहां तक भविष्य की बात है, तो शासन स्तर पर जो निर्णय लिए जाएंगे, उसी हिसाब से हम कदम उठाएंगे।  बीपी सिंह, अपर मुख्य सचिव, गृह विभाग, मप्र
शासन स्तर पर होगा निर्णय
शिक्षकों व कर्मचारियों के प्रमोशन के मामले में शासन स्तर पर निर्णय हाेना है। उसी के आधार पर आगामी कार्रवाई की जाएगी। प्रयास किए जाएंगे कि आदेश मिलते ही तत्काल एक्शन लिया जाए।  एसआर मोहंती, अपर मुख्य सचिव, स्कूल शिक्षा विभाग
सुप्रीम कोर्ट ने स्टेटस मेंटेन रखने को कहा है
मप्र सरकार ने हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की है। सुप्रीम कोर्ट को इस केस में फैसला करना है। फैसले से पहले अभी सुप्रीम कोर्ट ने मप्र सरकार को स्टेटस मेंटेन रखने को कहा है। यही कारण है कि अभी राज्य के किसी भी विभाग में प्रमोशन नहीं किए जा रहे हैं।  आनंद शर्मा, एडिशनल सेक्रेटरी, सामान्य प्रशासन विभाग
इंदौर/ग्वालियर डीबी स्टार
प्रदेश में 7.50 लाख से अधिक स्थायी सरकारी अधिकारी व कर्मचारी हैं। इनमें से 25 हजार के प्रमोशन होना है। प्रमोशन के बाद रिक्त होने वाले सीधी भर्ती के पदों सहित 40 हजार से अधिक पदों पर नई भर्ती होना है। ताजा विवाद के कारण फिलहाल प्रदेश के 400 से अधिक थानों में टीआई नहीं हैं। 3000 से अधिक स्कूलों में हैडमास्टर व प्राचार्य नहीं हैं। कई मेडिकल कॉलेजों में प्रोफेसर व एसोसिएट प्रोफेसर नहीं हैं और एमसीआई ने उनकी मान्यता खत्म करने की चेतावनी दी है।
यही हाल जल संसाधन, उच्च शिक्षा सहित सभी महकमों का है। इनमें प्रमोशन के लिए डीपीसी होना है, लेकिन हो कैसे? ये किसी भी विभाग प्रमुख की समझ में नहीं आ रहा है। अप्रैल में हाईकोर्ट ने प्रमोशन में रिजर्वेशन खत्म कर दिया। यदि इस आदेश का पालन किया जाता है, तो डीपीसी सीनियरिटी लिस्ट के हिसाब से होगी, लेकिन सरकार इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चली गई है। ऐसे में जब तक वहां से अंतिम निर्णय नहीं हो जाता है, तब तक सभी प्रमोशन होल्ड रखे जाने के जीएडी को मौखिक आदेश हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 2006 में उत्तर प्रदेश के एम नागराज मामले और 2012 में यूपी पावर कॉर्पोरेशन के एक मामले की सुनवाई के दौरान प्रमोशन में आरक्षण को असंवैधानिक ठहराया था। नागराज ने पिटीशन में कहा था कि किसी पोस्ट में प्रमोशन में रिजर्वेशन तब तक नहीं दिया जा सकता, जब तक उसका कैडर डाटा नहीं हो। प्रमोशन के लिए जनगणना के आंकड़ों का इस्तेमाल नहीं हो सकता।
जीएडी से पूछ रहे हैं विभाग
सामान्य प्रशासन विभाग से सभी विभाग प्रमुख जानकारी ले रहे हैं कि प्रमोशन के मामले में क्या कदम उठाएं, लेकिन सामान्य प्रशासन विभाग के अफसर उन्हें सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अनुसार स्टेटस मेंटेन रखने के लिए कह रहे हैं।
इंस्पेक्टर विहीन थाने
खतरे में मान्यता
गृह विभाग में भी प्रमोशन न होने के कारण प्रदेश के कई थाने इंस्पेक्टर विहीन हैं। प्रदेश के 400 थाने अभी प्रभारियों के भरोसे चल रहे हैं। हाल यह है कि प्रमोशन न हो पाने के कारण सब इंस्पेक्टर, टीआई, डीएसपी के सैकडों पद खाली पड़े हैं। प्रमोशन न होने तथा नए थाने खुलने के कारण यह दिक्कत बढ़ती जा रही है।
चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रोफेसरों के प्रमोशन न होने के कारण प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों की मान्यता खतरे में पड़ गई है। मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया हर साल कॉलेजों का निरीक्षण कर यूजी व पीजी मान्यता देती है। प्रमोशन न हो पाने के कारण प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में प्रोफेसरों के 25, एसोसिएट प्रोफेसरों के 35 पद रिक्त हैं।
हाईकोर्ट के फैसले के अनुसार प्रदेश सरकार के सभी विभागों की प्रमोशन लिस्ट वापस लेना होगी।
60 हजार से ज्यादा प्रमोशन रद्द हो जाएंगे।
सरकार ने आरक्षण का पक्ष लेते हुए हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की।
कई विभागों के 20 हजार प्रमोशन अटक गए हैं।
संशय में सरकार
नोट:- पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने यह बात ग्वालियर में पांच जुलाई को आयोिजत एक पत्रकार वार्ता में कही थी।
नोट:-13 जून को भोपाल के दशहरा मैदान में अजाक्स की रैली में सीएम ने यह बात कही थी।
कोर्ट की अवमानना
आरक्षण खत्म करने संबंधी शिवराज के बयान को हाईकोर्ट द्वारा नोटिस में लिया जाना चाहिए। प्रदेश के मुखिया रहते ऐसा बयान सही नहीं है। यह न्यायालय की अवमानना है।
इधर आरक्षण पर राजनीति
मेरे रहते कोई प्रमोशन में आरक्षण खत्म नहीं कर सकता, जब तक सांस चलेगी, तब तक आरक्षण जारी रहेगा। आरक्षण के अधिकार को छीनने का काम कोई भी माई का लाल नहीं कर सकता।
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शासन स्तर पर होगा निर्णय
शिक्षकों व कर्मचारियों के प्रमोशन के मामले में शासन स्तर पर निर्णय हाेना है। उसी के आधार पर आगामी कार्रवाई की जाएगी। प्रयास किए जाएंगे कि आदेश मिलते ही तत्काल एक्शन लिया जाए।  एसआर मोहंती, अपर मुख्य सचिव, स्कूल शिक्षा विभाग
सुप्रीम कोर्ट ने स्टेटस मेंटेन रखने को कहा है
मप्र सरकार ने हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की है। सुप्रीम कोर्ट को इस केस में फैसला करना है। फैसले से पहले अभी सुप्रीम कोर्ट ने मप्र सरकार को स्टेटस मेंटेन रखने को कहा है। यही कारण है कि अभी राज्य के किसी भी विभाग में प्रमोशन नहीं किए जा रहे हैं।  आनंद शर्मा, एडिशनल सेक्रेटरी, सामान्य प्रशासन विभाग
इंदौर/ग्वालियर डीबी स्टार
प्रदेश में 7.50 लाख से अधिक स्थायी सरकारी अधिकारी व कर्मचारी हैं। इनमें से 25 हजार के प्रमोशन होना है। प्रमोशन के बाद रिक्त होने वाले सीधी भर्ती के पदों सहित 40 हजार से अधिक पदों पर नई भर्ती होना है। ताजा विवाद के कारण फिलहाल प्रदेश के 400 से अधिक थानों में टीआई नहीं हैं। 3000 से अधिक स्कूलों में हैडमास्टर व प्राचार्य नहीं हैं। कई मेडिकल कॉलेजों में प्रोफेसर व एसोसिएट प्रोफेसर नहीं हैं और एमसीआई ने उनकी मान्यता खत्म करने की चेतावनी दी है।
यही हाल जल संसाधन, उच्च शिक्षा सहित सभी महकमों का है। इनमें प्रमोशन के लिए डीपीसी होना है, लेकिन हो कैसे? ये किसी भी विभाग प्रमुख की समझ में नहीं आ रहा है। अप्रैल में हाईकोर्ट ने प्रमोशन में रिजर्वेशन खत्म कर दिया। यदि इस आदेश का पालन किया जाता है, तो डीपीसी सीनियरिटी लिस्ट के हिसाब से होगी, लेकिन सरकार इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चली गई है। ऐसे में जब तक वहां से अंतिम निर्णय नहीं हो जाता है, तब तक सभी प्रमोशन होल्ड रखे जाने के जीएडी को मौखिक आदेश हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 2006 में उत्तर प्रदेश के एम नागराज मामले और 2012 में यूपी पावर कॉर्पोरेशन के एक मामले की सुनवाई के दौरान प्रमोशन में आरक्षण को असंवैधानिक ठहराया था। नागराज ने पिटीशन में कहा था कि किसी पोस्ट में प्रमोशन में रिजर्वेशन तब तक नहीं दिया जा सकता, जब तक उसका कैडर डाटा नहीं हो। प्रमोशन के लिए जनगणना के आंकड़ों का इस्तेमाल नहीं हो सकता।
जीएडी से पूछ रहे हैं विभाग
सामान्य प्रशासन विभाग से सभी विभाग प्रमुख जानकारी ले रहे हैं कि प्रमोशन के मामले में क्या कदम उठाएं, लेकिन सामान्य प्रशासन विभाग के अफसर उन्हें सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के अनुसार स्टेटस मेंटेन रखने के लिए कह रहे हैं।
इंस्पेक्टर विहीन थाने
खतरे में मान्यता
गृह विभाग में भी प्रमोशन न होने के कारण प्रदेश के कई थाने इंस्पेक्टर विहीन हैं। प्रदेश के 400 थाने अभी प्रभारियों के भरोसे चल रहे हैं। हाल यह है कि प्रमोशन न हो पाने के कारण सब इंस्पेक्टर, टीआई, डीएसपी के सैकडों पद खाली पड़े हैं। प्रमोशन न होने तथा नए थाने खुलने के कारण यह दिक्कत बढ़ती जा रही है।
चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रोफेसरों के प्रमोशन न होने के कारण प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों की मान्यता खतरे में पड़ गई है। मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया हर साल कॉलेजों का निरीक्षण कर यूजी व पीजी मान्यता देती है। प्रमोशन न हो पाने के कारण प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में प्रोफेसरों के 25, एसोसिएट प्रोफेसरों के 35 पद रिक्त हैं।
हाईकोर्ट के फैसले के अनुसार प्रदेश सरकार के सभी विभागों की प्रमोशन लिस्ट वापस लेना होगी।
60 हजार से ज्यादा प्रमोशन रद्द हो जाएंगे।
सरकार ने आरक्षण का पक्ष लेते हुए हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की।
कई विभागों के 20 हजार प्रमोशन अटक गए हैं।
संशय में सरकार
नोट:- पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने यह बात ग्वालियर में पांच जुलाई को आयोिजत एक पत्रकार वार्ता में कही थी।
नोट:-13 जून को भोपाल के दशहरा मैदान में अजाक्स की रैली में सीएम ने यह बात कही थी।
कोर्ट की अवमानना
आरक्षण खत्म करने संबंधी शिवराज के बयान को हाईकोर्ट द्वारा नोटिस में लिया जाना चाहिए। प्रदेश के मुखिया रहते ऐसा बयान सही नहीं है। यह न्यायालय की अवमानना है।
इधर आरक्षण पर राजनीति
मेरे रहते कोई प्रमोशन में आरक्षण खत्म नहीं कर सकता, जब तक सांस चलेगी, तब तक आरक्षण जारी रहेगा। आरक्षण के अधिकार को छीनने का काम कोई भी माई का लाल नहीं कर सकता।
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