कोटड़ा बुजुर्ग (मंदसौर)। निज प्रतिनिधि । करीब 15 वर्ष
पहले शिक्षक द्वारा दिए गए एक हजार स्र्पए ने बच्चे का भविष्य संवार दिया।
आज वही विद्यार्थी फौज में जाकर गांव का नाम कर रहा है। गांव
के घनश्याम पिता गौरीशंकर पाटीदार ने जैसे-तेसे मजदूरी कर हायर सेकंडरी तक
पढ़ाई की। 2001 में 12वीं में पढ़ रहे घनश्याम को उनके शिक्षक वीरेंद्र
पाटीदार ने महू में चल रही सेना भर्ती में जाकर परीक्षा देने के लिए
प्रेरित किया।
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स्र्पए रोज मेें मजदूरी कर जैसे-तैसे घर चला रहे घनश्याम के पास महू तक
जाने के भी रुपए नहीं थे और वह अपने शिक्षक को यह बताने में संकोच कर रहा
था, बाद में जब शिक्षक वीरेंद्र पाटीदार को पता चली तो उन्होंने 1 हजार
स्र्पए घनश्याम पाटीदार को दिए।
घनश्याम
ने महू जाकर परीक्षा दी। पहले ही प्रयास में उसका चयन भारतीय सेना हो गया।
उसके बाद से घनश्याम 16 सालों से अवकाश लेकर शिक्षक दिवस पर गांव आते हैं
और गुरु वीरेंद्र पाटीदार से मिलकर आशीर्वाद लेते हैं। घनश्याम का कहना है
कि अगर उस समय मुझे शिक्षक प्रेरित नहीं करते और 1 हजार स्र्पए नहीं देते
तो शायद आज मैं इस मुकाम पर नहीं होता। घनश्याम पाटीदार दो-तीन माह में
सेवानिवृत्त होने वाले हैं।
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