जबलपुर।
माध्यमिक शिक्षा मंडल के हाई स्कूल के परीक्षा परिणाम ने संभाग के स्कूलों
में पढ़ाई की पोल खोल दी है। जबलपुर संभाग में करीब 29 हजार
छात्र-छात्राएं दसवीं कक्षा पास नहीं कर सके हैं। वहीं 35 हजार से अधिक
छात्र-छात्राओं को पूरक आई है। गिरते परीक्षा परिणाम को सुधारने के लिए
स्कूलों को विशेष हिदायतें दी गई थी। जिले में परीक्षा परिणाम बढऩे की
अपेक्षा और गिर गया। इसे शिक्षा विभाग के अधिकारियों की लापरवाही व
शिक्षकों द्वारा पढ़ाई से दूर भागने का नतीजा बताया जा रहा है।
जबलपुर जिले में आधे ही पास
जबलपुर
जिले में 25 हजार 323 छात्र परीक्षा में बैठे थे जिसमें से आधे छात्र ही
दसवीं कक्षा पास कर पाए हैं। 6 हजार 665 छात्र फेल हो गए हैं वहीं 6 हजार
260 छात्रों को सप्लीमेंट्री आई है। गत वर्ष 2015 में जबलपुर जिले का
परीक्षा परिणाम 49.43 फीसदी था, वहीं वर्ष 2016 में गिरकर 48 फीसदी रह गया।
जबलपुर संभाग में जिले का सबसे खराब रिजल्ट है।
बोर्ड खत्म होनेका बहाना
शिक्षक
खराब रिजल्ट का कारण कक्षा आठवीं तक छात्रों को पास करने के नियम को बता
रहे हैं। शिक्षकों का कहना है कि आठवीं तक पास करने के कारण छात्र पढ़ाई को
गंभीरता से नहीं लेते हैं। 9वीं कक्षा में आने वाले बच्चे कमजोर रहते हैं।
इसके अलावा एक वजह आठवीं बोर्ड का खत्म होना भी है।
ये रही कमियां
स्कूलों में पढ़ाई के लिएनहीं हुए ठोस प्रयास।
स्कूलों में नियमित शिक्षकों की कमी
अतिथि शिक्षकों के भरोसे पढ़ाई
जिले में ज्ञानपुंज योजना ठप
मोबाइल टीचिंग नहीं हो सकी शुरू
अफसरों ने स्कूलों का दौरा नहीं किया
दसवीं
कक्षा का परिणाम अच्छा नहीं रहा है। इसकी समीक्षा कराई जाएगी। जो कमियां
रह गई हैं उसे पूरा करने के लिए नए सत्र में प्रयास किए जाएंगे।
मनीष वर्मा, संभागीय संयुक्त संचालक, स्कूल शिक्षा विभाग
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