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फर्जीवाड़ा कर 4 छात्रों के नंबर बढ़ाए, अब सभी को कर दिया फेल

ग्वालियर। फर्जीवाड़ा कर होम्योपैथी के 2 छात्र और 2 छात्राओं को फेल से पास कर दिया। मामला उजागर हुआ तो कुलपति ने जांच समिति गठित कर दी। जांच में आरोप सही साबित हुए तो चारों छात्रों को फिर फेल कर दिया गया। जीवाजी यूनिवर्सिटी प्रशासन ने फर्जीवाड़े के आरोप में करेक्शन सेल में कार्यरत शिक्षक व कर्मचारियों को कारण बताओ नोटिस थमाए हैं।

बीएचएमएस फर्स्ट प्रोफ 2014 की परीक्षा में दीपक शाक्य, मोहम्मद नावेद, पारुल चौधरी व रीना निगम फेल हो गए थे। उन्होंने री-ओपन के फॉर्म भरकर कॉपियां देखीं। री-ओपन के रिजल्ट में उनके अंक नहीं बढ़े, लेकिन कुछ समय बाद चारों छात्रों के अंक बढ़ाकर उन्हें पास कर दिया गया। लंबे समय तक ये मामला दबा रहा, लेकिन छात्रों की आपसी गुटबाजी के चलते यह जेयू प्रशासन तक जा पहुंचा।
छात्रों ने इस फर्जीवाड़े की शिकायत कुलपति प्रो. संगीता शुक्ला व रजिस्ट्रार प्रो. आनंद मिश्रा से की। उन्होंने अनसुना कर दिया। फर्जीवाड़ा उजागर करने में छात्र नेता भूपेन्द्र कंषाना ने मुख्य भूमिका निभाई। इसलिए एक छात्रा ने उसे धमकाया कि वो उसके खिलाफ पुलिस में शिकायत करेगी। भूपेन्द्र ने जेयू अधिकारियों को इससे अवगत कराया।
मामला गंभीर था, इसलिए कुलपति ने नंबर बढ़ने की जांच कराई। इसमें पता चला कि चारों छात्रों को चार्ट में फर्जीवाड़ा कर अंक बढ़ाकर पास किया गया है। इसमें करेक्शन सेल में पदस्थ शिक्षक चक्रपाणि चतुर्वेदी के अलावा कर्मचारी रजनीश तिवारी व अनुराग अग्रवाल की भूमिका संदिग्ध है। कुलपति के निर्देश पर रजिस्ट्रार प्रो. आनंद मिश्रा ने बुधवार को चारों छात्रों का रिजल्ट फिर संशोधित कर उन्हें फेल करने की अधिसूचना जारी कर दी। इस मामले में संदेही शिक्षक व कर्मचारियों को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया है।
पहले भी हटाए गए हैं चतुर्वेदी
बीवीएम कॉलेज में पदस्थ रहे शिक्षक डॉ. चतुर्वेदी गलत ढंग से नंबर बढ़ाने के मामले में पहले भी आरोपों से घिरे रहे हैं। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के आंदोलन के बाद उन्हें इस कार्य से मुक्त कर दिया था, लेकिन बाद में जेयू ने उन्हें फिर यह जिम्मेदारी दे दी।
पहले भी होता रहा है गोरखधंधा
जेयू में फेल-पास का गोरखधंधा लंबे समय से चल रहा है। पहले भी इस तरह के खुलासे होते रहे हैं। आरोपी शिक्षक और कर्मचारियों को कुछ समय के लिए इधर-उधर कर दिया जाता है, फिर उन्हें वहीं पदस्थ कर दिया जाता है। इसमें जेयू के वरिष्ठ अधिकारी व शिक्षक भी संदेह के घेरे में रहे हैं।
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