बालाघाट (नईदुनिया प्रतिनिधि)। 2018 में हुई शिक्षक भर्ती प्रक्रिया का
रिलल्ट भी 2019 में आ गया है, लेकिन पास हुए अभ्यर्थी अब तक शिक्षक नहीं बन
पाए है कारण सत्यापन के कार्य में हो रही देरी अभ्यर्थियों के लिए मुसीबत
का कारण बनी हुई है।
भर्ती प्रक्रिया न होने के कारण पास हुए अभ्यर्थी अब भी प्रायवेट रोजगार करने को मजबूर हो रहे है और एक जुलाई से सत्यापन प्रक्रिया शुरू होने की जानकारी लगते ही ये अभ्यर्थी दूर-दराज से अपने काम से छुट्टी लेकर या छोड़कर सत्यापन प्रक्रिया में शामिल होने पर पहुंचे तो कोरोना वायरस संक्रमण का हवाला देते हुए सत्यापन प्रक्रिया को स्थगित कर दिया गया है जिससे अभ्यर्थियों में आक्रोश पनप गया है और जिसे जाहिर करते हुए इन्होंने ज्ञापन सौंपा है।
सभी प्रक्रिया समान फिर भी सत्यापन प्रक्रिया स्थगित : सत्यापन प्रक्रिया को शुरू करवाने की मांग करने पहुंचे अभ्यर्थी सुनिल कुमार ऐड़े ने बताया की वह लांजी कलपाथरी का निवासी है और महाराष्ट्र जिले के गोंदिया में प्रायवेट जॉब करता है उसने बताया की सत्यापन की जानकारी लगते ही वह अपने गांव वापस आ गया है और 08 जुलाई को उसका सत्यापन होना था लेकिन अचानक से जानकारी लगी की सत्यापन का कार्य पविहन के आवागमन, ओर कोरोना संकट काल को देखते हुए रोक दिया गया है जो की गलत है।
उसने बताया की जब मध्यप्रदेश सरकार
मंत्री मंडल का गठन कर रही है और सभी प्रकार के धरना-प्रदर्शन भी सामान्य
प्रक्रिया के रुप में ही चल रहे तो फिर सिर्फ भर्ती प्रक्रिया को क्यों
रोका जा रहा है इससे साफ प्रतीत होता है
भर्ती प्रक्रिया को जानबूझकर रुकवाने का कार्य किया जा रहा है जिससे को मानसिक रुप से प्रताडि़त होना पड़
रहा है।
कलेक्ट्रेट पहुंचकर सौंपा ज्ञापनः पास होने के बाद भी शिक्षक बनने का इंतजार कर रहे दिलीप पारधी, योगेश पटले, प्रमोद बोरकर, राकेश गजभिये, भागवत कोल्ते, अनिल कुमार कटरे, प्रीति खांडेकर समेत अन्य ने बताया की लंबे समय से शिक्षक बनने की आस संजोए हुए है लेकिन हर बार अड़चन आ रही है जिसके चलते सोमवार को कलेक्ट्रेट पहुंचकर स्थगित की गई सत्यापन प्रक्रिया को फिर से शुरू किए जाने की मांग की गई है और जल्द ही सत्यापन की प्रक्रिया को शुरू नहीं किया गया तो मजबूरी में उग्र आंदोलन के लिए बाध्य होना पड़ेगा जिसकी जवाबदारी शासन-प्रशासन की होगी।
भर्ती प्रक्रिया न होने के कारण पास हुए अभ्यर्थी अब भी प्रायवेट रोजगार करने को मजबूर हो रहे है और एक जुलाई से सत्यापन प्रक्रिया शुरू होने की जानकारी लगते ही ये अभ्यर्थी दूर-दराज से अपने काम से छुट्टी लेकर या छोड़कर सत्यापन प्रक्रिया में शामिल होने पर पहुंचे तो कोरोना वायरस संक्रमण का हवाला देते हुए सत्यापन प्रक्रिया को स्थगित कर दिया गया है जिससे अभ्यर्थियों में आक्रोश पनप गया है और जिसे जाहिर करते हुए इन्होंने ज्ञापन सौंपा है।
सभी प्रक्रिया समान फिर भी सत्यापन प्रक्रिया स्थगित : सत्यापन प्रक्रिया को शुरू करवाने की मांग करने पहुंचे अभ्यर्थी सुनिल कुमार ऐड़े ने बताया की वह लांजी कलपाथरी का निवासी है और महाराष्ट्र जिले के गोंदिया में प्रायवेट जॉब करता है उसने बताया की सत्यापन की जानकारी लगते ही वह अपने गांव वापस आ गया है और 08 जुलाई को उसका सत्यापन होना था लेकिन अचानक से जानकारी लगी की सत्यापन का कार्य पविहन के आवागमन, ओर कोरोना संकट काल को देखते हुए रोक दिया गया है जो की गलत है।
भर्ती प्रक्रिया को जानबूझकर रुकवाने का कार्य किया जा रहा है जिससे को मानसिक रुप से प्रताडि़त होना पड़
रहा है।
कलेक्ट्रेट पहुंचकर सौंपा ज्ञापनः पास होने के बाद भी शिक्षक बनने का इंतजार कर रहे दिलीप पारधी, योगेश पटले, प्रमोद बोरकर, राकेश गजभिये, भागवत कोल्ते, अनिल कुमार कटरे, प्रीति खांडेकर समेत अन्य ने बताया की लंबे समय से शिक्षक बनने की आस संजोए हुए है लेकिन हर बार अड़चन आ रही है जिसके चलते सोमवार को कलेक्ट्रेट पहुंचकर स्थगित की गई सत्यापन प्रक्रिया को फिर से शुरू किए जाने की मांग की गई है और जल्द ही सत्यापन की प्रक्रिया को शुरू नहीं किया गया तो मजबूरी में उग्र आंदोलन के लिए बाध्य होना पड़ेगा जिसकी जवाबदारी शासन-प्रशासन की होगी।