शिक्षक भर्ती परीक्षा की आश लगाए 10लाख
अभ्यर्थी ने विगत सात साल से कई सपने सँजोये हुये थे की कब हो शिक्षक भर्ती
परीक्षा और चुनाव के आनन फानन मे परीक्षा आयोजित की गई जिसमे जल्दबाज़ी मे
नियम कानून बनाए गए जिनमे विभिन्न अनियमितता है और परीक्षा मे तो
अनियमितता का अंबर लग गया। सबसे पहले हम बात करते है अतिथि को 25 % का
आरक्षण दिया गया जिसका राजपत्र आनन फानन मे बनाया गया जबकि 2015 मे जारी
राजपत्र के अनुसार अतिथि शिक्षक को अधिकतम 15 बोनस अंक दिया जाना था ,
सरकार आरक्षण हटाये और बोनस अंक देकर मेरिट तैयार करे जैसा हाई कोर्ट मे
सरकार ने कहा था उसी के अनुसार नियम लागू किया जाए।
भर्ती परीक्षा मे निरस्त प्रश्नों पर बोनस अंक देकर परीक्षा परिणाम मे सुधार करे -
म.प्र. उच्च माध्यमिक शिक्षक भर्ती परीक्षा - 2018 की परीक्षा 2019 में
कांग्रेस सरकार द्वारा सम्पन्न की गई थी जिसमे सुधार करे व अभ्यर्थियो के
साथ न्याय करे।
यह अभी तक की सर्वाधिक अन्यापूर्ण भर्ती परीक्षा है -
1- यह कि- उक्त परीक्षा में अर्थशास्त्र में 32, रसायनशास्त्र में 23,
राजनीति शास्त्र व गृह विज्ञान में 16 , कामर्स व बायोलाजी में कमशः 15, 13
प्रश्न निरस्त किये गये है।
अर्थशास्त्र में प्रश्न क्रमांक 66 से प्रश्न क्रमांक 94 तक क्रमशः 29
प्रश्न निरस्त किये गये अर्थात बीच में एक भी प्रश्न सही नही है इसे संसार
का आठवां अजूबा कहे तो अतिश्योक्ति नही। यहां यह मुद्दा पूर्णरूपे से
सन्देहास्पद है।
2- इन निरस्त प्रश्नों में भी ऐसे परीक्षार्थी जिन्होने निरस्त प्रश्नों का
सही उत्तर दिया, उनके अंक काटे गये , जबकि गलत उत्तर देने वाले या उत्तर
नही देने वाले परीक्षार्थियों को आनुपातिक अंक दिये गये...
यह घोर अन्यायपूर्ण है क्योंकि प्रश्न गलत देना पूर्णरूपेण पी.ई.बी. की गलती है।
3- हाईस्कूल बोर्ड परीक्षा में चार प्रश्न गलत हो जाते है तो सी.एम. स्वयं
संज्ञान में लेकर पेपर सेट करने वाले को संस्पेंड कर देते है। लेकिन एक
राजपत्रित पद की परीक्षा में 100 मे से 30 प्रश्न गलत होते है जिसकी आज तक
कोई चर्चा नहीं की जाती ना किसी को उत्तरदायी ठहराया जाता है एवं
बेरोजगारों का भविष्य अंधकारमय किया गया है, जो कि पूर्णतः संदेहपूर्ण है।
जब इतना बड़ा अन्याय और दिशाहीनता की जाएगी तो फिर इन सरकारों पर कौन विश्वास करेगा ???
4- इतनी भारी मात्रा में लगभग एक तिहाई प्रश्न निरस्त किया जाना पूर्णतः
पी.ई.बी. की गलती है फिर इसकी सजा निर्दोष योग्य व पात्र बेरोजगार क्यों
भुगते?
क्योंकि गलत प्रश्न देना फिर प्रश्नों को निरस्त कर देना पी.ई.बी.का एक ऐसा चक्व्यूह है जिसमें निर्दोष बेरोजगारों को फसाया गया है।
6- निरस्त प्रश्नों के बदले में पी.ई.बी. ने जो फार्मूला बनाया घोर
अन्यायपूर्ण है निरस्त किये गये 32 प्रश्न में कोई कितने सही करता इसको
कैसे निर्धारित किया जा सकता है ?? ना ही इसका कोई वैज्ञानिक आधार है।
7-यह एक भर्ती परीक्षा है बेरोजगारों के पूरे जीवन से संबंधित है इसमें एक
फार्मूले से अंक देना पूर्णतः अन्यायपूर्ण है! हो सकता है यदि पी.ई.बी. सही
प्रश्न देता तब परीक्षार्थी 32 में से 32 , 25, 20 प्रश्न सही करता या फिर
बिलकुल सही ना करता ..
...ऐसे में नंबर देना व काटना दोनो अन्यायपूर्ण है।
8- आदरणीय महोदय विश्व में एक भी उदाहरण ऐसा नही है जिसमें किसी भर्ती
परीक्षा में 100 में से 30 प्रश्न निरस्त किये गये हो इसके बाद उसी भर्ती
परीक्षा के माध्यम से भर्ती की गई हो..।
उपरोक्त समस्त तथ्यों व साक्ष्यों के आधार पर परम् आदणीय यशस्वी
मुख्यमंत्री उपरोक्त परीक्षा में जिन विषयों में प्रश्न निरस्त किये गये है
परीक्षार्थीयों को पूरे बोनस अंक प्रदान करवाने का कष्ट करें, ताकि उन
विषयों के परीक्षार्थियों को न्याय मिल सकें।
इस परीक्षा से उन पांच हजार गलत तरीके से चयनित परीक्षार्थियों को छोड दे,
तो पांच लाख परीक्षार्थी आपकी ओर आशा से निहार रहे है कि पूर्व सरकार की
गलतियों को वर्तमान सरकार सही करके बेरोजगारों को न्याय प्रदान करेगें।
आदरणीय महोदय यह एक ऐसी परीक्षा थी जिसकी प्रतीक्षा शिक्षित बेरोजगार पिछले
दस वर्षों से कर रहे थे, लेकिन छल-कपट की नीति के कारण लाखों बेरोजगारों
अपने को ठगा सा महसूस कर रहे है! अनेकों विषंगतियों की जांच करवाकर
बेरोजगारों को न्याय प्रदान करने की कृपा करें!