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भोज विवि में उम्मीदवारों को नियुक्ति आदेश जारी करने पर लगी रोक, सामने आई बड़ी गड़बड़ी

भोपाल. भोज (मुक्त) विश्वविद्यालय में शिक्षकों की भर्ती के मामले में हाईकोर्ट ने उम्मीदवारों को नियुक्ति आदेश जारी करने पर रोक लगा दी है। डबल बैंच में दायर की गई याचिका के बाद शासन की आेर से जवाब दाखिल किया गया है। जिसमें भर्ती प्रक्रिया को लेकर पूर्व में विवि ने हाईकोर्ट कोर्ट को गुमराह करने की कोशिश की है।
वहीं इसमें तत्कालीन अधिकारियों द्वारा गड़बड़ी करने की बात सामने आयी है। इसके चलते हाईकोर्ट की डबल बैंच ने सिंगल बैंच के आदेश पर फिलहाल रोक लगा दी है। सिंगल बैंच ने 60 दिन में उम्मीदवारों का नियुक्ति आदेश दिए जाने चाहिए।
-पूर्व कुलपति डाॅ. तारिक जफर के कार्यकाल में की गई गड़बड़ियों को छिपाकर हाईकोर्ट को सही जानकारी नहीं दी गई। नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर तत्कालीन रजिस्ट्रार मनोज तिवारी ने जो आपत्तियां दर्ज कराई थीं, उन्हें दूर कराने के लिए एक जांच कमेटी बनाई गई। पांच सदस्यों की कमेटी की रिपोर्ट पर भी सवाल उठ रहे हैं। क्योंकि जिस बनी उसने 24 घंटे के भीतर जांच रिपोर्ट दे दी। कमेटी ने हर प्रश्न के जवाब में लिखा कि सुसंगत दस्तावेजों के आधार पर आपत्ति अमान्य की जाती है।
-जांच कमेटी ने सिलेक्शन कमेटी का पूरा रिकॉर्ड भी नहीं बुलवाया न उसका अवलोकन किया। उम्मीदवारों की योग्यता से संबंधित दस्तावेज भी नहीं देखे। केवल सिलेक्शन कमेटी ने जो अपनी रिपोर्ट दी थी उसी के आधार पर अपनी रिपोर्ट दे दी। एक गड़बड़ी यह भी मिली कि कमेटी की बैठक में रजिस्ट्रार भी नहीं थे, उनकी अनुपस्थिति में जांच कमेटी ने बैठक करके अपनी रिपोर्ट दे दी। इस कमेटी में पांच सदस्य शामिल किए गए थे। इस कमेटी को प्रबंधन बोर्ड से एप्रूव भी नहीं कराया गया।
धारा 33 लगने के बाद भी दिया रिप्लाई
-भोज विवि के एडवोकेट पुनीत श्रोती ने बताया कि हाईकोर्ट की डबल बैंच ने नियुक्त आदेश जारी करने पर रोक लगा दी है। इस प्रकरण में तत्कालीन अधिकारियों द्वारा की गई गड़बड़ियां सामने आईं हैं। जिन्हें हाईकोर्ट में पेश किया गया है। नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर हाईकोर्ट गए याचिकाकर्ता के पक्ष में भोज विवि के निदेशक प्रो.प्रवीण जैन ने रिप्लाई दिया गया, उस पर भी सवाल खड़े किए गए हैं। क्योंकि इनके रिप्लाई पेश करने के पहले शासन द्वारा तत्कालीन कुलपति डॉ. तारिक जफर को हटाने के लिए धारा 33 लागू करने का नोटिफिकेशन जारी किया जा चुका था। वहीं प्रो. आरआर कान्हेरे भी बतौर कुलपति कार्यभार ग्रहण कर चुके थे।
रोस्टर में यह गड़बड़ी सामने आईं
- रोस्टर बनाया गया था वो अंग्रेजी वर्णमाला व आरक्षण नियम के हिसाब से नहीं है।
- विकलांग व्यक्तियों के लिए प्रावधान नहीं किया गया था।
- प्रतिनियुक्ति से जो पद भरे जाने चाहिए थे, उनको भी शामिल कर लिया गया।
- प्रबंधन बोर्ड स्वीकृत स्वीकृत पदों को शामिल कर लिया, लेकिन उनका विज्ञापन नहीं किया गया।
- रोस्टर आरडीवीवी के मॉडल के हिसाब से नहीं बनाया गया।
- लॉ डिपार्टमेंट बंद होने के बाद भी उसमें नियुक्ति की जा रही है।

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