हरदोई।02जनवरी केंद्र की मोदी सरकार हो या प्रदेश की योगी
सरकार, दोनों की मंशा भारतीय समाज को भ्रष्टाचार मुक्त करने की है। एक ओर
तो ये राजनेता अधिक से अधिक प्रयास कर समाज को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने में
जुटे हैं वहीं दूसरी ओर उन्हीं का सरकारी अमला इन भ्रष्टाचारियों को पनाह
देकर और विस्तारित करने पर तुला हुआ है।
मामला उत्तर प्रदेश के हरदोई जनपद से जुड़ा है। पिछली
समाजवादी पार्टी सरकार में यहां पर बेसिक शिक्षकों की भर्ती में बहुत बड़ा
घोटाला सामने आया था। 72825 शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में 100 से अधिक फर्जी
शिक्षक पाये गए थे। जिसमें मुख्य रूप से बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय में
तैनात कुछ कर्मचारी आरोपी बनाये गये। इनमें से मनोज मिश्रा व अनुपम मिश्रा
नाम के लिपिक व हरदोई डायट के लिपिक दयाशंकर मिश्रा को संलिप्त पाया गया
था, जिसके ऊपर सैकड़ों की संख्या में शिक्षकों की फर्जी नियुक्तियां करन का
गंभीर आरोप है। प्रकरण की जांच निदेशालय द्वारा गठित कमेटी की ओर से की जा
चुकी है लेकिन निदेशालय की जांच भ्रष्टाचार की रेत से बने महल के चलते समय
से पहले ही दम तोड़ गयी। कुछ समय पूर्व फर्रुखाबाद जिले फतेहगढ़ की पुलिस
द्वारा एक दलाल देवेंद्र उर्फ श्यामू प्रजापति को गिरफ्तार किया गया जिसने
पुलिस पूछताछ में डायट के बाबू दयाशंकर मिश्रा व जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी
हरदोई के कार्यालय में तैनात मनोज मिश्रा और अनुपम मिश्रा के द्वारा पांच
लाख रुपये लेकर फर्जी नियुक्तियां कराने की बात कबूली थी। फर्जी
नियुक्तियों के मामले में जिले के अधिकारियों के नाम आने के बाद 15 सितंबर
को डायट के बाबू दयाशंकर मिश्रा व संयुक्त शिक्षा निदेशक के निर्देश पर 18
सितंबर को बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय से मनोज मिश्रा को निलम्बित कर
दिया गया था। अब बारी बड़े अधिकारियों की थी सो बेसिक शिक्षा विभाग में
तैनात बड़े अधिकारियों ने खुद की गर्दन फंसता देख आगे की कार्रवाई ठप कर दी
और लिपिक अनुपम मिश्रा पर कोई कार्यवाही नहीं की। इस मामले में निलम्बित
किए गए भ्रष्ट बाबू मनोज मिश्रा को बचाने के लिए बेसिक शिक्षा विभाग ने
एड़ी चोटी का जोर लगा दिया और आखिरकार 18 सितम्बर को किया गया मनोज का
निलंबन रदद् कर उसी दिन उसे बहाल कर दिया।
22 सितम्बर को शिक्षा निदेशक बेसिक उ0प्र0 शिक्षा नियुक्ति
ने अपने पत्रांक नियुक्ति-1(बेसिक)7159-2017-18 के माध्यम से यह कहकर जिला
बेसिक शिक्षा अधिकारी को निर्देश देते हुए भ्रष्ट बाबू मनोज मिश्रा के
निलम्बन रदद् करने के आदेश दिए कि प्रशिक्षु शिक्षक चयन/नियुक्ति 2011 के
प्रकरण में बीएसए द्वारा लिपिक मनोज मिश्रा पर अनुशासनिक कार्यवाही कर
दंडित किया जा चुका है, अत: उन्हें संयुक्त शिक्षा निदेशक के द्वारा फिर से
निलम्बित किया जाना न्यायसंगत नहीं है और सिद्धांत के विपरीत है। 22
सितम्बर को शिक्षा निदेशक बेसिक के पत्र पर मनोज मिश्रा का निलम्बन तत्काल
समाप्त कर उसे उसी तारीख में बहाल भी कर दिया गया है।
भ्रष्ट बाबूओं को बचाने के लिए बेसिक शिक्षा विभाग के
अधिकारियों की तत्परता देखते बनती है। जहां एक ओर विभाग के भ्रष्टाचारियों
के कॉकस ने मनोज मिश्रा को कार्यवाही होने के बाद भी बचा लिया तो वंही
दूसरे भ्रष्ट बाबू अनुपम मिश्रा पर किसी प्रकार की कार्यवाही न कर उसे
अभयदान देने का काम कर दिया। अब आगे देखना है कि भ्रष्टाचारियों के खिलाफ
कार्यवाही की बड़ी-बड़ी डींगे हांकने वाली सरकार व पार्टी भ्रष्टतंत्र की
धुरी बने इन बाबुओं पर कोई कार्यवाही करा पाती है या नही, या फिर यह भ्रष्ट
सरकारी बाबू भाजपा की योगी व मोदी सरकार में भी यूं ही फलते-फूलते रहेंगे।
सबसे बड़ा सवाल यह है कि सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ इतने बड़े-बड़े
दावे भ्रष्टाचार और भ्रष्टाचारियों को लेकर जो कर रहे हैं, उनका क्या होगा?