बच्चों को अपने प्रतिदिन के क्रिया-कलापों के बारे में माता-पिता को अवश्य
बताना चाहिए। उनसे कोई भी बात छुपानी नहीं चाहिए। इससे न केवल बच्चे
सुरक्षित रहेंगे वरन उनके अभिभावकों को भी बच्चों के साथ होने वाले
प्रतिदिन के घटनाक्रम की जानकारी होगी।
यही नहीं स्कूल के माली,ड्रायवर,कंडेक्टर से ज्यादा बात बच्चें न करें वह हर बात माता पिता से शेयर करेंगे तो इससे वह सुरक्षित रहेंगे। यह बात निजी स्कूल के परिसर में आयोजित हुए विधिक साक्षरता शिविर के दौरान न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी कामिनी प्रजापति ने बच्चों से कही।
उन्होंने कहा कि किसी भी अपरिचित व्यक्ति द्वारा दिए गए किसी भी प्रलोभन को बच्चे स्वीकार नहीं करें। यदि उनके समक्ष ऐसा कोई भी कृत्य घटित होता है जो उन्हें ठीक न लगे तो उसकी सूचना तत्काल अपने माता-पिता, शिक्षक एवं अन्य प्रतिपाल्य को दें। इससे वह खुद तो सुरक्षित रहेंगे ही पर अपराध करने वाले अपराधी के चंगुल में बच्चे नहीं आ सकेंगे। बच्चों को समझाते हुए उन्होंने कहा कि चाइल्ड ट्रेफिकिंग के अपराधों में साल दर साल बढ़ोत्तरी हुई है जिसमें बच्चों के अंगों को व्यवसायिक उपयोग के लिए निकाल कर अपराधी विक्रय कर रहे है, और बच्चों को विकलांग कर उन्हें भीख मांगने विवश कर रहे है। बच्चों को इस दिशा में जागरूक होना पड़ेगा।
मौलिक कर्तव्य और एफआईआर दर्ज कराने की प्रक्रिया बताई
एफआईआर दर्ज कराने की प्रक्रिया,मौलिक कर्तव्यों आदि के संबंध में भी बच्चों को जानकारी दी गई और आखिर में स्कूली छात्र-छात्राओं द्वारा विशेष रूचि लेते हुए इन मुद्दों पर अधिकारियों से प्रश्नोत्तर भी किए। जिनमें पूछे गए सवालों के जवाब भी बच्चों को दिए गए। कार्यक्रम में व्यक्तिगत सुरक्षा संबंधी जानकारी भी दी गई।
स्कूलों में लगाएं सुझाव पेटिका
स्कूलों में शिकायत व सुझाव पेटिका लगाने के निर्देश भी चाइल्ड लाइन टीम द्वारा दिए गए। जिसमें आई शिकायतों और सुझावों पर अमल करना विद्यालय का दायित्व है और सुझाव पेटी की एक चाबी चाइल्ड लाइन पर रहेगी जबकि दूसरी चाबी स्कूल पर रहेगी । नियमानुसार चाइल्ड लाइन इसे खोलेगी। तथा स्कूल संचालक चाइल्ड लाइन के समक्ष पत्रों को प्रस्तुत करेगा। इसके साथ साथ स्टाफ का वेरिफिकेशन करने और बच्चों के व्यवहार परिवर्तन पर निगरानी रखने का निर्देश भी उन्होंने दिया।
गुड टच और बैड टच के अंतर को समझें बच्चे
जिला विधिक सहायता अधिकारी शिवपुरी शिखा शर्मा ने बच्चों को समझाते हुए कहा कि बच्चों के साथ अनैतिक एवं अप्राकृतिक कृत्य के कई मामले आप समाचार पत्रों में देखते पढ़ते होगे इसके लिए अभी से जागरूक हों। बच्चों को अब गुड टच एवं बेड टच के बारे में अच्छे से समझना होगा और इसके अंतर को बच्चे समझ गए तो तय मानिए आप हमेशा के लिए सुरक्षित है।
बच्चों से मारपीट न करें शिक्षक, अशोभनीय कमेंट्स भी नहीं
चाइल्ड लाइन द्वारा जागरूकता कार्यक्रम के तहत स्कूली बच्चों के लिए जे जे एक्ट और पॉस्को एक्ट की जानकारी सीडब्ल्यूसी के अध्यक्ष जिनेन्द्र कुमार जैन द्वारा दी गई। जैन ने कहा कि स्कूलों में जितनी शिक्षा जरूरी है उससे कहीं अधिक सुरक्षा जरूरी है इसको गंभीरता से लें। शिक्षक प्रत्येक बालक, बालिका की सुरक्षा सुनिश्चित करें, किशोर न्याय अधिनियम की धारा 75 के तहत यह भी ध्यान रखें कि किसी भी बच्चे के साथ शिक्षक मारपीट न करें, न ही उपेक्षा करें, अशोभनीय कमेंट्स न करें, जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल बिल्कुल न करें। पॉस्को एक्ट के अनुसार किसी भी बालक-वालिका छेड़छाड़ या उत्पीड़न की घटना घटित न हो, अश्लीलता न फैले, किसी प्रकार का मानसिक या शारीरिक शोषण बच्चों का न हो। यह ध्यान शिक्षक विशेष रुप से रखें अन्यथा एक्ट के तहत सजा, कैद व अर्थदंड दोनों का प्रावधान है।
यही नहीं स्कूल के माली,ड्रायवर,कंडेक्टर से ज्यादा बात बच्चें न करें वह हर बात माता पिता से शेयर करेंगे तो इससे वह सुरक्षित रहेंगे। यह बात निजी स्कूल के परिसर में आयोजित हुए विधिक साक्षरता शिविर के दौरान न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी कामिनी प्रजापति ने बच्चों से कही।
उन्होंने कहा कि किसी भी अपरिचित व्यक्ति द्वारा दिए गए किसी भी प्रलोभन को बच्चे स्वीकार नहीं करें। यदि उनके समक्ष ऐसा कोई भी कृत्य घटित होता है जो उन्हें ठीक न लगे तो उसकी सूचना तत्काल अपने माता-पिता, शिक्षक एवं अन्य प्रतिपाल्य को दें। इससे वह खुद तो सुरक्षित रहेंगे ही पर अपराध करने वाले अपराधी के चंगुल में बच्चे नहीं आ सकेंगे। बच्चों को समझाते हुए उन्होंने कहा कि चाइल्ड ट्रेफिकिंग के अपराधों में साल दर साल बढ़ोत्तरी हुई है जिसमें बच्चों के अंगों को व्यवसायिक उपयोग के लिए निकाल कर अपराधी विक्रय कर रहे है, और बच्चों को विकलांग कर उन्हें भीख मांगने विवश कर रहे है। बच्चों को इस दिशा में जागरूक होना पड़ेगा।
मौलिक कर्तव्य और एफआईआर दर्ज कराने की प्रक्रिया बताई
एफआईआर दर्ज कराने की प्रक्रिया,मौलिक कर्तव्यों आदि के संबंध में भी बच्चों को जानकारी दी गई और आखिर में स्कूली छात्र-छात्राओं द्वारा विशेष रूचि लेते हुए इन मुद्दों पर अधिकारियों से प्रश्नोत्तर भी किए। जिनमें पूछे गए सवालों के जवाब भी बच्चों को दिए गए। कार्यक्रम में व्यक्तिगत सुरक्षा संबंधी जानकारी भी दी गई।
स्कूलों में लगाएं सुझाव पेटिका
स्कूलों में शिकायत व सुझाव पेटिका लगाने के निर्देश भी चाइल्ड लाइन टीम द्वारा दिए गए। जिसमें आई शिकायतों और सुझावों पर अमल करना विद्यालय का दायित्व है और सुझाव पेटी की एक चाबी चाइल्ड लाइन पर रहेगी जबकि दूसरी चाबी स्कूल पर रहेगी । नियमानुसार चाइल्ड लाइन इसे खोलेगी। तथा स्कूल संचालक चाइल्ड लाइन के समक्ष पत्रों को प्रस्तुत करेगा। इसके साथ साथ स्टाफ का वेरिफिकेशन करने और बच्चों के व्यवहार परिवर्तन पर निगरानी रखने का निर्देश भी उन्होंने दिया।
गुड टच और बैड टच के अंतर को समझें बच्चे
जिला विधिक सहायता अधिकारी शिवपुरी शिखा शर्मा ने बच्चों को समझाते हुए कहा कि बच्चों के साथ अनैतिक एवं अप्राकृतिक कृत्य के कई मामले आप समाचार पत्रों में देखते पढ़ते होगे इसके लिए अभी से जागरूक हों। बच्चों को अब गुड टच एवं बेड टच के बारे में अच्छे से समझना होगा और इसके अंतर को बच्चे समझ गए तो तय मानिए आप हमेशा के लिए सुरक्षित है।
बच्चों से मारपीट न करें शिक्षक, अशोभनीय कमेंट्स भी नहीं
चाइल्ड लाइन द्वारा जागरूकता कार्यक्रम के तहत स्कूली बच्चों के लिए जे जे एक्ट और पॉस्को एक्ट की जानकारी सीडब्ल्यूसी के अध्यक्ष जिनेन्द्र कुमार जैन द्वारा दी गई। जैन ने कहा कि स्कूलों में जितनी शिक्षा जरूरी है उससे कहीं अधिक सुरक्षा जरूरी है इसको गंभीरता से लें। शिक्षक प्रत्येक बालक, बालिका की सुरक्षा सुनिश्चित करें, किशोर न्याय अधिनियम की धारा 75 के तहत यह भी ध्यान रखें कि किसी भी बच्चे के साथ शिक्षक मारपीट न करें, न ही उपेक्षा करें, अशोभनीय कमेंट्स न करें, जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल बिल्कुल न करें। पॉस्को एक्ट के अनुसार किसी भी बालक-वालिका छेड़छाड़ या उत्पीड़न की घटना घटित न हो, अश्लीलता न फैले, किसी प्रकार का मानसिक या शारीरिक शोषण बच्चों का न हो। यह ध्यान शिक्षक विशेष रुप से रखें अन्यथा एक्ट के तहत सजा, कैद व अर्थदंड दोनों का प्रावधान है।