भोपाल। मप्र सामान्य प्रशासन
विभाग द्वारा प्रदेश के संविदा कर्मचारियों के लिए संविदा नीति 2017 बनाई
जा रही है। इस नीति में संविदा कर्मचारियों को बंधुआ मजदूर बनाने के
प्रावधान किये गये हैं। संविदा नीति 2017 के विरोध में मप्र संविदा
कर्मचारी अधिकारी महासंघ एवं प्रदेश के ढाई लाख संविदा कर्मचारी अधिकारी
बुधवार 20 सितम्बर 2017 को भोपाल सहित प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों पर
लंच ब्रेक के समय काले गुब्बारे छोड़कर संविदा नीति 2017 का विरोध करेंगें
तथा सरकार से मांग करेंगे कि 22 जून 2013 को सामान्य प्रशासन विभाग ने
प्रदेश के ढाई लाख संविदा कर्मचारियों को नियमित करने क लिए जो नीति बनाई
थी उस नीति को लागू करे ना कि संविदा नीति 2017 को।
मप्र संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौर ने
बताया कि प्रदेश में नियमित पदो के डेढ़ लाख पद खाली पड़े हैं। मप्र सरकार
उन पदों पर संविदा कर्मचारियों को वरिष्ठता के आधार पर नियमित करें तथा
समान कार्य समान वेतन दे। भोपाल में प्रदर्शन राज्य षिक्षा केन्द्र पुस्तक
भवन अरेरा हिल्स के सामने दोपहर डेढ़ बजे किया जायेगा। जिसमें भोपाल के सभी
विभागों में कार्यरत संविदा कर्मचारी अधिकारी भाग लेंगें।
मप्र संविदा कर्मचारी अधिकारी महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष रमेश राठौर का यह
भी कहना है कि प्रदेश सरकार और उसमें बैठे हुये अधिकारी संविदा कर्मचारियों
के साथ सौतेला व्यवहार कर रहे हैं। अतिथि शिक्षक जो कि स्कूलों में
पीरियेड के हिसाब से पढ़ाते हैं उनको प्रति पीरियेड के हिसाब से पैसे दिये
जाते हैं ऐसे अतिथि शिक्षकों के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री शिक्षक दिवस पर
घोषणा करते हैं कि उनके लिए नियमित पदों के 25 प्रतिषत् पद आरक्षित किये
जायेंगें। पंचायत कर्मी, गुरूजी, शिक्षाकर्मी जिनकी नियुक्ति संरपचों ने की
थी बिना किसी योग्यता के उनको मप्र सरकार ने सीधे नियमित कर दिया।
वहीं दूसरी तरफ समाचार पत्रों में निकले विज्ञापन के माध्यम से चयनित होकर
आए पन्द्रह बीस वर्षो से संविदा पर कार्यरत संविदा कर्मचारियों क लिए सरकार
संविदा नीति 2017 बना रही है वो भी बंधुआ मजदूर बनाने के लिए। मप्र संविदा
कर्मचारी अधिकारी महासंघ इस संविदा नीति का विरोध करते हुये 2013 में बनाई
गई संविदा कर्मचारियों को नियमित करने की नीति लागू किये जाने की मांग
करेगा।