सोहागपुर।
मप्र स्कूल शिक्षा विभाग सचिव दीप्ति गौड़ मुकर्जी व आदिम जाति कल्याण विभाग प्रमुख सचिव अशोक शाह के संयुक्त हस्ताक्षर युक्त आदेश के बाद शिक्षकोंं में कुछ राहत है। राहत का कारण है कि दोनों अधिकारियों द्वारा आदेश में उल्लेख करना कि अब शिक्षकों की गैर शिक्षकीय कार्यों में ड्यूटी नहीं लगाई जाएगी।
आदेश क्रमांक एफ 44-15/2017/20-2 के अनुसार शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009
की धारा 27 में प्रावधानित है कि शिक्षकों को गैर शिक्षकीय कार्य में नहीं लगाया जाएगा। इसमें 10 वर्षीय जनगणना, संसद/विधानमंडल/स्थानीय निकाय निर्वाचन तथा आपदा राहत कत्र्तव्यों में लगाने से छूट दी गई है
प्रावधान का विस्तार से उल्लेख है इस प्रकार है-
- अधिनियम की धारा 27 के तहत उपरोक्त उल्लेखित कार्यों 10 वर्षीय जनगणना, संसद/विधानमंडल/स्थानीय निकाय निर्वाचन तथा आपदा राहत कत्र्तव्यों के अलावा किसी अन्य गैर शिक्षकीय प्रयोजन में शिक्षकों को अभियोजित नहीं किया जाएगा।
- माननीय सर्वोच्च न्यायालय के भारत निर्वाचन आयोग विरुद्ध सेंट मेरी स्कूल एवं अन्य के एक प्रकरण में छह दिसंबर 2007
के आदेश में दिशा निर्देश हैं। जिसके अनुसार शिक्षकों को विधान मंडल, संसद, स्थानीय निकाय निर्वाचन में मतदान, मतगणना एवं प्रशिक्षण तथा सामग्री प्राप्त करने के कार्य में शिक्षकों को नियोजित किया जा सकता है। लेकिन मतदाता सूची के पुनरीक्षण से जुड़े हुए कार्य अवकाश के दिन और गैर शैक्षिक दिन या समय में ही सौंपे जा सकेंगे।
- आरटीई के तहत अब प्रत्येक बच्चे को प्रारंभिक शिक्षा उपलब्ध कराने का संवैधानिक दायित्व सरकार का है। तात्पर्य है कि 100 प्रतिशत बच्चों का शाला में प्रवेश, 100
प्रतिशत उनकी उपस्थिति तथा आठवीं कक्षा तक गुणवत्ता युक्त शिक्षा उपलब्ध कराना। इसके लिए शिक्षकों को उनकी पदस्थापना वाली शाला पर ही शैक्षणिक कलेंडर अनुसार कार्य कराना सुनिश्चित किया जाए। तथा यदि किसी भी मैदानी अधिकारी द्वारा शिक्षक का अटैचमेंट किसी भी नाम से (यथा- अटैचमेंट, संबंद्धकरण, आसंजन व्यवस्था आदि) किया जाता है, तो यह आदेश राज्य शासन के निर्देशोंं के विरुद्ध अवैध है। और उसका पालन नहीं किया जाए व सूचना विभागाध्यक्ष को दी जाए।