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एमपी में अतिथि शिक्षकों का मानदेय मनरेगा मजूदरों से भी कम

मध्यप्रदेश अतिथि शिक्षक संघर्ष समिति के प्रदेश अध्यक्ष शंभू चरण दुबे का कहना है कि राज्य में अतिथि शिक्षकों का मजदूरों से भी बुरा हाल है, क्योंकि उन्हें जो मानदेय मिलता है, वह मनरेगा के मजदूरों की मजदूरी से भी कम है.


राजधानी भोपाल में मंगलवार को संवाददाताओं से चर्चा करते हुए दुबे ने कहा कि बीते 10 वर्षो से राज्य में अतिथि शिक्षकों का सिर्फ शोषण हो रहा है, मानसिक तनाव के दौर से गुजर रहे इन अतिथि शिक्षकों के परिवार दाने-दाने को मोहताज होने की स्थिति में हैं.

ज्ञात हो कि राज्य के सरकारी स्कूलों में विषय शिक्षक की कमी पर अतिथि शिक्षकों की सेवाएं ली जाती है और उन्हें प्रतिमाह 2400 रुपये मिलते है, संबंधित विषय के शिक्षक के आ जाने पर उनकी सेवाएं लेना बंद कर दिया जाता है.

दुबे का कहना है कि अकुशल श्रमिक को 265 रुपये प्रतिदिन और मनरेगा में 165 रुपये प्रतिदिन मजदूरी मिलती है, मगर अतिथि शिक्षक को 100 रुपये दिन ही मिलता है. अतिथि शिक्षक बीते 10 वर्षो से अपने हक के इंतजार में है, मगर सरकार का उन पर कोई ध्यान नहीं है.दुबे के मुताबिक, राज्य में डेढ़ लाख से ज्यादा अतिथि शिक्षक हैं. उनके संगठन की मुख्य मांग है कि अतिथि शिक्षकों को गुरुजी की तरह संविदा शिक्षक बनाकर वेतनवृद्धि का लाभ दिया जाए.

उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने अतिथि शिक्षकों की जायज मांग पर अमल नहीं किया तो अगस्त माह में प्रदर्शन का रास्ता अपनाएंगे. भोपाल में प्रदर्शन करेंगे, अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल के अलावा शिवराज सरकार के खिलाफ 'नींद हराम' आंदोलन चलाया जाएगा.

दुबे ने कहा कि राज्य सरकार की नीतियों के कारण जहां एक ओर किसान आत्महत्या कर रहे हैं, तो दूसरी ओर व्यापमं की भेंट 49 लोग चढ़ गए, वहीं अतिथि शिक्षक चिंतित हैं कि उनका गुजारा कैसे चलेगा.

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