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शिक्षकों से कराए जा रहे दूसरे कामों पर क्यों न रोक लगा दी जाए

ग्वालियर। नईदुनिया प्रतिनिधि हाईकोर्ट की युगल पीठ ने प्रदेश के सरकारी स्कूल में गिरते शिक्षा के स्तर को लेकर केन्द्र व राज्य शासन को नोटिस जारी किए हैं। कोर्ट ने पूछा है कि क्यों न शिक्षकों से कराए जा रहे दूसरे कामों पर रोक लगा दी जाए।
याचिकाकर्ता की ओर से तर्क दिया गया है कि प्रशासन ने शिक्षकों को बेगारी में लगा दिया है, जिसके चलते शिक्षक स्कूल में पढ़ाने का काम कम करते हैं। इससे शिक्षा का स्तर गिर गया है।
राजपत्रित प्रधानाध्यापक प्रादेशिक संघ की अध्यक्ष अर्चना राठौर ने जनहित याचिका दायर की है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अवधेश सिंह भदौरिया ने तर्क दिया कि स्कूलों के उत्थान के लिए सरकार आम आदमी पर टैक्स लगा रही है। स्कूलों की दिन प्रतिदिन हालत खस्ता होती जा रही है। मूलभूत सुविधाओं के लिए छात्र तरस रहे हैं। भारत सरकार का स्वच्छता अभियान चलने के बाद भी स्कूलों में गंदगी के ढेर लगे हुए हैं। शिक्षकों की स्थिति मजदूरों से भी बुरी कर दी है। जिला प्रशासन दूसरे कामों में लगा रहा है, जिसके चलते शिक्षक स्कूल में पढ़ाने नहीं जा पा रहे हैं। इनकी ड्यूटी प्याज वितरण, सामूहिक विवाह जैसे कार्यक्रम में लगाई जा रही है। इसका शासकीय स्कूलों में बुरा प्रभाव पड़ा है। क्योंकि रिजल्ट बिगड़ रहा है। इस कारण छात्र भी आत्महत्या कर रहे हैं। शिक्षा में सुधार के लिए शिक्षकों से दूसरा काम न कराया जाए। स्कूलों में सुविधाओं में भी इजाफा किया जाए। कोर्ट ने नोटिस जारी केन्द्र व राज्य शासन से जवाब मांगा है।

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