-युक्तियुक्त करण की प्रक्रिया में आ रहे कई तरह के अडंगे, हर बार हो रही सूची विवादित
ये बताई जा रही प्रमुख विसंगतियां
- स्कूलों की दर्ज संख्या में फर्क
- शिक्षकों की पदस्थापना अलग अलग
- सेवानिवृत्तों के नाम शामिल करना
- मर्ज शालाओं की जानकारी स्पस्ट नहीं करना
- पुरानी सूची होने के कारण मृतकों के नाम आना
होशंगाबाद। अतिशेष शिक्षकों की सूची में कई तहर के अंडगे आने से ऐसा लगने लगा है कि बीते दो वर्षों की तहर इस वर्ष भी युक्तियुक्त करण की सूची जारी नहीं हो पाएगी। वर्षों से शहरों में जमें हुए शिक्षक शिक्षिकाएं भी ऐसा ही सोच रहे हैं। शिक्षा विभाग स्वयं भी युक्तियुक्त करण को पूरा करने के मूंड में नहीं लग रहा है। क्योंकि शिक्षा विभाग के द्वारा जो आन लाइन युक्तियुक्त करण करने का मन बनाया गया है। उसमें भी कई तरह की विसंगतियां बनी हुई है। बीते सप्ताह प्राथमिक शिक्षकों की सूची डाली गई थी उसमें ही अनेक विसंगितयां होने पर उसके बाद माध्यमिक शिक्षकों की ऑन लाइन सूची डाली जाना थी लेकिन पूरा सप्ताह निकल जाने के बाद भी सूची नहीं डाली गई। इसका मुख्य कारण जो बताया जा रहा है कि माध्यमिक शालाओं के शिक्षकों की सूची में और ज्यादा विसंगतियां होने के कारण पोर्टल पर ही सूची नहीं डाली गई। वहीं प्राथमिक शिक्षकों की सूची डलने के बाद भी कम ही शिक्षकों ने आपत्तियां दर्ज कराई हैं। व्याप्त विसंगतियों के कारण कई शिक्षक यह रास्ता देख रहे हैं कि अतिशेष शिक्षकों की सूची एक बार फिर निरस्त हो सकती है।
वर्षों से शहरों में डटे हैं कई शिक्षक
अपनी पहुंच और प्रभाव प्रभाव के कारण कई शिक्षक वर्षों से शहरी क्षेत्र में डटे हुए हैं। जिस प्रकार शासन द्वारा आन लाइन युक्तियुक्त करण की प्रकिया चालू हुई थी उससे लगने लगा था कि अब इस बार अतिशेष शिक्षक शिक्षिकाओं को गांवों की शालाओं में जाना ही पडेगा। शासन द्वारा इस बार सही समय पर युक्तियुक्त करण की प्रक्रिया चालू कर दी जिसे 10मई तक पूरा भी किया जाना है। पोर्टल पर शिक्षक अध्यपकों की ई-सेवा पुस्तिका के अपडेशन की प्रक्रिया 15अप्रैल से शुरू भी कर दी गई। सूची को 20अप्रैल तक अपलोड किया जाना था। 21अप्रैल को प्राथमिक,माध्यमिक और हाईस्कूल के शिक्षकों और अध्यापकों की सूची डाली जाना था । निर्धारित तिथि पर सूची भी डाली गई लेकिन सिर्फ प्राथमिक शाला की डली माध्यमिक की अटक गई। प्राथमिक में भी विसंगतियां सामने आ रही हैं।
सूची में छूट गया संकुल
प्राथमिक शालाओं की जो सूची डाली गई उसमें जो अतिशेष की सूची निकाली जा रही है। उसमें अनेक विसंगतियां बताई गई हैं जिनमें शिक्षा विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों से चर्चा करने पर यह बात भी सामने आ रही है। कि इस सूची में कुछ संकुल छूट गए हैं। उदाहरण स्वरूप पंवारखेड़ा संकुल जिनके नाम सूची मेंसूची में नहीं दिख रहा है। इसलिए अतिशेष की श्रेणी में आने वाले शिक्षक शिक्षिकाओं की संख्या अभी और बढ़ सकती है।
बीते साल भी अटकी थी सूची
अतिशेष शिक्षकों के लिए युक्तियुक्त करण की प्रक्रिया बीते साल भी अटक गई थी। तब करीब 650 अतिशेष शिक्षकों की सूची बनी थी। उसके बाद स्कूलों में अनेक नए समीकरण बन गए क्योंकि कुछ सेवानिवृत्त हो गए। इस कारण इस बार फिर नए तरीके से प्रक्रिया शुरू की गई।
बीते दो साल से यह प्रकिया विवादित बनी होने के कारण इस बार इसे आन लाइन किए जाने पर ऐसा माना जा रहा था कि इस बार राजनैतिक हस्तक्षेप नहीं हो सकेगा। लेकिन पहली सूची ही पचडे में पड़ने लगी है।
इनका कहना है-
अतिशेष शिक्षकों की सूची में अनेक विसंगितयां बनी हुई है। इससे ऐसा लग रहा है कि शासन स्तर से ही जानबूझ कर खामियां रखी जा रही हैं। बीते साल भी हमने स्पष्ट शब्दों में कहा था कि विसंगतियां के चलते अतिशेष की सूची जा रही हो सकेगी और अंततः सूची मार्गदर्शन के लिए शासन स्तर पर गई फिर लौटकर नहीं आई। इस बार भी ऐसा ही कुछ लग रहा है कि सूची में कई त्रुटियों के कारण इस बार भी शायद ही हो सके।
दिनेश चतुर्वेदी,अध्यक्ष तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ
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आपत्तियों का निराकरण कर रहे
शासन द्वारा इस बार आनलाइन युक्तियुक्त करण की प्रक्रिया जारी है। प्राथमिक शाला के शिक्षकों की सूची अपलोड होकर चुकी है। उसमें आपत्तियां भी आई हैं उनका निराकरण किया जा रहा है। बांकी की प्रक्र्रिया भी शासन स्तर पर की जा रही है।
अरविंद चौरगढे, डीईओ
ये बताई जा रही प्रमुख विसंगतियां
- स्कूलों की दर्ज संख्या में फर्क
- शिक्षकों की पदस्थापना अलग अलग
- सेवानिवृत्तों के नाम शामिल करना
- मर्ज शालाओं की जानकारी स्पस्ट नहीं करना
- पुरानी सूची होने के कारण मृतकों के नाम आना
होशंगाबाद। अतिशेष शिक्षकों की सूची में कई तहर के अंडगे आने से ऐसा लगने लगा है कि बीते दो वर्षों की तहर इस वर्ष भी युक्तियुक्त करण की सूची जारी नहीं हो पाएगी। वर्षों से शहरों में जमें हुए शिक्षक शिक्षिकाएं भी ऐसा ही सोच रहे हैं। शिक्षा विभाग स्वयं भी युक्तियुक्त करण को पूरा करने के मूंड में नहीं लग रहा है। क्योंकि शिक्षा विभाग के द्वारा जो आन लाइन युक्तियुक्त करण करने का मन बनाया गया है। उसमें भी कई तरह की विसंगतियां बनी हुई है। बीते सप्ताह प्राथमिक शिक्षकों की सूची डाली गई थी उसमें ही अनेक विसंगितयां होने पर उसके बाद माध्यमिक शिक्षकों की ऑन लाइन सूची डाली जाना थी लेकिन पूरा सप्ताह निकल जाने के बाद भी सूची नहीं डाली गई। इसका मुख्य कारण जो बताया जा रहा है कि माध्यमिक शालाओं के शिक्षकों की सूची में और ज्यादा विसंगतियां होने के कारण पोर्टल पर ही सूची नहीं डाली गई। वहीं प्राथमिक शिक्षकों की सूची डलने के बाद भी कम ही शिक्षकों ने आपत्तियां दर्ज कराई हैं। व्याप्त विसंगतियों के कारण कई शिक्षक यह रास्ता देख रहे हैं कि अतिशेष शिक्षकों की सूची एक बार फिर निरस्त हो सकती है।
वर्षों से शहरों में डटे हैं कई शिक्षक
अपनी पहुंच और प्रभाव प्रभाव के कारण कई शिक्षक वर्षों से शहरी क्षेत्र में डटे हुए हैं। जिस प्रकार शासन द्वारा आन लाइन युक्तियुक्त करण की प्रकिया चालू हुई थी उससे लगने लगा था कि अब इस बार अतिशेष शिक्षक शिक्षिकाओं को गांवों की शालाओं में जाना ही पडेगा। शासन द्वारा इस बार सही समय पर युक्तियुक्त करण की प्रक्रिया चालू कर दी जिसे 10मई तक पूरा भी किया जाना है। पोर्टल पर शिक्षक अध्यपकों की ई-सेवा पुस्तिका के अपडेशन की प्रक्रिया 15अप्रैल से शुरू भी कर दी गई। सूची को 20अप्रैल तक अपलोड किया जाना था। 21अप्रैल को प्राथमिक,माध्यमिक और हाईस्कूल के शिक्षकों और अध्यापकों की सूची डाली जाना था । निर्धारित तिथि पर सूची भी डाली गई लेकिन सिर्फ प्राथमिक शाला की डली माध्यमिक की अटक गई। प्राथमिक में भी विसंगतियां सामने आ रही हैं।
सूची में छूट गया संकुल
प्राथमिक शालाओं की जो सूची डाली गई उसमें जो अतिशेष की सूची निकाली जा रही है। उसमें अनेक विसंगतियां बताई गई हैं जिनमें शिक्षा विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों से चर्चा करने पर यह बात भी सामने आ रही है। कि इस सूची में कुछ संकुल छूट गए हैं। उदाहरण स्वरूप पंवारखेड़ा संकुल जिनके नाम सूची मेंसूची में नहीं दिख रहा है। इसलिए अतिशेष की श्रेणी में आने वाले शिक्षक शिक्षिकाओं की संख्या अभी और बढ़ सकती है।
बीते साल भी अटकी थी सूची
अतिशेष शिक्षकों के लिए युक्तियुक्त करण की प्रक्रिया बीते साल भी अटक गई थी। तब करीब 650 अतिशेष शिक्षकों की सूची बनी थी। उसके बाद स्कूलों में अनेक नए समीकरण बन गए क्योंकि कुछ सेवानिवृत्त हो गए। इस कारण इस बार फिर नए तरीके से प्रक्रिया शुरू की गई।
बीते दो साल से यह प्रकिया विवादित बनी होने के कारण इस बार इसे आन लाइन किए जाने पर ऐसा माना जा रहा था कि इस बार राजनैतिक हस्तक्षेप नहीं हो सकेगा। लेकिन पहली सूची ही पचडे में पड़ने लगी है।
इनका कहना है-
अतिशेष शिक्षकों की सूची में अनेक विसंगितयां बनी हुई है। इससे ऐसा लग रहा है कि शासन स्तर से ही जानबूझ कर खामियां रखी जा रही हैं। बीते साल भी हमने स्पष्ट शब्दों में कहा था कि विसंगतियां के चलते अतिशेष की सूची जा रही हो सकेगी और अंततः सूची मार्गदर्शन के लिए शासन स्तर पर गई फिर लौटकर नहीं आई। इस बार भी ऐसा ही कुछ लग रहा है कि सूची में कई त्रुटियों के कारण इस बार भी शायद ही हो सके।
दिनेश चतुर्वेदी,अध्यक्ष तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ
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आपत्तियों का निराकरण कर रहे
शासन द्वारा इस बार आनलाइन युक्तियुक्त करण की प्रक्रिया जारी है। प्राथमिक शाला के शिक्षकों की सूची अपलोड होकर चुकी है। उसमें आपत्तियां भी आई हैं उनका निराकरण किया जा रहा है। बांकी की प्रक्र्रिया भी शासन स्तर पर की जा रही है।
अरविंद चौरगढे, डीईओ