Advertisement

शहरों में शिक्षक सरप्लस, ग्रामीण क्षेत्रों के 99 स्कूल खाली

मुरैना। मुरैना शहर के चंबल कॉलोनी स्कूल में आरटीआई नियमों व बच्चों के हिसाब से 11 शिक्षक अतिरिक्त हैं। यानी स्कूल में शिक्षकों के पद कम हैं और नियुक्ति पद से अधिक है। इसका सीधा मतलब ये है कि दूसरे स्कूलों से किसी तरह शिक्षकों ने ट्रांसफर कराकर स्कूल में अपनी तैनाती करा ली है।
यही हाल जिलेभर के शहरी और कस्बाई स्कूलों के हैं। वहीं दूसरी तरफ ग्रामीण क्षेत्रों के 99 स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं है। हालांकि नया शिक्षण सत्र एक अप्रैल से शुरू हो चुका है और शासन इन सरप्लस शिक्षकों को शिक्षक विहीन व कम शिक्षकों वाली शालाओं में भेजने के लिए युक्तियुक्तकरण कर रहा है, लेकिन शिक्षकों ने इस प्रक्रिया का विरोध करना शुरू कर दिया है।
उल्लेखनीय है कि जिलेभर में 1751 प्राइमरी स्कूल हैं। शहरी व कस्बाई क्षेत्र के स्कूलों में 469 शिक्षक सरप्लस हैं। वहीं जिले में मिडिल स्कूलों की संख्या 552 है। इनमें जो स्कूल शहरी व कस्बाई क्षेत्रों में हैं उनमें 136 शिक्षक सरप्लस हैं। जबकि जिले के करीब 99 स्कूल ऐसे हैं, जिनमें शिक्षक ही नहीं है। जबकि 5 सैकड़ा से अधिक स्कूल ऐसे हैं जहां पर महज एक शिक्षक ही पदस्थ है। ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि जिले के सरकारी स्कूलों में पढ़ाई कैसे हो रही होगी और बच्चे क्या पढ़ रहे होंगे।
इसलिए स्कूलों में हुई शिक्षकों की असमानता
शिक्षा विभाग व शासन ने शिक्षकों की भर्ती के समय तो स्कूलों के हिसाब से ही शिक्षकों की भर्ती की और उन्हें नियुक्ति भी ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में दी। बाद में ये शिक्षक अपनी सुविधा के अनुसार अपने रसूख व अफसरों से सांठगांठ कर अपना स्थानांतरण शहरी व कस्बाई क्षेत्र के स्कूलों में करा लाए। ऐसे में गांव के स्कूल खाली हो गए और शहरी व कस्बाई क्षेत्रों के स्कूलों में शिक्षकों की संख्या अधिक हो गई। ऐसे में स्कूलों में पढ़ाई का स्तर गड़बड़ा गया।
स्थानांतरण की प्रक्रिया तो शुरू होती है पर विरोध से रुक जाती है
शिक्षा विभाग व प्रशासन हर साल अतिशेष शिक्षकों की तैनाती दूसरे व ग्रामीण स्कूलों में करने की प्रक्रिया शुरू करता है। प्रक्रिया शुरू होते ही शिक्षक प्रक्रिया का विरोध करना शुरू कर देते हैं। प्रक्रिया को रुकवाने के लिए न केवल आंदोलन करने के लिए उतारू हो जाते हैं, बल्कि शासन स्तर पर भी दबाव बना देते हैं। ऐसे में प्रक्रिया पूरी ही नहीं हो पाती।
इस बार यह हुआ है
हर बार सरप्लस शिक्षकों को ग्रामीण क्षेत्र के कम शिक्षक वाली व बिना शिक्षक वाली शालाओं में भेजने के लिए जिला प्रशासन ने प्रक्रिया शुरू नहीं की है। इस बार शासन स्तर से ही युक्तियुक्तकरण के आदेश आए हैं।
जिला मुख्यालय पर सबसे अधिक सरप्लस शिक्षक
जिला मुख्याालय यानी मुरैना ब्लॉक में सबसे अधिक सरप्लस शिक्षक प्राइमरी व मिडिल स्कूलों में हैं। यानी शिक्षक जिला मुख्यालय के स्कूलों में ही रहना चाहते हैं।
इस तरह देखें किस ब्लॉक में कितने शिक्षक सरप्लस
ब्लॉक-प्राइमरी स्कूल-मिडिल स्कूल
अंबाह-33-20
जौरा-59-11
कैलारस-57-11
मुरैना-155-56
पहाड़गढ़-37-2
पोरसा-47-13
सबलगढ़-81-23
एक्सपर्ट व्यू
- पहले शिक्षकों को कहीं भी पदस्थ किया जाता था तो वे उस स्कूल में पढ़ाते थे। लेकिन अब शिक्षक गांवों में नहीं रहना चाहते और न ही पढ़ाना चाहते हैं। यह केवल शिक्षकों की मानसिकता नहीं है, बल्कि सभी सरकारी कर्मचारियों की मानसिकता है। इस वजह से वे प्रयास करके वे खुद को शहरी क्षेत्र के स्कूलों में तैनात करा लेते हैं। इससे बच्चों का नुकसान होता है और ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों का शैक्षणिक स्तर बिगड़त रहता है।
गोपालदास गांधी, सेवानिवृत प्राचार्य
कथन
- शासन के आदेशानुसार इस बार युक्तियुक्तकरण के तहत सरप्लस शिक्षकों को उन स्कूलों में भेजा जाएगा, जहां पर शिक्षक नहीं हैं या फिर बच्चों व विषय के हिसाब से कम हैं। इस बार यह प्रक्रिया 10 मई तक पूरी कर ली जाएगी।
डॉ. आरएन नीखरा, जिला शिक्षा अधिकारी, मुरैना

UPTET news

'; (function() { var dsq = document.createElement('script'); dsq.type = 'text/javascript'; dsq.async = true; dsq.src = '//' + disqus_shortname + '.disqus.com/embed.js'; (document.getElementsByTagName('head')[0] || document.getElementsByTagName('body')[0]).appendChild(dsq); })();

Facebook