भोपाल नवदुनिया प्रतिनिधि 'टीचर गंदे हैं। वह हमें भी कमरे में
बुलाते थे। उन्होंने हमारी सहेली को कमरे में बंद कर लिया था। वह चीखने
लगी, तो हमने दरवाजे में लात मार-मारकर खुलावाया। वह रोते हुए भाग गई। थोड़ी
देर बाद बहुत सारी आंटी स्कूल आ गई। शिक्षक उनसे बचने के लिए बाथरूम में
घुस गए।
उन्होंने अंदर से दरवाजा बंद कर लिया। आंटियों के जाते ही सर भी चले गए। ' यह कहना है कि बीडीए कॉलोनी अवधपुरी के सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं का। नवदुनिया से बातचीत में बच्चियों ने दबी जुबान में इसका खुलासा किया। यह वही स्कूल है जहां बुधवार को दूसरी कक्षा की 11 वर्षीय छात्रा से शिक्षक मोहन सिंह ठाकुर ने ज्यादती की कोशिश की थी। गुरुवार को मेडिकल रिपोर्ट में इसकी पुष्टि हो गई है।
अंदरूनी हिस्सों में आई चोटें
एसआई आरएनएस चौहान के मुताबिक पीड़िता की मेडिकल रिपोर्ट में ज्यादती की कोशिश किए जाने की पुष्टि हुई है। मासूम के अंदरुनी हिस्सों में मामूली चोटें आई हैं। इसी आधार पर आरोपी के खिलाफ ज्यादती और पास्को समेत अन्य धाराओं में एफआईआर दर्ज कर उसे गुरुवार दोपहर करीब 4 बजे न्यायालय में पेश कर दिया। कोर्ट ने उसे जेल भेज दिया है। एसआई ने बताया कि घटनास्थल का मुआइना किया था। इस दौरान आस-पास के लोगों और पीड़िता के परिजनों के भी बयान दर्ज किए हैं।
पीड़ित मासूम की मां का दर्द - 'क्या कसूर है मेरी बच्ची का, अब वह रोती है और सो जाती है'
'पैसे नहीं है, इसलिए तो सरकारी स्कूल में पढ़ने भेजते हैं। हमें क्या पता था कि हमारी मासूम को एक शिक्षक ही जिंदगी भर का दर्द दे जाएगा। उसने कल से खाना तक नहीं खाया है। वह रोती है और सो जाती है। मैंने उसकी पहले बात क्यों नहीं सुनी। अगर मैं पहले ही उसकी बात सुन लेती, तो आज यह दिन नहीं देखने पड़ता। वह आज तो बिस्तर से ही उठी नहीं है। वह यही पूछती है कि मां सर क्या कर रहे थे? उन्होंने मेरे कपड़े क्यों उतारे? इतना कहते ही पीड़िता की मां रोते हुए कहती है कि आखिर मैं उसे इन सवालों के जवाब क्या दूं? उसका तो बचपन ही छीन लिया।'
डॉक्टरों के कारण हुआ देरी से मेडिकल
एसआई चौहान के मुताबिक पुलिस ने बुधवार शाम करीब 7 बजे पीड़िता को अस्पताल मेडिकल के लिए पहुंचाया था, लेकिन ड्यूटी डॉक्टर का कहना था कि अगली शिफ्ट वाले डॉक्टर ही मेडिकल करेंगे, इसलिए उसे वापस थाने ले आए थे। रात 1 बजे डॉक्टरों ने उसका मेडिकल किया।
हर सवाल पर चुप चुप्पी सादे है आरोपी
घटना के बाद से ही आरोपी इस मामले में चुप्पी साधे हुए हैं। पुलिस के पूछने पर कि उसने बच्ची से ज्यादती क्यों की, तो भी वह शांत रहा। पूछताछ के दौरान उसने ना तो कोई विरोध किया और ना नाराजगी जताई। वहीं, आरोपी मोहन कुछ दिन पहले ही अवधपुरी के सुरभि विहार स्थित मकान नंबर-44 में रहने आए। वह यहां परिजनों के साथ रहते हैं। उनकी पत्नी भी स्कूल में टीचर बताई जाती है। एसआई चौहान के मुताबिक घटना के बाद से ही परिजनों ने मोहन से दूरी बना ली। पुलिस ने परिजनों को गिरफ्तारी की सूचना फोन पर दी।
2 महीने से समय से पहले कर रहे थे छुट्टी
एक छात्रा के परिजन ने बताया कि करीब 2 महीने से समय से पहले ही बच्चे घर आ रहे हैं। कभी छुट्टी 3 बजे तो कभी साढ़े 3 बजे हो जाती थी। जबकि स्कूल का समय सुबह साढ़े 10 बजे से शाम 4 बजे तक का है। परिजनों ने कहा कि वे दोबारा स्कूल अपने बच्चों को नहीं भेजेंगे। उधर, गुरुवार सुबह स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारी स्कूल पहुंचे। व्यवस्थाओं को देखने के बाद वहां पर दूसरे स्कूल से एक महिला टीचर को अटैच कर दिया गया।
दूसरे दिन सिर्फ 7 बच्चे ही पहुंचे स्कूल
बीडीए कॉलोनी में दो भवनों के इस स्कूल में सुरक्षा तो छोड़ो स्कूल का बोर्ड तक नहीं लगा है। 10 बच्चे का कक्षा पहली और 25 बच्चे कक्षा दूसरी में पढ़ते हैं। दूसरी कक्षा में छात्रों से डेढ़ गुना ज्यादा 15 छात्राएं पढ़ती हैं। लेकिन उनकी सुरक्षा और उनकी बात सुनने के लिए वहां कोई नहीं। नवदुनिया ने घटना के बाद गुरुवार दोपहर जब स्कूल का जायजा लिया तो यहां गंदगी और चारों तरफ जानवर घूमते दिखे। महज 7 बच्चे स्कूल आए थे। यहां दोनों पुरुष क्लास के बाजू से बने एक छोटे से टेबल रखे कमरे में काम करने लगे, जिसे ऑफिस बताया गया। इस कमरे में टीचर ने बच्ची से ज्यादती की थी। दबी जुबान में शिक्षकों ने बताया कि स्कूल का यह दूसरा साल है, लेकिन इस पर एक रुपए तक खर्च नहीं किए गए। बच्चों के लिए न तो पीने के पानी का इंतजाम था और न ही स्कूल में लाइट थी।
उन्होंने अंदर से दरवाजा बंद कर लिया। आंटियों के जाते ही सर भी चले गए। ' यह कहना है कि बीडीए कॉलोनी अवधपुरी के सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं का। नवदुनिया से बातचीत में बच्चियों ने दबी जुबान में इसका खुलासा किया। यह वही स्कूल है जहां बुधवार को दूसरी कक्षा की 11 वर्षीय छात्रा से शिक्षक मोहन सिंह ठाकुर ने ज्यादती की कोशिश की थी। गुरुवार को मेडिकल रिपोर्ट में इसकी पुष्टि हो गई है।
अंदरूनी हिस्सों में आई चोटें
एसआई आरएनएस चौहान के मुताबिक पीड़िता की मेडिकल रिपोर्ट में ज्यादती की कोशिश किए जाने की पुष्टि हुई है। मासूम के अंदरुनी हिस्सों में मामूली चोटें आई हैं। इसी आधार पर आरोपी के खिलाफ ज्यादती और पास्को समेत अन्य धाराओं में एफआईआर दर्ज कर उसे गुरुवार दोपहर करीब 4 बजे न्यायालय में पेश कर दिया। कोर्ट ने उसे जेल भेज दिया है। एसआई ने बताया कि घटनास्थल का मुआइना किया था। इस दौरान आस-पास के लोगों और पीड़िता के परिजनों के भी बयान दर्ज किए हैं।
पीड़ित मासूम की मां का दर्द - 'क्या कसूर है मेरी बच्ची का, अब वह रोती है और सो जाती है'
'पैसे नहीं है, इसलिए तो सरकारी स्कूल में पढ़ने भेजते हैं। हमें क्या पता था कि हमारी मासूम को एक शिक्षक ही जिंदगी भर का दर्द दे जाएगा। उसने कल से खाना तक नहीं खाया है। वह रोती है और सो जाती है। मैंने उसकी पहले बात क्यों नहीं सुनी। अगर मैं पहले ही उसकी बात सुन लेती, तो आज यह दिन नहीं देखने पड़ता। वह आज तो बिस्तर से ही उठी नहीं है। वह यही पूछती है कि मां सर क्या कर रहे थे? उन्होंने मेरे कपड़े क्यों उतारे? इतना कहते ही पीड़िता की मां रोते हुए कहती है कि आखिर मैं उसे इन सवालों के जवाब क्या दूं? उसका तो बचपन ही छीन लिया।'
डॉक्टरों के कारण हुआ देरी से मेडिकल
एसआई चौहान के मुताबिक पुलिस ने बुधवार शाम करीब 7 बजे पीड़िता को अस्पताल मेडिकल के लिए पहुंचाया था, लेकिन ड्यूटी डॉक्टर का कहना था कि अगली शिफ्ट वाले डॉक्टर ही मेडिकल करेंगे, इसलिए उसे वापस थाने ले आए थे। रात 1 बजे डॉक्टरों ने उसका मेडिकल किया।
हर सवाल पर चुप चुप्पी सादे है आरोपी
घटना के बाद से ही आरोपी इस मामले में चुप्पी साधे हुए हैं। पुलिस के पूछने पर कि उसने बच्ची से ज्यादती क्यों की, तो भी वह शांत रहा। पूछताछ के दौरान उसने ना तो कोई विरोध किया और ना नाराजगी जताई। वहीं, आरोपी मोहन कुछ दिन पहले ही अवधपुरी के सुरभि विहार स्थित मकान नंबर-44 में रहने आए। वह यहां परिजनों के साथ रहते हैं। उनकी पत्नी भी स्कूल में टीचर बताई जाती है। एसआई चौहान के मुताबिक घटना के बाद से ही परिजनों ने मोहन से दूरी बना ली। पुलिस ने परिजनों को गिरफ्तारी की सूचना फोन पर दी।
2 महीने से समय से पहले कर रहे थे छुट्टी
एक छात्रा के परिजन ने बताया कि करीब 2 महीने से समय से पहले ही बच्चे घर आ रहे हैं। कभी छुट्टी 3 बजे तो कभी साढ़े 3 बजे हो जाती थी। जबकि स्कूल का समय सुबह साढ़े 10 बजे से शाम 4 बजे तक का है। परिजनों ने कहा कि वे दोबारा स्कूल अपने बच्चों को नहीं भेजेंगे। उधर, गुरुवार सुबह स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारी स्कूल पहुंचे। व्यवस्थाओं को देखने के बाद वहां पर दूसरे स्कूल से एक महिला टीचर को अटैच कर दिया गया।
दूसरे दिन सिर्फ 7 बच्चे ही पहुंचे स्कूल
बीडीए कॉलोनी में दो भवनों के इस स्कूल में सुरक्षा तो छोड़ो स्कूल का बोर्ड तक नहीं लगा है। 10 बच्चे का कक्षा पहली और 25 बच्चे कक्षा दूसरी में पढ़ते हैं। दूसरी कक्षा में छात्रों से डेढ़ गुना ज्यादा 15 छात्राएं पढ़ती हैं। लेकिन उनकी सुरक्षा और उनकी बात सुनने के लिए वहां कोई नहीं। नवदुनिया ने घटना के बाद गुरुवार दोपहर जब स्कूल का जायजा लिया तो यहां गंदगी और चारों तरफ जानवर घूमते दिखे। महज 7 बच्चे स्कूल आए थे। यहां दोनों पुरुष क्लास के बाजू से बने एक छोटे से टेबल रखे कमरे में काम करने लगे, जिसे ऑफिस बताया गया। इस कमरे में टीचर ने बच्ची से ज्यादती की थी। दबी जुबान में शिक्षकों ने बताया कि स्कूल का यह दूसरा साल है, लेकिन इस पर एक रुपए तक खर्च नहीं किए गए। बच्चों के लिए न तो पीने के पानी का इंतजाम था और न ही स्कूल में लाइट थी।