इछावर। राष्ट्र
निर्माण के लिए पहचाने जाने वाले शिक्षक, पढ़ाना तो दूर स्कूल में बच्चों
से श्रम करा रहे हैं। मामला ग्राम झालकी के शासकीय माध्यमिक शाला का है।
यहां पिछले तीन दिनों से शिक्षकों द्वारा स्कूल के बच्चों से मजदूर की तरह
काम लिया जाकर ईंट उठवाई जा रही है।
जानकारी के अनुसार ग्राम झालकी में शासकीय माध्यमिक स्कूल भवन का किचन शेड पिछले दिनों ढह गया था। जिसका मलबा मौके पर ही पड़ा हुआ था।बताया जाता है कि शिक्षकों ने किचन शेड के मलबा हटाने के लिए मजदूरों को नहीं लगवाते हुए स्कूल के विद्यार्थियों को ही मजदूर बना दिया। स्कूल के नन्हे बच्चे शिक्षकों के आदेश पर पिछले तीन दिनों से मलबा हटाने में जुटे हुए हैं।
परीक्षा के समय बच्चों से कराई जा रही मजदूरी
इस समय परीक्षा का समय चल रहा है। वार्षिक परीक्षा सिर पर है। स्कूलों में शिक्षकों को विद्यार्थियों की पढ़ाई पर ध्यान दिया जाना चाहिए, लेकिन शिक्षकों द्वारा स्कूल में विद्यार्थियों को पढ़ाई के स्थान पर उनसे मजदूरी कराई जा रही है। स्कूल में शिक्षक रामकिशन, श्रीराम वर्मा सहित अन्य शिक्षक मौके पर बच्चों से मजदूरी कराते मिले। शिक्षकों का कहना था कि स्कूल मे मध्यकाल के दौरान बच्चे अपनी स्वेच्छा से श्रमदान कर रहे हैं। इस मामले में स्कूल के हैडमास्टर गजराज सिंह ने यही बात कही। उनका कहना था कि स्कूल के बच्चे स्वेच्छा से श्रमदान कर रहे थे। बच्चों में इससे काम करने की ललक भी जागी।
यह मामला मेरे संज्ञान में है। इसके संबंध में जानकारी ली जा रही है। अधिकारियों को अवगत कराते हुए उचित कार्रवाई की जाएगी। दिवाकर सिंह, बीआरसीसी
जानकारी के अनुसार ग्राम झालकी में शासकीय माध्यमिक स्कूल भवन का किचन शेड पिछले दिनों ढह गया था। जिसका मलबा मौके पर ही पड़ा हुआ था।बताया जाता है कि शिक्षकों ने किचन शेड के मलबा हटाने के लिए मजदूरों को नहीं लगवाते हुए स्कूल के विद्यार्थियों को ही मजदूर बना दिया। स्कूल के नन्हे बच्चे शिक्षकों के आदेश पर पिछले तीन दिनों से मलबा हटाने में जुटे हुए हैं।
परीक्षा के समय बच्चों से कराई जा रही मजदूरी
इस समय परीक्षा का समय चल रहा है। वार्षिक परीक्षा सिर पर है। स्कूलों में शिक्षकों को विद्यार्थियों की पढ़ाई पर ध्यान दिया जाना चाहिए, लेकिन शिक्षकों द्वारा स्कूल में विद्यार्थियों को पढ़ाई के स्थान पर उनसे मजदूरी कराई जा रही है। स्कूल में शिक्षक रामकिशन, श्रीराम वर्मा सहित अन्य शिक्षक मौके पर बच्चों से मजदूरी कराते मिले। शिक्षकों का कहना था कि स्कूल मे मध्यकाल के दौरान बच्चे अपनी स्वेच्छा से श्रमदान कर रहे हैं। इस मामले में स्कूल के हैडमास्टर गजराज सिंह ने यही बात कही। उनका कहना था कि स्कूल के बच्चे स्वेच्छा से श्रमदान कर रहे थे। बच्चों में इससे काम करने की ललक भी जागी।
यह मामला मेरे संज्ञान में है। इसके संबंध में जानकारी ली जा रही है। अधिकारियों को अवगत कराते हुए उचित कार्रवाई की जाएगी। दिवाकर सिंह, बीआरसीसी