जबलपुर/टीकमगढ़.मप्र हाईकोर्ट ने डिप्लोमा इन एलिमेंट्री एजुके शन (डीएलएड) छात्रों को परीक्षा पास करने के लिए तीसरा अवसर देने से इनकार कर दिया है। हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने कहा है कि समय-सीमा तय न करने का मतलब यह नहीें है कि छात्रों को परीक्षा के लिए असीमित अवसर दिए जाएं। इस निर्देश के साथ बेंच ने याचिका निरस्त कर दी।
ये है मामला- जतारा जिला टीकमगढ़ में संविदा शाला शिक्षक वर्ग-3 के पद पर कार्यरत सुनीता श्रीवास्तव व बिजावर छतरपुर में इसी पद पर कार्यरत राजकुमारी चौरसिया ने यह याचिका दायर की थी, इसमें कहा गया था कि याचिकाकर्ताओं ने माशिमं द्वारा संचालित एक वर्षीय डीएलएड कोर्स में प्रवेश लिया था।
इसकी मुख्य परीक्षा में उत्तीर्ण न होने पर उन्होंने पूरक परीक्षा दी, लेकिन इसमें भी सफल नहीं हो सकीं। उन्होंने कहा कि प्रवेश नियमों में एनसीटीई ने अंतिम अवसर की समय-सीमा का उल्लेख नहीं किया गया था। रेग्युलेशन-6 के तहत माशिमं ने इसे दो अवसरों तक सीमित कर दिया।
इस रेग्युलेशन को अवैधानिक बताते हुए इसे निरस्त करने की मांग की गई। सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा कि अंकिता शुक्ला व रामकिशोर यादव के मामलों में दो अवसर की समय-सीमा पहले ही निर्धारित की जा चुकी है। इस मत के साथ बेंच ने याचिका निरस्त कर दी गई।
ये है मामला- जतारा जिला टीकमगढ़ में संविदा शाला शिक्षक वर्ग-3 के पद पर कार्यरत सुनीता श्रीवास्तव व बिजावर छतरपुर में इसी पद पर कार्यरत राजकुमारी चौरसिया ने यह याचिका दायर की थी, इसमें कहा गया था कि याचिकाकर्ताओं ने माशिमं द्वारा संचालित एक वर्षीय डीएलएड कोर्स में प्रवेश लिया था।
इसकी मुख्य परीक्षा में उत्तीर्ण न होने पर उन्होंने पूरक परीक्षा दी, लेकिन इसमें भी सफल नहीं हो सकीं। उन्होंने कहा कि प्रवेश नियमों में एनसीटीई ने अंतिम अवसर की समय-सीमा का उल्लेख नहीं किया गया था। रेग्युलेशन-6 के तहत माशिमं ने इसे दो अवसरों तक सीमित कर दिया।
इस रेग्युलेशन को अवैधानिक बताते हुए इसे निरस्त करने की मांग की गई। सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा कि अंकिता शुक्ला व रामकिशोर यादव के मामलों में दो अवसर की समय-सीमा पहले ही निर्धारित की जा चुकी है। इस मत के साथ बेंच ने याचिका निरस्त कर दी गई।