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अफसरों के इस कारनामे से हर पढ़े लिखे बेरोजगार युवक को आएगा गुस्सा, जानें क्या है मामला

शहडोल। प्रदेश में बहुचर्चित व्यापमं स्कैंडल का मामला अभी शांत नहीं हुआ है कि इसी तर्ज पर शहडोल में भी शिक्षकों की भर्ती में घोटाला सामने आ रहा है। स्थिति यह है कि भर्ती के लिए जिम्मेदार तीन विभागों ने भर्ती से संबंधित अहम् दस्तावेज ही गायब कर दिए हैं। इसका खुलासा हाल ही में आरटीआई द्वारा मांगी गई जानकारी में हुआ है। दरअसल, 1998 में स्कूलों में शिक्षकों की कमी को दर्शाते हुए विभिन्न संकायों में वर्ग-1 व 2 के लिए संविदा शिक्षकों की भर्ती की गई थी। जिनमें 50 संविदा शिक्षक ऐसे भर्ती किए गए जिनकी भर्ती से संबंधित दस्तावेज अब जिला पंचायत, जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में ढंूढे नहीं मिल रहे। इस मामले का खुलासा तब हुआ जब इन शिक्षकों की मेरिट सूची व्हिसल ब्लोअर नागेन्द्र ङ्क्षसह गहरवार द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत मांगी गई। संबंधित विभागों में इन 50 शिक्षकों की वरीयता के मापदंड और भर्ती के लिए आवश्यक दस्तावेज नदारत मिले। गौरतलब है कि ये शिक्षक आज भी बिना किसी आधार के शिक्षा विभाग में क्रमोन्नति और पदोन्नति का लाभ लेकर शिक्षण कार्य निर्बाध रूप से कर रहे हैं। हालांकि जिन आवेदकों पर गलत तरीके से संविदा शिक्षक की नियुक्ति प्राप्त करने के आरोप लगाए गए हैं उनसे चर्चा नहीं हो पाई है।
बनवा लिया फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र
व्हिसल ब्लोअर का आरोप है कि तत्कालीन जनप्रतिनिधियों और अफसरों ने पात्र बेरोजगारों के साथ छल करते हुए अपात्रों को नौकरी दे दी। जिन 50 आवेदकों पर गलत तरीके से भर्ती होने के आरोप हैं उनके अनुभव प्रमाण पत्रों की जांच से हकीकत का पर्दाफाश किया जा सकता है। कूटरचित प्रमाण पत्रों की कलई खुलने के डर से जिम्मेदार विभाग दस्तावेजों के गायब होने की जानकारी दे रहे हैं।
क्या कहा जिम्मेदार विभागों ने
जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय
पत्र क्रमांक 15 के जरिए 2 जनवरी को जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय द्वारा व्हिसल ब्लोअर को सूचना दी गई कि शिक्षाकर्मी चयन नियुक्ति संबंधी अभिलेख या पत्रावली इस कार्यालय में उपलब्ध नहीं है।
जिला पंचायत से भी गायब
व्हिसल ब्लोअर द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के अंतर्गत चाही गई जानकारी पर जिला पंचायत द्वारा जन शिक्षा केन्द्र व जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में पत्राचार किया गया। पत्र में कहा गया कि आवेदक द्वारा चाही गई जानकारी से संबंधित दस्तावेज इस कार्यालय में उपलब्ध नहीं हैं। उक्त तारतम्य में अभिलेख आपके कार्यालय में उपलब्ध हों तो उसकी प्रतिलिपि इस कार्यालय को उपलब्ध करावें।
जिला परियोजना समन्वयक कार्यालय का जवाब
व्हिसल ब्लोअर को जिला परियोजना समन्वयक कार्यालय ने जवाब दिया है कि विज्ञापन दिनांक 25 अगस्त 1998 के अनुसार चयनित शिक्षा कर्मी वर्ग 1 एवं 2 से संबंधित चयनित अभ्यर्थियों के संबंध में चाही गई जानकारी कार्यालय से संबंधित नहीं है।
यह भी आरोप
व्हिसल ब्लोअर नारेन्द्र सिंह गहरवार का आरोप है कि मोटी रकम लेकर और कुछ चहेतों को फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से तत्समय शिक्षाकर्मी भर्ती घोटाले को अंजाम दिया गया था। यदि बारीकी से जांच की जाए तो उस समय पंचायत से जुड़े कुछ जनप्रतिनिधियों, अफसरों, कर्मचारियों के साथ ही शिक्षा विभाग के अफसरों का असली चेहरा बेनकाब हो सकता है।
इनकी भर्ती में फर्जीवाड़े के आरोप
अखिलेश्वर नाथ, प्रमोद कुमार तिवारी, कजिश कुमार सिंह, गिरीश कुमार श्रीवास्तव, वर्षा मिश्रा, निशा गौतम, ऋचा त्रिपाठी, गितेन्द्र सिंह चौहान, अशोक श्रीवास्तव, सरिता श्रीवास्तव, सरिता वर्मा, ईश्वरचंद्र विद्यासागर सिंह, सनत कुमार त्रिपाठी, विकास कुमार, रामभुवन पटेल, विनायक प्रताप द्विवेदी, सीमा पाण्डेय, सविता मिश्रा, कमला प्रसाद पनिका, राजू सिंह नेताम, संतोष सिंह, सीमा सिंह सेंगर, अर्चना द्विवेदी, अरविंद कुमार पटेल, कामदनाथ पाण्डेय, सुयश कुमार शुक्ला, लालजी साहू, यशवंत सिंह, ऊविश अख्तर अंसारी, हनुमान प्रसाद पटेल, लक्ष्मी पटेल, राजेश कुमार गुप्ता, मनोज कुमार केशरवानी, अनुराग कुमार मिश्र, गंगा प्रसाद मिश्र, शिवलाल बैसनार, अमरजीत द्विवेदी, प्रदीप कुमार त्रिपाठी, सुमन मिश्रा, प्रगति द्विवेदी, गीता सिंह, श्रद्धा पाठक, रामकिशोर साहू, राजेश पाल, दीनानाथ सोनी, सरोज शर्मा, गीता साहू, मनीषा तिवारी, राजेन्द्र कुमार चतुर्वेदी, कृष्णपाल सिंह आदि के नाम शामिल हैं। हालांकि इन आरोपितों से चर्चा नहीं हो पाई है।

उमेश कुमार धुर्वे, जिला शिक्षा अधिकारी, 1998 में संविदा शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया जिला पंचायत से की गई थी। जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय का उस प्रक्रिया से कोई लेना देना नहीं है। भर्ती प्रक्रिया से संबंधित दस्तावेजों को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी जिला पंचायत की है।

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